कुसुम सदरेट मेयर तो बागी राकेश शर्मा बने डिप्टी मेयर, धूमल ने वीरभद्र से मांगा इस्तीफा
शिमला। देश में मोदी लहर का डंका होने का दावा करने व मोदी केबिनेट में मंत्री जगत प्रकाश नडडा को चुनाव प्रचार में उतारने के बावजूद भाजपा अपने व कांग्रेस पार्टी के बागी के सहारे शिमला नगर निगम पर भगवा फहराने में कामयाब हो पाई। बीते रोज के ड्रामे के बीच आज मंगलवार को भाजपा पार्षद कुसुम सदरेट और भाजपा के बागी जीते राकेश शर्मा को क्रमश: 19 व 20 मतों से शहर का मेयर व डिप्टी मेयर चुन लिया गया। भाजपा अपने दम पर निगम पर कबजा करने में नाकाम रही हैं।ये अलग है कि बहुमत न होने के बावजूद भाजपा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के घर में घुस कर चुनौती दी और मेयर व डिप्टी मेयर बना लिए।
मेयर व डिप्टी बन जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने मीडिया के सामने एलान किया कि शिमला के सौंदर्यीकरण पर एशियन डव्लपमेंट बेंक से मिले पैसे का दुरुपयोग हुआ हैं,भाजपा की सरकार बनने पर इसकी जांच की जाएगी।
बहुमत न होने के बावजूद सतारूढ कांग्रेस पार्टी ने भी मेयर व डिप्टी मेयर पद के लिए प्रत्याशी उतारे। भाजपा की कुसुम सदरेट को 19 वोट मिले जबकि कांग्रेस की सिमी नंदा को 13 ही वोट पड़े ।चौदहवां वोट रदद हो गया।
उधर,डिप्टी मेयर के पद के लिए भाजपा ने कांग्रेस के खेमे में सेंध डालकर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को संदेश दे दिया कि उनकी पार्टी में कितनी पकड़ हैं।भाजपा ने डिप्टी मेयर के लिए बागी राकेश शर्मा पर दांव खेला। राकेश शर्मा को 20 मत मिले। जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी आनंद कौशल को महज 13 ही वोट पड़े।
चुनाव की अध्यक्षता कर रहे शहरी विकास विभाग के निदेशक डीके गुपता ने कुसुम सदरेट और राकेश को विजयी घोषित कर दिया । मतदान के दौरान माकपा की एकमात्र पार्षद ने दूरी बनाए रखी।
गौरतलब हो कि 34 वार्डों के नगर निगम के हुए चुनावों में भाजपा के 17 ही पार्षद जीत पाए थे। जबकि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के गढ़ में कांग्रेस पार्टी के 12 पार्षद जीते। चार निर्दलीय पार्षद जीते थे। जिसमें से एक भाजपा का व तीन कांग्रेस के बागी थे। ऐसे में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला।
निगम पर 31 साल बाद भगवा लहराने की खतिर भाजपा ने धूमल की कमान में अपना आपरेशन शुरू किया और सबसे पहले पंथाघाटी से जीते अपने बागी राकेश कुमार को अपने कब्जे में लेकर भाजपा के 17 पार्षदों के साथ उन्हें राज्य से बाहर कहीं गुप्त स्थान पर ले गए। बागी समेत सभी 18 पार्षदों को 17 जून की शाम से लेकर 19 जून दोपहर तक गायब रखा। इस बीच भाजपा की टीम ने कांग्रेस के कच्ची घाटी से बागी संजय परमार को भी अपने कब्जे में ले लिया और 19 जून को शपथ लेने से पहले उसे भाजपा की सदस्यता दिला दी। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के चुनावी हलके शिमला ग्रामीण के संजय परमार के साथ को सीधी डील सामने नहीं आई। परदे के पीछे क्या हुआ होगा ये बाहर नहीं आ पा रहा हैं। पहले के हाउस में संजय परमार को कांग्रेस नगर निगम में नामित पार्षद भी बना चुकी हैं।इस सारे आपरेशन को अंजाम देने का काम चुनाव के प्रभारी व नाहन से भाजपा विधायक राजीव बिंदल ने पूरा किया। धूमल पार्टी कार्यालय से जायजा लेते रहे तो पार्टीअध्यक्षसतपाल सती,शिमला से भाजपा के विधायक सुरेश भारद्वाज,नरेंद्र बरागटा समेत कई नेता इस काम में लगा दिए।
