शिमला। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की एचपीसीए मामले में मोदी सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सानन व केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर गए एक अफसर कमलेश पंत को प्रासिक्यूशन सेंक्शन देने से इंकार कर दिया है।एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक मोदी सरकार के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग ने ने इन दोनों अफसरों की अभियोजन मंजूरी की प्रदेश की वीरभद्र सरकार की फाइल को रदद कर दिया है। इससे धूमल,उनके पुत्र भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और अफसरों को बउ़ी राहत मिली है। जबकि वीरभद्र सरकार के नौकरशाह सवालों के घेरे में आ गए है। अखबार के मुताबिक कमलेश पंत की अभियोजन मंजूरी को रदद करने की जानकारी राज्य के कार्मिक विभाग को एक सप्ताह पहले दे दी है। जबकि सानन की अभियोजन मंजूरी की फाइल भी रदद कर दी है। लेकिन उनके मामले में अभियोजन मंजूरी रदद की गई या नहीं इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो रही है।
एचपीसीए मामले में सुपी्रम कोर्ट ने धर्मशाला की अदालत में धूमल,अनुराग व एचपीसीए के अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ चल रहे ट्रायल पर पहले ही रोक लगा रखी है।
इन दोंना अफसरों को प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार ने एचपीसीए के धर्मशाला स्थित पैविलियन होटल को जमीनआवंटित करने व यहां पर बने शिक्षा विभाग के हॉस्टल की बिल्डिंग गिराने के मामले में चार्जशीट कर रखा है। इसके अलावा धर्मशाला की अदालत में चालान पेश कर रखा है। पदेश सरकारने इनके खिलाफ मुकदमा चलाने की पहले ही मंजूरी दी हुई है।सूत्रों के मुताबिक इस मामले में सीवीसी ने विजीलेंस से रिपोर्ट तलब की थी और विजीलेंस ने मामले से संबधित सारे कागजात सीवीसी को सौंप दिए थे।
वीरभद्र सिंह सरकार पर भाजपा पहले से बदले की भावना से कार्रवाई करने के आरोप लगा रही है। अगर इस मामले मे मोदी सरकार के कार्मिक विभाग से कोई स्ट्रीक्चर सामने आए तो वीरभद्र सरकार मुश्किल में पड़ सकती है। साथ ही एचपीसीए में दायर मुकदमों पर भी उल्टा असर पड़ेगा।पूर्व आईपीएस ए एन शर्मा के मामले में अभियोजन मंजूरी के मामले में पूर्व राज्यपाल उर्मिल सिंह पहले ही अफसरों के लिए स्ट्रीक्चर पास कर गई है।
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