शिमला।हिमाचल किसान सभा,सेब उत्पादक संघ सब्जी व सीटू ने प्रदेश कीवीरभद्र सिंह सरकार पर हमला बोला है।सब्जी मंडी ग्राउंड ग्राउंड शिमला में प्रदेश भर से आए सैंकड़ों किसानों ने ज़मीन से किसानों की बेदखली रोकने, जंगली जानवरों और आवारा-नकारा पशुओं से निजात की मांग उठाई। इस मौके पर शिमला के मेयर और किसान सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय चैहान ने कहा कि मात्र ढाई महीने में किसान दोबारा अपनी मांगों को लेकर शिमला आने पर मजबूर हुए हैं जो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार की विफलता को साबित करता है। उन्होंने किसानों की समस्याएं हल न करने पर सरकार की कड़े शब्दों में निंदा की।
जनसभा को सम्बोधित करते हुए सेब उत्पादक संघ के राज्याध्यक्ष राकेश सिंघा ने कहा कि अगर सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस नीति नहीं बनाती और किसानों की बेदखली को नहीं रोकती तो प्रदेश की जनता सरकार को बेदखल करने के लिए तैयार है। उन्होंने सरकार पर लानत भेजते हुए कहा कि सरकार अगर अब तक हुई किसानों की बेदखली के आंकड़े और तथ्य जुटाए तो उसके लिए शर्म की बात होगी क्योंकि सरकार ने अब तब जिन किसानों के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलवाई है वे गरीब नहीं बल्किि उनमें से अधिकतर अति गरीब किसान हैं, विधवा महिलाएं हैं।
राकेश सिंघा ने कहा कि 27 अगस्त की किसान रैली के बाद हुई वार्ता में मुख्यमंत्री ने खुद माना था कि किसानों का बिजली-पानी काटने का आदेश कानूनन गलत है और उनके विभाग से गलती हुई है। सिंघा ने कहा कि मुख्यमंत्री के कबूलनामे के बावजूद किसानों के बिजली-पानी के कनेक्शन काटे जा रहे हैं और घर तोड़े जा रहे हैं। बागीचों में पेड़ों की प्रूनिंग और उन्हें काटना जारी है। उन्होंने कहा कि इसका सीधा अर्थ है कि अपने विभागों पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहा। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रभावहीन सरकार को स्वयं सत्ता छोड़ देनी चाहिए। सिंघा ने विपक्षी भाजपा को भी लताड़ लगाई और कहा कि पहले उसने ज़मीन नियमित करने के नाम पर 2002 में शपथपत्र लेकर किसानों का मूर्ख बनाया और अब किसानों पर हो रही बेदखली की कार्रवाई पर चुप्पी साधे हुए है।
वहीं हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डाॅ. कुलदीप तंवर ने कहा कि सरकार ने अतिक्रमण के दायरे में आए लोगों को चुनाव लड़ने से रोकने को असंवैधानिक करार दिया और नागरिक अधिकारों का हनन बताया। उन्होंने कहा कि किसान संगठन इसका कड़ा विरोध करते हैं। डाॅ. तंवर ने कहा कि जब तक किसी व्यक्ति के खिलाफ जुर्म साबित नहीं हो जाता उसे चुनाव लड़ने से रोकना नाजायज़ है। उन्होंने तीन पीढी के अतिक्रमण की शर्त को हास्यस्पद बताया। डाॅ. तंवर ने सरकार और विपक्ष दोनों पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर यह नियम पंचयतों पर लागू होता है तो विधानसभा और संसद पर क्यों नहीं जबकि इन निकायों में कितने ही नेताओं पर सरकारी ज़मीन हड़पने के मामले चल रहे हैं। प्रदेश की विधानसभा में भी इस तरह के कई प्रतिनिधि मौजूद होंगे, पहले उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए उसके बाद आम जनता पर यह नियम लागू करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भूमि के मुद्दे पर गठित उच्च स्तरीय कमेटी की पिछले ढाई महीने में मात्र एक ही बैठक हुई है जिससे स्पष्ट होता है कि इस मुद्दे का हल निकालना सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।
किसान सभा के कार्यकारी सचिव कुशाल भारद्वाज ने जंगली जानवरों और आवारा-नकारा पशुओं से निजात दिलाने की मांग उठाई और कहा कि सरकार इस समस्या को समयबद्ध तरीके से सुलझाए। इनकी वजह से किसानों ने अपनी ज़मीने बीजना तक छोड़ दिया है।
जनसभा को सीटू के राज्य सचिव डाॅ. कश्मीर ठाकुर ने भी सम्बोधित किया और किसानों को आश्वासन दिया कि अगर सरकार किसानों की समस्याओं को हल नहीं करती तो मज़दूर किसानों के साथ मिलकर सरकार का विरोध करेंगे।
जनवादी महिला समिति की राज्य सचिव जयवंती ने भी जनसभा का सम्बोधित किया। अन्य वक्ताओं में सिरमौर किसान सभा के अध्यक्ष रमेश वर्मा, कांगड़ा से सतपाल, सोलन से गणेशम, कुल्लू से नारायण चैहान शामिल थे। जनसभा में किसान सभा के राज्य सचिव डाॅ. ओकार शाद, शहर के डिप्टी मेयर टिकेन्द्र पंवर, जगतराम, विश्वनाथ शर्मा, विजेन्द्र मेहरा, संतोष कपूर, फालमा चैहान, सोनिया, किशोरी डडवालिया, जयशिव ठाकुर, विवेक कश्यप, सुखदेव चैहान, प्रताप ठाकुर विशेष तौर पर शामिल रहे।
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