शिमला। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में हुई भर्तियों को लेकर योग्यता पर सवाल उठाने वाली एक चिटठी बाहर आ गई है। चिटठी में एक महिला ने रेगुलर अस्सिटेंट प्रोफेसर लगाने की एवज में ….मांग व योग्यता को दरकिनार करने का इल्जाम लगाकर सनसनी फैला दी है।
इस महिला ने राष्ट्रीय महिला आयोग को एक पेज की चिटठी में जो लिखा है अगर वो सच है तो हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के लिए ये एक बड़ा कलंक हो सकता है।बहरहाल इस चिटठी की सत्यता व इसके कंटेंंट की रिपाेेर्टर्ज आइ डॉट कॉम पुष्टि नहीं करता है।इसलिए इस स्टेज पर ये पूरी चिटठी पब्लिक करना किसी भी पक्ष के साथ न्याय नहीं होगा। चिटठी फर्जी नाम से भी लिखी गई हो सकती है।चूंकि मामला नियुक्तियों का है व विवि नियुक्तियों को लेकर कई सालों से विवादों में रहा हैं।
इस महिला ने चिटठी में एक महिला का जिक्र किया है व कहा एपीयू ने जिस महिला को नियुक्ति दी वो 39 वें नंबर पर थी जबकि वो मेरिट में दूसरे नंबर पर थी।उसे नियुक्ति नहीं दी गई। 39वें नंबर वाली को नियुक्ति दे दी गई। इसके अलावा इस महिला ने विवि के एक बड़े ओहदेदार व नियुक्त की गई महिला की कॉल डिटेल की जांच करने की भी मांग की है व कहा है कि कॉल डिटेल से पता चल जाएगा कि इस ओहदेदार व इस महिला के बीच कब- कब और किस- किस समय कितनी -कितनी देर तक बातचीत होती रही हैै।चिटठी में दो फोननंबर भी दिए गए हैं।इस स्टेज पर उन्हें पब्लिक नहीं किया जा रहा है।
उसने लिखा है कि उसने 2011 व 2013 में अस्सिटेंट प्रोफेसर की पोस्ट के लिए आवेदन किया व 2012 में इंटरव्यू के दौरान उसने उक्त ओहदेदार से रेगुलर नियुक्ति देने का आग्रह किया। ओहदेदार ने उसे इंटरव्यू में अपीयर होने को कहा।इसके बाद भी कई कुछ और भी लिखा है जो बेहद संगीन है। महिला ने लिखा कि जब 23 सितंबर 2016 को रिजल्ट घोषित हुआ तो उसका कहीं नामों निशान नहीं था। महिला ने ये नहीं लिखा है कि उसने किस विषय के लिए आवेदन किया था।
महिला ने चिटठी में लिखा है कि उसके दो बेटे हैं व अब वो कहीं की नहीं रही है अगर उसे इंसाफ न दिलाया गया तो आत्महत्या कर लेगी साथ ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर इस ओहदेदार व रसूखदार शख्स को संरक्षण देने का इल्जाम लगा दिया है।
चूंकि अब प्रदेश में चुनाव का मौसम शुरू होने वाला ऐसे में इस तरह की संगीन चिटिठयां मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को राजनीतिक संकट में डाल सकती है।अगर ये साजिशन भी है तो भी मुख्यमंत्री के लिए खतरे की घंटी है। प्रदेश के सीआईडी प्रमुख मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारी है ऐसे में गुप्त जांच तो हो ही सकती है।फोन डिटेल्ज तो निकाली ही जा सकती है।
इस चिटठी में महिला ने अपना पता नहीं दिया है। ऐसे में हो सकता है कि चिटठी गलत नाम से लिखी गई हो। चूंकि आरोप संगीन है। विवि से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नियुक्तियों का मामला हैं ऐसे में नार्को तो होना ही चाहिए इसके अलावा फोन कॉल डिटेल भी देखी ही जा सकती है। विवि में अकादमिक योग्यता को दरकिनार कर राजनीतिक योग्यता के आधार पर नियुक्तियां करने के आरोप लगते रहे है।पूर्व सरकारों ने कई मामलों जांंचे भी बिठाई व मामले अदालतों तक गए हैं।ऐसे में महिला के संगीन आरोपों को अगर छोड़ भी दे तो नियुक्तियां योग्यता के आधार पर हुई हैंं या नहीं इसकी जांच पड़ताल तो होनी ही चाहिए।चिटठी में बड़े ओहदेदार के अलावा दो प्रोफेसरों का भी जिक्र है व लिखा है कि इन्होंने कम योग्यता वाली महिला को नियुक्त करने का विरोध किया था। इन दोनों प्रोफेसरों से भी पूछताछ होनी चाहिए।नार्को भी होना चाहिए।
भाजपा पहले ही मुख्यमंत्री को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है, उस पर इस तरह की चिटिठयां,कई सवाल खड़े करती है।पिछले साल ही केबिनेट मंत्री कौल सिंह की ही एक संगीन आडियो बाहर आ गई थी।तब चुनाव दूर थे अब करीब आ गए है।
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