शिमला। कराधान विभाग की बददी के अधिकारियों ने बददी से एक पेट्रोल पंप से नौ करोड का डीजल हरियाणा व झारखंड को बेच देने के मामले में पेट्रोल पंप मालिक के खिलाफ तो एक करोड का कर वसूली व जुर्माने का फरमान जारी कर दिया लेकिन जिन टैंकरों में यह डीजल सप्लाई हुआ उनके खिलाफ जयराम सरकार के बाद अब सुक्खू सरकार भी खामोश हैं। ये दीगर है कि अभी ही सुक्खू सरकार सता में आई ही है लेकिन कराधान विभाग के पास इन टैंकरों का विवरण है । विभाग ने यह विवरण पुलिस से साझा किया है या नहीं इस बावत विभाग की ओर से कोई जुबान खोलने को तैयार नहीं हैं।
एसपी बददी मोहित चावला ने कहा कि संभवत: डीजल के टैंकरेां में जीपीएस लगा हुआ रहता है। वह कहां- कहां सप्लाई कर रहे है यह तो संबधित विभागों को पता ही होता होगा। उन्होंने कहा कि डीजल स्मगलिंग की शिकायत तो पुलिस विभाग से किसी ने की ही नहीं।
यह नौ करोड का डीजल एक ही पेट्रोल पंप से बिका है। हिमाचल में डीजल 80 रुपए प्रतिलीटर के आसपास है। जबकि हरियाणा में यह 91 रुपए तो झारखंड में 95 रुपए के करीब हैं।जबकि निर्माण व फैक्टरियों में टैंकर के जरिए जो डीजल पहुंचाया जाता है वह महंगा होगा। यह नौ करोड का डीजल तो एक ही पेट्रोल पंप से स्मगल हुआ हैं। प्रदेश के बाकी पेट्रोल पंपों से कितने टैंकर कहां गए इस बावत कोई जांच करने को राजी नहीं हैं। इसके अलावा जो हिमाचल प्रदेश के पेट्रोल पंपों को डीजल लेकर आए टैंकर कहीं रास्ते में ही तो दूसरे टैंकर में खाली तो नहीं कर दिए और पेट्रोल पंपों पर फर्जी बिल बन गए हो इस बावत भी कोई जांच नहीं हुई हैं। यह राष्ट्रीय स्तर का घोटाला हो सकता हैं।
विस्फोट अधिनियम का उल्लंघन
जिन टैंकरों के जरिए ये तस्करी की गई है अगर वह डिलिस्टेड टैंकर हैं तो वह सीधे –सीधे विस्फोट अधिनियम का उल्लंघन करते रहे। इन टैंकरों में सुरक्षा के मानक पूरे नहीं थे। संभवत: अभी भी नहीं हैं। इसके अलावा जिन पेट्रोल पंपों से इन्हें भरा गया वहां पर जेंटरी(पेट्रोल पंपों पर अलग से व्यवस्था जहां से छोटे टैंकरों से डीजल उदयोगों व निर्माण कार्यों के लिए ले भरा जा सकता है)को मंजूरी थी या नहीं । अगर जेटी की मंजूरी नहीं थी तो पेट्रोल पंपों ने भी विस्फोट अधिनियम का उल्लंघन किया है। यानी के बिना सुरक्षा मानकों को पूरा किए बगैर यह टैंकर आबादी वाले स्थानों से आते जाते रहे व लोगों की जिंदगियों को जोखिम में डालते रहे हैं। कायदे से सुक्खू सरकार को इस बावत जांच करानी चाहिए थी लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा हैं।
इंडियन ऑयल की भूमिका भी संदेह में
प्रदेश में तमाम पेट्रोल पंपों को इंडियन ऑयल की नजर रहती है। अगर किसी पेट्रोल पंप सेसीएमजी, पेट्रोल या डीजल की असामान्य खपत हो रही है तो उसके विक्री विभाग को रपट जरूर जाती ही होंगी। इस तरह की असामान्य खपत पर वह पडताल कर प्रदेश सरकारों को अवगत करा सकते थे। लेकिन प्रदेश में इंडियन ऑयल की मशीनरी ऐसी असामान्य खपत का पता नहीं लगा पाई या फिर मिलीभगत की गई।
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