शिमला। शायद हिमाचल प्रदेश का बिजली बोर्ड एक तरह से कंगाल हो गया हैं। जनवरी महीने की आज दो तारीख हो गई है और प्रदेश भर के बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और अधिकारियों को अभी तक वेतन नहीं मिला हैं। कर्मचारी यूनियन के मुताबिक अधिकारियों में केवल बोर्ड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश मीणा को ही वेतन मिला हैं। बाकी किसी भी अधिकारी को वेतन नहीं मिला। इसके अलावा पेंशनरों को भी पेंशन नहीं मिली हैं।
बोर्ड के कर्मचारियों की माने तो 45 हजार के करीब बोर्ड के कर्मचारियों व पेंशनरों को कल भी वेतन मिलेगा इसकी उम्मीद नहीं हैं। शायद बोर्ड के खजाने में पैसे ही नहीं हैं। ऐसा बोर्ड के 52 साल के इतिहास में पहली बार हुआ हैं। कर्मचारियों को वेतन न मिलने से सुक्खू सरकार और उनके नौकरशाह कटघरे में खड़े हो गए हैं। बोर्ड के कर्मचारियों के वेतन व पेंशन का मासिक खर्च सौ करोड़ रुपए के करीब हैं। बोर्ड ये सब खर्च अपने खाते से करता हैं।
वेतन न मिलने से नाराज बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने आज कुमार हाउस में बोर्ड मुख्यालय के बाहर दोपहर को प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की।
इस मौके पर बोर्ड के कर्मचारियों ने इसके लिए बोर्ड में तैनात नौकरशाहों खासकर एमडी को जिम्मेदार ठहराया। बोर्ड के कर्मचारी एक लंबे समय मुख्यमंत्री सुक्खू को रास्ता दिखा रहे है व बोर्ड में तैनात नौकरशाहों की कारगुजारियों से अवगत भी करा रहे हैं। पहले बोर्ड के अध्यक्ष राम सुभग सिंह को लेकर भी कर्मचारियों ने सुक्खू को आगाह किया था। वह मीणा को लेकर भी आगाह कर रहे है । कर्मचारियों का कहना है कि मीणा के पास पहले ही दो –दो विभाग है । ऐसे में बोर्ड का जिम्मा संभालना उनके बस की बात नहीं हैं।
इस मसले को लेकर हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी व इंजीनियररें के संयुक्त मोर्चे ने इस वितीय बदहाली के लिए प्रवंधक वर्ग को दोषी ठहराया और बिजली बोर्ड में तुरन्त एक स्थाई प्रवन्ध निदेशक लगाने की मांग की है।
फ्रंट के संयोजक लोकेश ठाकुर व सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि बोर्ड़ पिछले 9 माह से अस्थाई प्रवन्ध निदेशक से चलाया जा रहा है जिससे बोर्ड की कार्यप्रणाली बुरी तरह से प्रभावित हुई है जिसके परिणामस्वरूप बोर्ड कर्मचारियों व पेंशनर्ज का वेतन व पेंशन पहली जनवरी को नहीं मिल पाई।
बोर्ड में लागू नहीं हुई है ओपीएस
इसके अलावा फ्रंट ने बिजली बोर्ड में पुरानी पेंशन की बहाली में देरी पर चिंता जताई और इसे जल्द लागू करने की मांग की है। फ्रंट का कहना है कि बिजली बोर्ड में सीसीएस पेंशन रुल्ज, 1972 राज्य सरकार की तर्ज पर लागू किये गए हैं और इन रुल्ज मे प्रदेश सरकार द्वारा किये गए सभी संशोधन बोर्ड़ में लागू किये गए हैं। कानूनीतौर पर पुरानी पेंशन बारे किया गया प्रदेश सरकार का यह संशोधन भी बोर्ड़ में लागू करना अनिवार्य है लेकिन इसमें देरी से लागू करने मे बोर्ड़ को ही तकनीकी दिक्कतें बढ़ेगी।
वर्मा ने कहा कि मोर्चे में बिजली बोर्ड के आठ कर्मचारी व अभियंता के संगठनों ने भाग लिया और एलान किया कि यदि प्रदेश सरकार ने मांगों का निवारण समय रहते नहीं किया तो फ्रंट छह जनवरी से राज्यव्यापी आंदोलन का आगाज़ कर देगा।
(108)