शिमला। हिमाचल की राजधानी शिमला के ऐतिहासिक माल रोड़ पर प्राइम लोकेशन पर मोदी सरकार के वित मंत्री अरुण जेटली के करीबी का होटल विलो बैंक ‘’वाटर घोटाले’’ के उखड़ने से एक बार फिर से विवादों में आ गया है। इसके साथ ही 2003 से लेकर सता में रही प्रदेश की वीरभद्र सिंह व धूमल सरकारें भी सवालों में आ गई है।सरकारें ही नहीं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की अपनी भूमिकाएं संभवत: संदिग्ध रही है। नगर निगम की ओर से होटल विलो बैंक के खिलाफ आठ पानी के डोमेस्टिक कनैक्शन और एक कमर्शियल कनेक्शन इस्तेमाल करने को लेकर जांच की जा रही है । इससे पहले ये होटल नियमों को दरकिनार की एक मंजिल और बना देने को लेकर विवादों में आया था । इस मामले में एक जांच में प्रदेश के पांच आईएएस व एचएएस अफसर सवालों में घिरे थे। चूंकि इस होटल से जेटली का कनेक्शन था तो वीरभद्र सिंह व धूमल ने कहीं कुछ नहीं किया। ये विवाद अदालत में भी गया था।
नगर निगम ने विलो बैंक पर सितंबर 2003 से 31 मार्च 2015 तक निगम का पानी डोमेसिटक दरों पर इस्तेमाल करने की एवज में 2 करोड़ 63 लाख 76 हजार 202 रुपए की रिकवरी केलकुलेट की है। ये राशि 31 मार्च 2015 तक की है। इसके बाद से लेकर अब तक एक और साल हो गया है निगम ने न तो कनेक्शन काटे हैं और न ही इन कनेक्शनों को कमर्शियल किया है।ये अपने आप में अजीब है और वामपंथी मेयर संजय चौहान व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर पर भी अंगुलियां उठ रही है। आखिर कार्यवाही की प्रक्रिया धीरे क्यों चल रही है । नगर निगम इस मामले में सितंबर 2015 में निगम के कानूनी शाखा से भी कानूनी राय ली है। कानूनी शाखा के इंचार्ज मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी अफसर है।उनकी कानूनी राय समीक्षा करनेलायक है। इस राय में कार्यवाही करने की सिफारिश की गई है।
शहर की जनता पानी के लिए त्राही -त्राही कर रही है और उनको महंगी दरों पर पानी मुहैया कराया जा रहा है जबकि रसूख वालों को एक नहीं आठ आठ कनेक्शन पिछले 12 सालों से डोमेस्टिक स्तर के दे रखे है। जाहिर है ये सब नगर निगम के अफसरों व कर्मचारियों की मिलीभगत से ही हो रहा है ।
जानकारी के मुताबिक निगम की ओर से गठित जांच कमेटी ने जांच में पाया है कि ये होटल 6सितंबर 2003 को शुरू हो गया था । पर्यटन विभाग की ओर से निगम को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक इस होटल में 45 कमरे है जिसमें से होटल के 25 कमरे 2003 में शुरू हो गए थे12007 में 10 और कमरे और 2008 में 10 कमरे जुड़ गए व इनका व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू हो गया। यानि इन कमरों में आकुपेंसी शुरू हो गई थी। लेकिन यहां पहले से चल रहे डोमेस्टिक कनेक्शनों को कभी कमर्शियल नहीं किया गया । 2003 से लेकर अब तक प्रदेश में कांग्रेस की वीरभद्र सिंह और भाजपा की प्रेम कुमार धूमल की सरकारें रही हैं। लेकिन दोनों आपस में टवेंटी -टवेंटी खेलते चले आ रहे है।
बताते है के अब भी सिथति अलहदा नहीं है। नगर निगम के अफसर व कर्मचारी इस हाइ प्रोफाइल होटल के खिलाफ कार्रवाई करने से छिटकना चाहते है।
नगर निगम की जांच में सामने आया है कि विलो बैंक होटल वाले स्थान में पहले नौ किराए दार रहते थे। इनमें मंजीत सिंह, डीएफओ का कार्यालय,प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डाक्टर यशवंत सिंह परमार की पत्नी सत्यवती परमार,विलो बैंक के जनरल मैनेजर,ललित प्रसाद,टरश राम, बिहारी लाल,ज्ञान चंद के नाम से पानी के घरेलू कनैकशन लगे हुए है। इसके अलावा यहांपर कभी सिलाई प्रशिक्षण केंद्र चला करता था। इस संस्थान की मुख्याध्यापिका के नाम से केवल एक कमर्शियल कनेक्शन लगा हुआ है ।
इस बावत होटल विलो बैंक के मालिक व एमडी एचएस कौछड़ से बातचीत नहीं हो सकी । होटल के केयरटेकर जसबिंदर कपूर ने रिपोर्टर्स आइ डॉट कॉम को बताया कि वो बीते रोज की दिल्ली गए है व एक सप्ताह बाद आएंगे।
उन्होंने कहा कि निगम से उनको इस तरह का कोई नोटिस नहीं मिला है। नगर निगम के अफसरों से बातचीत हुई हें निगम ने कहा कि नोटिस भेजा जाएगा। अभी तक कोई नोटिस नहीं आया है। उन्होंने आगे जोड़ा कि विलो बैंक एक अकेली प्रापर्टी नहीं है ये पूरी एस्टेट है । यहां पर कई किराए दार रहते है जिनके डोमेस्टिक पानी के कनेक्शन अभी तक चले हुए है व ये मामले विवादास्पद है।
ये पूछने पर कि होटल के पास कमर्शियल कनेक्शन कितने है , इसका सीधा जवाब नहीं दिया । कपूर बोले कि ये तो कोछड़ ही बता पाएंगे।अगले सप्ताह आ जाएंगे। हालांकि उन्होंने जोड़ा कि अगर निगम का बकाया होगा तो वो देना तो पड़ेगा ही।
उधर मेयर संजय चौहान ने कहा कि उन्होंने निगम कमिशनर को आदेश दिए है कि इस मामले की जांच करे व तुरंत रिकवरी करे। इसके अलावा शहर में अगर इस तरह के और कनेक्शन भी हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई करे। अब तक कनेक्शन क्यों नहीं काटे इसका उनके पास भी जवाब नहीं था। उनका इतना कहना था कि कानून के मुताबिक काम हो रहा है।
उधर,कहा ये जा रहा है कि इस मामले में निगम के अफसर व कर्मचारी इस मामले के हाइप्रोफाइल होने के चलते कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं । कहा जा रहा है कि वामपंथी मेयर व डिप्टी मेयर भी फूंक – फूंक कदम रख रहे है।
यहां ये उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व मोदी सरकार के वित मंत्री अरुण जेटली के बीच वीबीएस रिश्वत कांड और एचपीसीए मामले को लेकर जंग चली हुई है। ऐसे में जेटली के करीबी के इस होटल के मामले में क्या होगा ये देखना अभी बाकी है।
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