शिमला। जिला लाहुल स्पिति के उदयपुर स्थित ऐेतिहासिक महत्व के मृकुला देवी मंदिर की जर्जर स्थिति को लेकर प्रदेश हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वे को एक सप्ताह के भीतर वैज्ञानिकों की एक टीम गठित करने व उसमें सर्वे की अन्य शाखाओं से प्रतिनिधि शामिल कर इस मंदिर निरीक्षण इसकी मरम्मत के लिए अनुमानिक लागत का ब्योरा अदालत को सौंपने के आदेश दिए है। यह मंदिर प्रदेश एतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
अदालत ने एएसआई को यह आदेश दिए कि मंदिर की मरम्मत , देखभाल और इसके संरक्षण के लिए निधि मुहैया कराए और सुनिश्चित किया जाए के उसके एक महीने के भीतर मरम्मत का काम शुरू हो जाए।
प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक और न्यायामूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जिला कुल्लू की जिला विधिक सेवाएं अथारिटी के सचिव की ओर से मंदिर की जर्जर स्थिति को लेकर सौंपी स्टेटस रपट पर ओर स्वयं संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मानकर सुनवाई की और यह आदेश जारी किए।
विधिक सेवाएं अथारिटी के सचिव ने अपनी रपट में खुलासा किया था किमंदिर के दोनों हिसें के बीच छत झुक रही है और कभी भी धराशायी हो सकती है। इसका एक सबसे पुराना स्तम्भ दरक रहा है। बाहर की ओर की छत भी गिर रही है। मंदिर के रंग को पुरातत्व विभाग ने दोबारा रंग करने के लिए निककाल दिया था लेकिन तब से लेकर अब तक इस दोबारा से रंग नहीं किया गया।
सचिव ने अपनी रपट में कहा था कि एएसआइ ने इस मंदिर को अपने कब्जे में 1989 में लिया था । इसके अलावा मंदिर के पुजारी ने भी अपनी अर्जी अदालत में सौंपी है। इस अर्जी को जिला लाहुल स्पिवति के उपयुक्त को आगामी कार्यवाही के लिए भेज दिया गया था लेकिन इस मंदिर में मरम्मत का काम अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है।
सुनवाई के दौरान अदालत मित्र वंदना मिश्रा ने अदालत के समने बहुत सारे तस्वीरें पेश की । इन तस्वीरें में मंदिर की सिथति बेहद जर्जर लग रही है।
मंदिर की छत को लकड़ी के खंबों के सहारे टिकाया गया है। मंदिर के हरेक दीवार में दरारें ही दरारें हैं। इस मंदिर को पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित धरोहर घोषित किया गया है। अदालत मित्र को पुजारी की ओर उसे बताया गया कि अगर इस मंदिर की मरममत तुरंत शुरू नहीं की गई तो यह मंदिर कभी भी ढह सकता है।
पुरातत्व विभाग की ओर से अदालत में सौपी स्टेटस रपट खंडपीठ ने असंतोष जताते हुए कहा कि जिस रफतार से पुरात्तव विभाग काम कर रहा है अगर यही रफतार रही तो इस भवन के अस्तित्व को ही खतरा हो जाएगा।अदालत ने इस मामले में प्रगति रपट को आमाी सुनवाई 13 मई तक सौंपने के निर्देश दिए है।
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