शिमला। अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर के पूर्व अध्यक्ष व आइएएस अधिकारी सुरेंद्र मोहन कटवाल को आज राज्य विजीलेंस की टीम ने ऊना से गिरफतार कर लिया है। उन्हें हमीरपुर की अतिरिक्त सेशन जज अजय मेहता की अदालत में पेश किया गया व अदालत ने उन्हें कंडा जेल भेजने केआदेश दे दिए। उन्हें कल कंडा जेल ले लाया जाएगा। वह आज हमीरपुर की जेल में ही रहेंगे।
विजीलेंस सूत्रों के मुताबिक कटवाल आज सुबह ऊना में पेंशन के मामले में लाइफ सर्टिफिकेट देने ट्रेजरी गए थे। किसी ने ट्रेजरी से विजीलेंस को सूचना दे दी व विजीलेंस ने कटवाल को दबोच लिया।
इसके बाद उन्हें हमीरपुर की अदालत में पेश किया गया। सूत्रों के मुताबिक कटवाल ने अपना हुलिया बदला हुआ था लेकिन वह विजीलेंस को चकमा देने में नाकाम रहे ।
गौरतलब हो कि 1998 से 2003 के बीच की धूमल सरकार में उन्हें अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर का पहले सदस्य लगाया गया था व बाद में उन्हें अध्यक्ष लगा दिया गया। तब विपक्ष में रहते कांग्रेस पार्टी खास कर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बोर्ड में नौकरियां बेचने का इल्जाम लगाया थ।
2003 में प्रदेश में सता बदल गई और वीरभद्र सिंह ने सता में आते ही सबसे पहले बोर्उ के कार्यालय में अपने सबसे करीबी पुलिस अधिकारी रमेश छाजटा की कमान में विजीलेंस टीम से छापा डलवाया था।
विजीलेंस ने आखिर में कटवाल के खिलाफ कई मामले दर्ज किए व कटवाल को एक मामले में सेशनजज के कोट से सजा हो गइ्र। इसके बाद उन्हें हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो वह सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट 14 जुलाई 2016 के अपने फैसले में उनकी एक साल की सजा बहाल रखी।
वह तभी से भूमिगत थे। वह एक महीने तक जांच के दौरान जेल में रह चुके थे। सो अब ग्यारह महीने की सजा बची हैं।
Ñउसके बाद वह भूमिगत हो गए। इस मामले में बोर्ड के तत्कालीन सदस्य विद्यानाथ व दो अन्य दोषी ऊना के मदन गोपाल और चंबा के राकेश को भी सजा हुई थी। ये तीनों सजा भुगत रहे थे। लेकिन कटवाल भूमिगत ही रहे। उन्हें अदालत से कई बार पेश होने के लिए वारंट जारी किए गए। आखिर में उन्हें भगौड़ा घोषित कर दिया। लेकिन वह हाथ नहीं आ रहे थे।विजीलेंस ने उनके ठिकानों पर छापेमारी भी की थी ।
राज्यपाल के पास लंबित हैं दया याचिका
अधिक उम्र व खराब स्वास्थ्य के आधार पर कटवाल न वकील के जरिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत के समक्ष दया याचिका दायर कर रखी है। राजभवन की ओर से इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई हैं। समझा जा रहा है कि कटवाल की गिरफतारी हो जाने के बाद अब इस दया याचिका पर आगे बढ़ा जाएगा।
वीरभद्र के चिटों भर्ती मामले को ले गए थे हाईकोर्ट
जब वीरभद्र सिंह कटवाल के खिलाफ विजीलेंस जांच चला रहे थे उसी समय 2003 से 2007 के बीच कटवाल ने वीरभद्र सिंह के चिटों पर भर्ती करने के घोटाले को प्रदेश हाईकोर्ट में ले गए थे। हाईकोर्ट
ने इस्स मामले में एसपी स्तर के अधिकारी से जांच कराने के आदेश दिए थे। कटवाल ने चिटों पर भर्ती को लेकर पूर्व आइएएस अवय शुक्ला व हर्षगुप्ता की जाच रिपोर्टों को आधार बनाया था। दिसंबर 2007 तक प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सरकार सता में रहे।दिसबंर 2007 के बाद प्रदेश में धूमल की सरकार आई लेकिन उन्होंने ने भी इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं किया ।
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