नई दिल्ली। कोल आवंटन घोटाले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर 46 कोल ब्लॉक के आवंटनको रदद करने और न करने के बारे में फैसला लेने के जिम्मा सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया है। केंद्र ने साथ ही कुछ मसलों पर भी अदालत से फैसला देने का आग्रह किया है और कुछ सुझाव भी दिए है।
कोल मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी संजय सहाय अखोरी की ओर से दिए हलफनाम में सरकार ने कहा है कि जिन्हें कोल ब्लॉक आवंटित किए गए थे उन्होंने जमीन का टाइटल भी हासिल कर लिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इन आवंटनों कोअ वैध ठहरा दिया है। ऐसे में अगर इन्हें दौबारा आवंटित किया जाता है तो जमीन का टाइटल पहले वाले मालिक के पास ही रहेगा।उससे जमीन का टाइटल लेना संभव नहीं होगा।
केंद्र सरकार ने सुझााव दिया है किजिन्हें ब्लॉक आवंटित हुए थे उनसे जमीन खरीद की कीमत के भुगतान पर जमीन का टाइटल केंद्र व उसके नामित को वापस करने के आदेश दें। इसके अलावा 25 अगस्त के अदालत के आदेश के मददेनजर जो माइनिंग लीज बाद में कार्यान्वित की गई उन्हें अवैध घोषित किया जाए।केंद्र ने कहा कि कोल आवंटन के आवंटियो ने ब्लाक के एवज में केंद्र व उसकी एजेंसियों को बैंक गारंटियां दे रखी है जो आवंटन के अवैध ठहराने के बाद भी जीवित है।
केंद्र ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि कोल ब्लॉक के रदद होने पर इन बैंक गारंटियों के बारे में क्या कार्यवाही करनी है इसे लेकर जरूरी निर्देश दें। इसी तरह केंद्र ने जिन 80 कोल ब्लाकों के आवंटन को डिआलॉट कर दिया था उनमें से कइयों ने बैंक गारंटियों को कैश कर लिया है जबकि कइयों के कैश करने पर विभिन्न अदालतों ने रोक लगाने के अंतरिम आदेश दिए है।
केंद्र सरकार ने संबंधित हाईकोर्टों से इन सब याचिकाओं को सुप्रीमकोर्ट में ट्रांसफर करने का आग्रह किया है।लेकिन शीर्ष अदालत की ओर से 25 अगस्त को कोल ब्लाक के आवंटन अवैध ठहरा दिया और ये याचिकाए इंफ्रक्चुअस हो गई है या कर दी जा सकती है।केंद्र ने इन सब मामलों में अदालत से निर्देश देने का आग्रह किया है ।
उधर,केंद्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि अगर शीर्ष अदालत अवैध ठहराए गए कोल ब्लाकों केआवंटन को रदद कर देती है तो पावॅर के मामले में शार्ट टर्म डिस्ट्रप्शन होगी।
सरकार ने आज 46 को लब्लाकों की एक सूची भी अदालत में पेश की जिनमें से 40 ब्लाकों में उत्पादन शुरू हो गया है और छह में उत्पादन शुरू होने वाला है। इन्हें रदद करना है या नहीं ये सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया है।
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