शिमला। पीपल यूनाइट एगेंस्ट हेट प्रोटेस्ट मंच के बैनर के तले यहां विभिन्न धर्मों के जुड़ें लोगों ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ राजधानी में विरोध प्रदर्शन किया और जिला उपायुक्त के जरिए राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा । ज्ञापन में इन लोगों ने राष्ट्रपति से मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों व सामाजिक समरसता को तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी सजा देने की मांग की।
मंच की संयोजक डिंपल आमरीन ओबराय वहाली ने कहा कि मॉब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश दिया है ,उसका पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मई 2015 से दिसंबर 2018 तक देश के 12 राज्यों में मॉब लिचिंग के तहत 44 लोगों की हत्या की गई है। इनमें से 17 लोग अकेले झारखंड के ही है। इसके अलावा बीस राज्यों में घटित हुई सौ विभिन्न घटनाओं में 280 लोग जख्मी हुए है। उन्होंने कहा कि इसका जिक्र हयूमन राइटस वाच की रिपोर्ट में भी हुआ है।उन्होंने कहा कि मॉब लिचिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लिया है व कई दिशा निर्देश जारी किए है । लेकिन अधिकांश राज्य इन निर्देशों का पालन नहीं कर हैं और नफरत का जहर फैलाने वाले अपना काम जारी रखे हुए है। तरह तरह की अफवाहें फैलाई जा रही है। इससे अल्पसंख्यकों व दलितों में दहशत का माहौल है।
इस मौके पर बालूगंज मदरसे के संचालक मौलाना मुमताज अहमद कासमी ने कहा कि यह प्रदर्शन हिंदुस्तानी तहजीब,संस्कृति और हिंदुस्तानियत को बचाने के लिए है। कासमी ने कहा ये सरकार लोगों को गुमराह कर कमजोर तबके को परेशान करने में लगी है। इस देश का मुस्लिम अनुच्छेद 370,35 ए और तीन तलाक के खिलाफ नहीं है लेकिन जिस तरीके व गरूर के साथ इनको हटाया गया है, ये प्रदर्शन उसके खिलाफ है। मजहब के नाम पर नफरत फैलाने की तालीम न तो गीता और न ही रामयण और न ही कुरान देती है। लेकिन कुछ ताकतें कमजोर तबके को खत्म करने का मंसूबा पाले हुए है। यह विरोध उसी के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि जब भी कोई बेगुनाह मारा जाता तब वह वह न हिंदू होता है न सिख होता ईसाई होता है और न ही मुसलमान होता है। वह केवल और केवल हिंदुस्तानी होता है। उन्होंने कहा कि कोई भी समुदाय कानून बनाने के खिलाफ नहीं है लेकिन अगर कानून घमंड व गरूर के तहत बनाया जाए व नफरत फैलाई जाए,इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये सरकार कमजोरों को जमूहरियत के नाम पर दबाना चाहती है।
इस मौके पर गुडिया मंच के संयोजक विकास थापटा ने कहा कि अल्पसंख्यकों पर रोहड़ू व चौपाल में भी हमले हुए है। कानून को अपना काम करना चाहिए।
हिमालय स्टूडेंट एसोसिएशन की रणजोत ने कहा कि पहलू खान लिचिंग मामले में दोषियों को किसी की भी पर छोड़ा नहीं जाना चाहिए।
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