शिमला। नगर निगम शिमला के सांगटी वार्ड की पार्षद की एक सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा हैं। जयराम सरकार के लिए महत्वपूर्ण इस उपचुनाव में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुई पूर्व पार्षद मीरा शर्मा ने कांग्रेस प्रत्याशी को पीछे छोड़ते हुए 44 मतों से जीत हासिल की हैं। मीरा शर्मा को 622 मत मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शिल्पा चौहान 578 मत लेकर दूसरे पर स्थान पर रही। वामपंथी प्रत्याशी रंजना वर्मा को 488 मत ही मिले। 12 मत नोटा के तहत भी पड़े।
मौसम साफ होने के बावजूद ठंड के बीच इस सीट के लिए सुबह से ही मतदान धीमा रहा हैं। मतदान आठ बजे शुरू हुआ व चार बजे तक मतदान के समाप्त होने तक कुल 43 फीसद मत ही पड़े। इस वार्ड में कुल 3919 मत थे। सुबह के दो घंटो में 9.59 फीसद मतदान हुआ । उसके बाद कुछ रफतार तेज हुई और 12 बजे तक 23.6 और दो बजे तक 37.43 फीसद मतदान हुआ। आखिर में 43 फीसद मतदान पर यह चुनाव निपट गया। जिला उपायुक्त अमित कश्यप ने कहा कि कुल 1700 मत पड़े।
इन दिनों स्कूलों में छुटिटयां हो जाती हैं, ऐसे में अधिकांश परिवार अपने गांवों को चले जाते हैं। राजधानी शिमला में अधिकांश आबादी बाहर की हैं। खास पहाड़ के लोग यहां पर ज्यादा हैं।
गौरतलब हो कि मीरा को जीताने के लिए शिमला से भाजपा विधायक व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के अलावा भाजपा के मुख्य सचेतक व भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा और बलवीर वर्मा ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। वामपंथ से कांग्रेस होते हुए भाजपा में पहुंची मीरा शर्मा के लिए भी यह जीत बेहद महत्वपूर्ण हैं।
याद रहे वह सबसे पहले वामपंथी पार्टी माकपा से निगम की पार्षद बनी थी। इस बार वह कांग्रेस में शामिल हुई और कांग्रेस पार्टी से भी वह जीत गई। उन्होंने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया । इसके बाद खाली हुई इस सीट के लिए भाजपा को चेहरे की तलाश करनी पड़ी। आखिर भाजपा ने कांग्रेस की मीरा शर्मा को पार्टी में शामिल करवाया व स्थानीय भाजपाइयों के विरोध के बाद उन्हें पार्षद का प्रत्याशी बनाया। इस पूरे आपरेशन को शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज और चौपाल से भाजपा विधायक बलवीर वर्मा ने अंजाम दिया। जीत के बाद सुरेश भारद्धाज ने तो कहा भी कि इस जीत का श्रेय बलवीर वर्मा को जाता हैं।
बलवीर वर्मा ही मीरा को भाजपा में लाने की मुहिम छेड़े हुए थे व वह इसमें कामयाब भी हो गए। दिसंबर 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी चारों सीटें जीतने के बाद अब तक भाजपा ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा हैं। मुख्यमंत्री जयराम को इस जीत से खासी राहत मिली हैं। पार्टी में उनके विरोधियों ने कहना शुरू कर दिया था सरकार में कोई काम नहीं हो रहे हैं। लेकिन इस जीत ने विरोधियों के मुंह बंद रखने का काम कर दिया हैं। हालांकि यह छोटा चुनाव था।
दिलचस्प यह है कि कांग्रेस पार्टी अपनी हार का सिलसिला नहीं तोड़ पाई हैं। यहां से कांग्रेस विधायक अनिरूद्ध सिंह अकेले ही मोर्चा संभाले हुए थे। उन्हें वीरभद्र सिंह का साथ भी नहीं मिला जबकि सुक्खू की कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान पूरी तरह से गायब थी। अनिरूद्ध सिंह कांगे्रेस के नए अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को जीत का तोहफा नहीं दे सके।
(1)