शिमला।प्रदेश में सुक्खू सरकार के सत्ता में आने के पौने तीन महीने के बाद कुनिहार ब्लाक में बीडीसी उपाध्यक्ष मनोहर के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया हैं। मनोहर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी व विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के बागी राजेंद्र ठाकुर के समर्थक थे।दिलचस्प यह है कि बीडीसी कुनिहार में ज्यादातर सदस्य राजेंद्र ठाकुर समर्थक ही है। लेकिन अब सता बदली है तो..
राजेंद्र ठाकुर ने विधानसभा चुनावों में बतौर आजाद प्रत्याशी 25 हजार से ज्यादा मत लेकर मुख्यमंत्री सुक्खू के बेहद करीबी विधायक व मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी को संकट में डाल दिया था। लेकिन आखिर में संजय अवस्थी जीत गए थे।
दिलचस्प यह है कि 2021 में जब बीडीसी सदस्यों के लिए चुनाव हुए थे तो कुल 23 सीटों में 15 पर कांग्रेस के अलग–अलग गुटों के समर्थक प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी जबकि आठ सीटों पर भाजपा समर्थक जीते थे।
उस दौरान बीडीसी कुनिहार के अध्यक्ष पद पर सीमा कौंडल की ताजपोशी हुई जबकि उपाध्यक्ष पद पर धुंधन वार्ड से सदस्य मनोहर को चुना गया। तब इस पद के लिए चार सदस्य दावेदार थे व सहमति बनी की चारों पंद्रह –पंद्रह महीनों तक इस पद पर रहेंगे। मनोहर विरोधी गुट का कहना है कि उन्होंने वादा नहीं निभाया और पंद्रह महीने बाद अपना इस्तीफा देकर दूसरे दावेदार का रास्ता साफ नहीं किया।
इस बीच बीते दिनों 13 सदस्यों ने मनोहर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया व आज उस प्रस्ताव पर वोटिंग हुई।
कुनिहार ब्लाक के पंचायत निरीक्षक ने कहा कि 13 में से 12 सदस्यों ने आज की कार्यवाही में हिस्सा लिया और सभी 12 सदस्यों ने उपाध्यक्ष के प्रति अविश्वास व्यक्त किया व उनके खिलाफ अविश्वास पारित हो गया।
उधर , उपाध्यक्ष मनोहर ने कहा कि उनके खिलाफ राजनीति हुई हैं। वह राजेंद्र ठाकुर के समर्थक रहे हैं। इस सारे प्रकरण को स्थानीय विधायक संजय अवस्थी ने हवा दी हैं और भाजपा व कांग्रेस समर्थक बीडीसी सदस्य उनके खिलाफ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव के पारित होने की अभी कोई जानकारी नहीं है जानकारी मिलने के बाद ही वह कुछ कह पाएंगे।
यह पूछे जाने पर कि पंद्रह –पंद्रह महीने इस पद पर रहने को लेकर कोई सहमति बनी थी , वो क्या मामला हैं। मनोहर ने कहा कि ढाई-ढाई साल तक इस पद पर रहने की सहमति बनी थी। अभी उनके ढाई साल पूरे नहीं हुए हैं और उनकी ओर से इस बावत कभी इंकार भी नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि वह जब उपाध्यक्ष बने थे तभी उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। लेकिन अब न जाने ये लोग क्यों राजनीति कर रहे हैं।
याद रहे कि जब2017 से निधन तक वीरभद्र सिंह अर्की विधानसभा हलके से विधायक रहे तो उन्होंने राजेंद्र ठाकुर को मजबूत करने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। पूरी अर्की कांग्रेस राजेंद्र ठाकुर व उनके समर्थकों का ही दबदबा था। संजय अवस्थी व सतीश कश्यप जैसे कांग्रेसियों को जिन्होंने 2007 के चुनावों के दौरान उभरे संकट के दौरान पार्टी का साथ दिया ,को पूरी तरह से हाशिए पर धकेल दिया था।
2007 में वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी व पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धर्मपाल ठाकुर का टिकट कट गया था व कांग्रेस की सर्वेसर्वा सोनिया गांधी के रसोइए के बेटे प्रकाश कराड को टिकट मिला था। तब धर्मपाल ठाकुर ने बगावत कर दी थी और इस बगावत के चलते भाजपा के गोबिंद राम शर्मा सीट निकाल गए थे।बहरहाल यह पुरानी कहानीहैं।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का निधन होने के बाद अर्की में हुए उपचुनावों में टिकट के लिए राजेंद्र ठाकुर ने दावेदारी पेश की लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला और संजय अवस्थी कांग्रेस का टिकट पाने में कामयाब हो गए। राजेंद्र ठाकुर ने कांग्रेस का साथ छोड दिया लेकिन चुनाव नहीं लडा व संजय अवस्थी अर्की से उपचुनाव जीत गए। इसके बाद वह 2022 में भी कडे मुकाबले में सीट निकालने में कामयाब हो गए।
वह मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के बेहद करीबी हैं। ऐसे में अब उपाध्यक्ष के पद पर किसकी ताजपोशी होगी यह आने वाले दिनों में साफ हो पाएगा। लेकिन अर्की की राजनीति दिलचस्प हो गई है।
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