शिमला। केंद्र की मोदी सरकार व केंद्रीय वित मंत्री अरुण जेटली ने वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों की आय पर जांच का पहरा बिठा दिया है । हालांकि जेटली व हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की उम्मीदों को प्रदेश हाईकोर्ट नेसोमवार को हलका सा झटका भी दिया है। बावजूद इसके वीरभद्र सिंह व उनका परिवार इस भंवर से बाहर निकलता नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों की आयकर रिटर्नों की जांच को आयकर आयुक्त चंडीगढ़ के सुपुर्द करने के आयकर आयुक्त शिमला के आदेश पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने आयकर विभाग से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
आयकर आयुक्त शिमला ने वीरभद्र सिंह,उनके बेटे व प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य,मुख्यमंत्री की पत्नी प्रतिभा सिंह, उनकी बेटी अपराजिता,उनके सेब के बगीचों के केयरटेकर आनंद शर्मा,उनके बगीचों के सेब खरीदने वाले आढ़ती मैसर्स यूनिवर्सल एप्पल के चुन्नी लाल के आयकर मामलों को जांच के लिए आयकर उपायुक्त सेंट्रल सर्कल चंडीगढ़ के लिए जांच को स्थानातंरित कर दिया था।आयकर आयुक्त शिमला ने अपने आदेश में कहा था कि यह स्थानातंरण इन मामलों की संयुक्त व समन्वित जांच करने के लिए किया गया है।
इन सभी ने आयुक्त आयकर शिमला के स्थानातंरण के इन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी व कहा कि संयुक्त व समन्वित जांच तो शिमला में भी हो सकती है। इसलिए इन मामलों को चंडीगढ़ भेजने की जरूरत नहीं है इससे इससे केवल इन सबकी परेशानी ही बढ़ेगी। जिस पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मंसूर अहमद मीर और जस्टिस त्रिलोक चौहान ने वीरभद्र समेत सभी को स्टे दे दिया है।
आयकर विभाग ने हाईकोर्ट में बेशक इन मामलों की संयुक्त व समन्वित जांच करने का आधार बनाकर मामलों को शिमला से चंडीगढ़ स्थानातंरित किया हो लेकिन विभागीय सूत्रों के मुताबिक असल कहानी कुछ और ही है।कहा जा रहा है कि शिमला के आयकर विभाग के अधिकारियों की निष्ठा पर धूमल व उनके बेटों ने अपरोक्ष तौर पर सवाल उठाए थे व इन मामलों को यहां से स्थानांतरित करने की मांग की थी।
केंद्रीय वित मंत्री अरुण जेटली ने वीरभद्र सिंह की आय को लेकर विधानसभा चुनावों से पहले कई सवाल उठाए थे। चूंकि अब वो केंद्र में वित मंत्री है तो धूमल ने उन्हें वीरभद्र सिंह के इन मामलों की याद दिलाई।जेटली ने कोई देरी नहीं की और जो अधिकारी वीरभद सिंह व बाकी संबधित लोगों के आयकर का मामला देख रहे थे उनसे ये छीन लिया गया।वीरभद्र सिंह सरकार ने धूमल और उनके सांसद बेटे अनुराग के खिलाफ एचपीसीए मामले में अदालत में चालान पेश कर रखा है। जिसमें अभी एक भी सुनवाई नहीं हुई है।
अनाधिकृत आरोप ये लगाया कि ये अफसर वीरभद्र सिंह के मामलों में ये अफसर उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे है।इसके बाद वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों की ओर से फाइल की गई रिवाइज्ड रिटर्न को जांच के दायरे में लाया गया और मामला चंडीगढ़ भेजने का फरमान जारी कर दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कैडर के एक वरिष्ठ आईएएस अफसर की पत्नी आयकर महकमे में बहुत वरिष्ठ पद पर है। इस मामले को लेकर उनसे भी मदद मांगी गई थी। लेकिन कहा जा रहा है कि उक्त महिला अफसर ने किसी भी तरह की मदद कर पाने में विवशता जाहिर की थी।बाद में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद इन मामलों को शिमला से ही स्थानांतरित कर दिया। ताकि वीरभद्र सिंह व उनके नेटवर्क को उनके मामले में क्या हो रहा है इसकी भनक न लगे।
आयकर विभाग ने इन मामलों को स्थानांतरित करने के अपने आदेश में कहा था कि वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों आय में रिवाइज्ड रिटर्न में नाटकीय तौर पर बढ़ोतरी हुई है।इसमें बीमा पॉलिसियों को खरीदने में निवेश को उचित ठहराने की असफल कोशिश की गई है। इसके अलावा जिनकी आय का आकलन किया गया है उनके बीच, वक्कामूला चंद्रशेखर और तारिणी इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच करीबी और व्यापारिक रिश्ते हैं। इसलिए इन मामलों की संयुक्त व समन्वित जांच की आवश्यकता है।इस तरह सारे मामले डिप्टी कमिश्नर इंकम टैक्स,सेंट्रल सर्कल चंडीगढ़ को स्थानांतरित कर दिए गए। ताकि मामलों की केंद्रित,समन्वित व संकलित जांच को अंजाम दिया जा सके।
मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को लगी है।
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