शिमला । मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने गुम्मा में आधुनिक कार्टन उद्योगम की 80-90 करोड़ रुपये लागत की मशीनों को मात्र दो करोड़ रुपये में बेच देने के मामले की जांच के आदेश दिए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला जिले के प्रगतिनगर में स्थापित इस कार्टन उद्योग को बंद कर दिया गया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है । उन्होंने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि इस मशीन को नागपुर में पुनः जोड़कर कार्टन तैयार किया जा रहा है, जिसे हिमाचल प्रदेश में बेचा जा रहा है। उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए।
उन्होंने मनाली में एक व्यक्ति द्वारा वन भूमि पर किए गए कब्जे तथा चम्बा जिले के डलहौजी में लकड़ी के स्लीपर को जब्त करने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए तथा कहा कि संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य में औषधीय जड़ी-बूटी विशेषकर ‘नागछतरी’ का बड़े पैमाने पर अवैध दोहन किया जा रहा है, जिसे तुरंत रोक लगाए जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री घणाहट्टी के समीप शामलाघाट में आयोजित 64वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव के अवसर पर बोल रहे थे।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार किसानों के टीडी अधिकारों को बहाल करने पर विचार कर रही है, जिससे उनकी आवास निर्माण व दाह संस्कार इत्यादि के लिए लकड़ी की आवश्यकता को पूरा किया जा सके। इससे अवैध कटान को रोकने में भी सहायता मिलेगी। वन भूमि से आरा मशीनों को भी हटाया गया है, जिससे पेड़ों को बचाने में सहायता मिली है।
इस वित्त वर्ष के दौरान 17,500 हैक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे लगभग 34 लाख श्रमदिवस सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि चौड़ी पत्तियों की प्रजाति के 60 प्रतिशत पौधों का रोपण किया जाएगा, जिनमें 20 प्रतिशत जंगली फल पौधों की प्रजातियां शामिल की जाएंगी। उन्होंने कहा कि इससे बंदरों के उत्पात को रोकने में सहायता मिलेगी और उन्हें वन क्षेत्र में ही पर्याप्त खाना उपलब्ध हो सकेगा।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा इस वित्त वर्ष के दौरान 6 नए वानर बंध्यीकरण केंद्र स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कंडाघाट स्थित बंध्यीकरण केंद्र में गत वर्ष केवल पांच बंदरों के बंध्यीकरण पर चिंता जताई तथा इसकी जांच के आदेश दिए।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘वाइल्ड मेडिसिनल प्लांट्स ऑफ एच.पी: ऐन असेस्मेंट ऑफ देयर कंज़रवेशन स्टेटस एंड मैनेजेमेंट प्राईयोरिटाईजेशन’ तथा वन्य औषधीय पौधों पर पोस्टर का भी विमोचन किया।
प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल श्री आर.के. गुप्ता ने इस अवसर पर विभाग की विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत वन सर्वेक्षण रिपोर्ट, 2011 के अनुसार गत दो दशकों में प्रदेश का वन क्षेत्र 21.16 प्रतिशत से बढ़कर 26.37 प्रतिशत हो गया है।
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