1998 के ध्वाला कांड को देखते हुए भाजपा ने सबसे पहले अपने पार्षदों को वीरभद्र सरकार के दायरे इस तरह दूर कर दिया हो जैसे वीरभद्र सिंह प्रदेश में गुंडा सरकार चला रही हो और वो भाजपा पार्षदों को कहीं उठा न लें। बिंदल ने तो मांसल ताकत तक इंतजाम किया।बीते रोज सोमवार को जब गुप्त स्थान से भाजपा पार्षद शपथ दिलाने लाए गए तो उन्हें विधायकों की गाडि़यों में ऐसे लाया गया जैसे फिल्मों में होता हैं।
मेयर व डिप्टी मेयर बन जाने के बाद भाजपा ने मेयर,डिप्टी मेयर व पार्षदों के साथ शहर में ढोल नगाड़ों के बीच विजयी जुलूस निकाला उसके बाद धूमल की कमान में सभी पार्षद मीडिया से रूबरू हुए।
बागियों के सहारे नगर निगम पर भगवा लहराने के बाद धूमल ने कहा जो ये कहते थे कि देश में मोदी लहर को शिमला में रोक दिया जाएगा,ऐसा नहीं हो पाया। अब ये लहर आगामी विधानसभा चुनावों में आंधी बनेगी।
धूमल ने 1998 के ध्वाला कांड की याद भी दिलाई व कहा कि अनुभवों से कुछ हमने सीखा कुछ उन्होंने (कांग्रेस) ने सीखा। उनका इशारा भाजपा पार्षदों को गुपत स्थान पर रखने,मांसल ताकत दिखाने व शपथ दिलाने विधायकों की कारों में लाने के भाजपाइयों के कारनामों की ओर था। याद रहे है कि 1998 में ध्वाला कांड होने के बाद धूमल सरकार सता में आई थी व इस कांड की बाकायदा जांच की गई थी। लेकिन किसी को सजा नहीं दी गई।
धूमल ने उनके दुश्मन रहे रिटायर आईएएस अफसर पूर्व चीफ सेक्रटरी व मुख्य चुनाव आयुक्त पी मित्रा का नाम लिए बगैर उन पर हमला बोला व कहा कि उन्होंने संविधान का उल्लंघन करने का कोई मौका नहीं चुका ।
शहरवासियों को शुद्ध पानी मुहैया कराने को नए नगर निगम की प्राथमिकता करार देते हुए धूमल ने कहा कि माकपा व कांग्रेस ने शहरवासियों को गंदा पानी पिलाया जिसके सजा इन दोनों को बाहर कर जनता ने सजा दे दी हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस व माकपा ने चुनावों को टालने का मिलकर काम किया हैं।लेकिन हाईकोर्ट ने इनके मंसुबों पर पानी फेर दिया।
धूमल ने कहा मेयर व डिप्टी मेयर ने दुगुनी जीत हासिल की पहले पार्षद का चुनाव जीता अब मेयर व डिप्टी मेयर का।धूमल ने वीरभद्र सिंह सरकार से इस्तीफा मांगा व कहा कि प्रदेश की जनता 2014 से ये संदेश देती आ रही हैं। कांग्रेस पहला उप चुनाव सुजानपुर में हारी, फिरी लोकसभा की चारों सीटें हारी। उसके बाद भोरंज का उप चुनाव और एमसी का चुनाव हार गई हैं। ऐसे में वीरभद्र सरकार को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।उन्होंने कहा वीरभद्रसिंह के चुनावी हलके शिमला ग्रामीण के चार वार्डों में से तीन पर कांग्रेस के प्रत्याशियों के बजाय भाजपा प्रत्याशियों को बढ़त मिली हैं।वीरभद्र के अपने चुनावी हलके में उनका आधार खिसक रहा हैं।
उन्होंने पार्टी को भी सलाह दी कि यह जीत तो ठीक है लेकिन पार्टी को आतमविवेचन करने की जरूरत हैं। अपेक्षा और बड़ी जीत की,की जा सकती थी।
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