शिमला।राजधानी शिमला में जो कश्मीरी खान बोझा ढोकर रोजाना चार सौ से एक हजार रुपया कमा लेता था वो आठ तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर सेे पांच सौ व एक हजार के नोटों पर बैन लगाने की घोषणा के बाद बैंक व एटीएम की कतारों में नोट बदलवाने में लगा है या फिर इधर -उधर भटक रहा है ताकि कोई काम मिल जाए।उधर ऐसे भी मामले सामने आ रहे जहां पर लोग 28-28 किलोमीटर दूर से बैंक में अपने ही पैसे निकालने आते हैं लेकिन उन्हें दो हजार से ज्यादा नहीं मिलते।
शिमला के कारोबार की लाइफलाइन कश्मीरी खानों पर दोहरी मार पड़ी है। कश्मीर में हालात बेकाबू हैंं तो यहां शिमला में काम बहुत कम हो गया है। कश्मीर में हालात बेकाबू होने के कारण वहां पढ़ाई कर रहे युवा शिमला आकर मजदूरी कर रहे हैं ।ऐसे में अगर काम नहीं मिला तो उन पर वापसी की तलवार लटक गई हैं।हालांकि वो उम्मीद करते है कि स्थितियां बदलेगी और उनका काम चल पड़ेगा।
मिडिल बाजार में मस्जिद में रह रहे अनंतनाग के पुंजू गांव के शबीर ने कहा कि तीन दिन से काम नही मिल रहा हैं। जो मिल रहा है वो बहुत थोड़ा है।गुलमोहदीन ने कहा कि उसने आज एक भी पैसा नहीं कमाया हैं। जबकि वो रोजाना 400 से पांच सौ रुपए तक कमा लेता था।
नजीर अहमद ने कहा कि अगर एक तारीख तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो तो वो कश्मीर वापस लौट जाएंगे। इन कश्मीरी खानों का कहना है कि फिलहाल अभी स्थिति काबू में हैं।अंदाजन शिमला में चार से छह हजार कश्मीरी खान काम करते हैं।
कश्मीरी खानों की स्थिति तो खराब है ही , अमीर ज्वैलर्स की दुकानें भी सूनी पड़ी है। इक्का दुक्का ग्राहक आ गया तो गनीमत है ।प्राइम लोकेशन द माल रोड़ पर अपना कारोबार चलाने वाले महाश्य जवैलर्स का कारोबार भी ठप है। महाश्य ज्वैलर्स के कपिल सूद कहते हैै कि नोटबंदी से 80 से 90 प्रतिशत कारोबार ठप हो गया है।ग्राहक बाजार से गायब है।खरीददारी करने कोई नहीं आ रहा है।
दुकानें सूनी पड़ी है। बाजार में मंदी का खतरा मंडरा रहा है। स्थिति से उबरने में पांच से छह महीने तो लगेंगे ही। इस सबके बावजूद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के इस फैसले को सही करार देते हुए कहा कि कालेधन पर लगाम लगाने के लिए ये कदम कारगर होगा। देश के लिए हम तकलीफ झेलने के लिए तैयार हैं।ज्वैलर्स के लिए गनीमत यह है कि सर्दी का मौसम होने के कारण कारोबार वैसे ही कम हो जाता है। महाश्य ज्वैलर्स के एमडी कपिल सूद ख्ुाद भी मानते हैं कि अप्रैल तक शायद बाजार व उनके कारोबार कुछ सुधार आ जाए।
यही स्थिति शिमला के बाकी ज्वैलर्स की भी हैं।
मिडिल बाजार में टांगरी ज्वैलर्स की दोनों दुकानों से भीड़ गायब है।डीलर से सोना नहीं आ रहा है। नोटबंदी के बाद डीलरों ने कीमतें बढ़ा दी तो खरीददारी टाल दी गई। कारोबार का आलम ये हैं कि शादी के लिए जो जूलरी बननी थी उसके आर्डर भी टल गए। दूल्हा दुल्हन के परिवारों ने आपसी समझदारी से चेक दिए।उन्हें उम्मीद हैं कि बाद में सोना सस्ता हो जाएगा तो ज्वैलरी बना लेंगे। ज्वैलर्स के लिए अच्छी बात केवल ये रही कि उनका फंसा उधाार कुछ हद तक चुक गया।
टांगरी ल्वैलर्स के विनोद धानिया भी मानते हैं कि अप्रैल से पहले कारोबार में सुधर आने वाला नहीं है।शिमला में ज्वैलरी का काम करने वाली लेबर व कारीगर बाहरी राज्योंं जैंसे पश्चिमी बंगाल से आते हैं। उन पर किस तरह का असर पड़ेगा ये आने वाले दिनों में पता चलेगा।राजधानी में 200 से250के करीब ऐसे कारीगर है।प्रदीप राय कलकता के मिदनापुर के माधपुर गांव केे रहने वाले हैं वह महाश्य ज्वैलर्स के पास कारीगर है।प्रदीप ने कहा कि अभी ज्यादा दिक्कत नहीं हैं।
अगर कोई ये सोच रहा है कि नोटबंदी का हिमाचल में शादियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा हैं तो वह गलतफहमी में हैं।चौपाल के मढो़ग के दोपक चौहान के भांजे की परसों शादी हैं व लेकिन उन्हें बैंकों से पैसा नहीं मिल रहा हैं। हालांकि उन्होंने में हाल ही में सेब भी बेचे है लेकिन आढ़ती से पेमेंट नहीं हुई हैं।वो पुराने नोट दे रहा है लेकिन उनके लिए अब वो किसी काम के नहीं हैं। उन्हें भांजे की शादी में मामा की ओर से निभाई जाने वाली रस्में पूरी करने की चिंता हैं।
चौहान ने कहा कि आठ तारीख से अब तक उन्हें बैंक से केवल दो हजार रुपए ही मिलें हैं। वो घर से 28 किलोमीटर दूर का सफर कर दो तीन बार बैंक में चले गए हैं लेकिन बैंक से पैसा नहीं मिल रहा हैं। उनका बैंक एचडीएफसी हैं।अब वो शिमला इस उम्मीद से आएं हैं कि शायद राजधानी में बैंक के मुख्यालय में उन्हें पैसा मिल जाएगा। स्थिति बहुत खराब हैं।
ट्रांसपोर्ट कंपनियों में भी कारोबार मंदा हो गया हैं। लक्कड़ बाजार में स्थित चंबा मनाली ट्रांसपोर्ट कंपनी से जितेंद्र कुमार ने कहा कि माल का प्रवाह कम हो गया हैं। उनके पास तीन चारकश्मीरी खान काम करते हैं,उनकी पेेमेंट नहीं कर पा रहे हैं। वो खुद नोट बदलवानें लाइनों में लगे हैं।
इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स परिसर के समीप फूलों का कारोबार करने वाले रवि मेहता कहते हैं कि उनका कारोबार भी 60 प्रतिशत तक कम हो हुआ है।वहीं से डिमांड आ रही है जहां पर फूलों के बगैर काम ही नहीं चल सकता।रोजाना वो चार पांच हतार रूपए का कारोबार करते थेअब स्थिति पांच सौ से एक हजार रुपए तक पहुंच गई है।
संजौली मे फुटवियर का होलसेल का कारोबार करने वाले संजय बंटा कहना है कि डिमांड रुक गई हैं। 50 से 60 प्रतिशत तक का कारोबार नीचे आ गया हैं।सभी को उधार तो दिया नहीं जा सकता।हालांकि उन्होंने माना कि सरकार के इस फैसले से लोग खुश हैं।
बहरहाल
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