शिमला। प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के राज में समोसा कांड,मुर्गा कांड , समेत न जाने कितने कांड करवा कर अफसरों ने सरकार और मुख्यमंत्री सुक्खू को बेइज्जत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन अब ऊर्जा निदेशालय में एक नया ‘चपड़ासी बुधराम’ कांड सामने आ रहा है। नौकरशाह सुक्खू सरकार की फजीहत कराने का कोई मौका नहीं चूकते है। कुछ न कुछ जरूर ऐसा गढ़ रखते है कि मुख्यमंत्री निशाने पर आ जाए।
बहरहाल ,इस कांड ने तो सुक्खू सरकार की गवर्नेंस को ही कटघरे में खड़ा नहीं किया है बल्कि पृथम दृष्टया मानवाधिकारों के उल्लंघन की दहलीज को भी लांघ दिया गया है।
मामला ऊर्जा निदेशालय में एक चपड़ासी से जुड़ा है जिसे न तो निलंबित किया है, न बर्खास्त किया है,न कोई जांच की है और न ही कोई आदेश है। बावजूद उसके निदेशालय के ‘टेक्नोक्रैटस और ब्यूरोक्रैटस’ ने उसे सितंबर से घर बिठा दिया है।
सुक्खू सरकार में ये अपनी तरह का अजीबो–गरीब मामला है।
ऊर्जा निदेशालय में चपड़ासी के पद पर तैनात बुधराम सरकार में आज किस विभाग का कर्मचारी है ये किसी को कुछ पता नहीं है। अगर वो ऊर्जा निदेशालय का कर्मचारी है तो फिर बायोमेट्रिक मशीन से उसकी हाजिरी क्यों नहीं लगाई गई।
सबसे गंभीर ये है कि बुधराम को सरकार के किसी अदारे से पांच सिंतबर के बाद न तो वेतन मिल रहा है और ही निर्वाह भत्ता। ये अपने आप में बेहद संगीन मामला है। बिना वेतन के परविार चलाना कितना मुश्किल होता है ये तो मुख्यमंत्री व उनके आला अफसर भी जानते ही होंगे। चपड़ासी के पद पर तैनात किसी कर्मचारी को ये जबरन अदालतों में धकेलने जैसा है।
हाल ही में एचआरटीसी में एक चालक ने आत्महतया कर ली थी तो बवाल पूरे प्रदेश में मच गया था। लेकिन जांच में वहां उसे वेतन व छुटिटया देना पाया गया था। वहां भी एचआरटीसी के आरएम पर इल्जाम लगे थे व उसे निलंबित कर दिया गया था। लेकिन यहां आत्महत्या तो नहीं की गई है लेकिन स्थितियां जरूर पैदा हो रही है। वो उस पर ऊर्जा निदेशालय खुद मुख्यमंत्री सुक्खू के अधीन है।
उधर, दिलचस्प ये है कि चपड़ासी बुधराम को जिन अधिकारियों ने इस मुकाम तक पहुंचाया है वो मौज कर रहे है। इनमें ऊर्जा निदेशालय में तैनात बुधराम के कंट्रोलिंग अफसरों से लेकर प्रदेश सरकार के नौकरशाह सब शामिल है और वो अपना पूरा वेतन भी हासिल कर रहे है।
इस मामले ने प्रदेश में तैनात सबसे Elite Service ‘IAS’ की तमाम अवधारणा को ही तबाह कर दिया है।
बुधराम की प्रताड़ना का ये मामला मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी आइएएस अधिकारी व तत्कालीन निदेशक ऊर्जा ऋिषिकेश मीणा के समय का है।
मई 2024 में बुधराम की बेटी की शादी के बाद स्थानीय रस्म के लिए उसने निदेशालय में अपने आला अफसरों को छुटटी की अर्जी 28 मई को दे दी। उसे बेटी की शादी के बाद स्थानीय रस्म के लिए तीन जून से छह जून तक छुटटी की जरूरत थी। अफसरों ने उसकी छूटटी मंजूर की या नहीं ये अलग मसला है। अगर मंजूर नहीं की थी तब तो ये बेहद ही संगीन मामला है।
याद रहे मुख्यमंत्री सुक्खू की खुद की भी दो बेटियां है और उन्हें अंदाजा है ही बेटियों की शादी के लिए पिताओं को क्या-क्या करना पड़ता है। इसके अलावा बुधराम जैसे लोगों लिए तमाम तरह की बेडि़या अलग से है। हालांकि कायदे से तत्कालीन निदेशक समेत बाकी अफसरों को बुधराम की बेटी को शगून भेजना चाहिए था।
बहरहाल,बेटी की शादी की रस्म के बाद जब बुधराम डयूटी पर लौटा तो किसी ने कुछ नहीं कहा। लेकिन इस बीच कहीं कुछ हो चुका था। जिसका नजला बुधराम पर गिरना शुरू हो गया । (ये जरूर कोई अलग कहानी होंगी जो शायद कइयों के हित में नहीं होंगी।।
इस बीच अचानक 27 जुलाई 2024 को बुधराम को ऊर्जा निदेशालय की ओर से शो काज नोटिस थमा दिया जाता है। उसे उपरोक्त छुटटी बिना मंजूर कराए घर पर रहने का जवाब मांगा जाता है। इसके अलावा उसके आचरण को लेकर भी सवाल उठाए जाते है। इसका जवाब दो अगस्त 2024 को निदेशालय को भेज दिया जाता है।
इसके बाद निदेशालय ने चार सितंबर को एक चिटठी बुधराम को थमा दी कि उसे रिपैट्रिएट कर दिया गया है और वो अपने मूल विभाग डा.यशवंत सिंह परमार बागवानी व वानिकी विवि नौणी में वापस चला जाए।
बुधराम दूसरे ही दिन नौणी विवि ज्वाइन करने चला गया लेकिन विवि प्रशासन ने उसकी ज्वाइनिंग नहीं ली और वित विभाग की चिटठी का हवाला देकर उसे वापस ऊर्जा निदेशालय भेज दिया। वित विभाग की इस चिटठी में लिखा था कि सरप्लस कर्मचारी को दूसरी विभाग में भेज दिए जाने के बाद उसे वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।
बहरहाल,बुधराम 9 सितंबर को वापस निदेशालय पहुंच गया व अफसरों को अपनी ज्वाइनिंग दे दी। लेकिन निदेशालय की बायोमेट्रिक मशीन में उसकी हाजिरी दर्ज नहीं की। तब से लेकर उसकी हाजिरी नहीं लग रही है।
निदेशालय ऊर्जा ने 11 सितंबर 2024 को बुधराम को रिपैट्रिएट करने को लेकर एक चिटठी ऊर्जा विभाग के स्पेशल सचिव को लिखी जिसमें लिखा गया कि ऊर्जा निदेशालय को बुधराम की जरूरत नहीं है। इसलिए उसे रिप्रैट्रिएट किया जाए। उसका आचरण भी ठीक नहीं है व वो निर्देशों की पालना भी नहीं करता है।
लेकिन इस चिटठी के साथ उसे ऊर्जा निदेशालय के पूर्व निदेशक अजय शर्मा, मानसी सहाय के समय उसे खराब आचरण को लेकर किसी अधिकारी की ओर से जारी किए गए मेमो या शो कॉज नोटिस का कोई हवाला नहीं दिया गया है।यही नहीं वो ऋषिकेश मीणा के साथ भी दो ढाई साल काम करते रहे लेकिन तब भी बुधराम को भेजे किसी मेमो व नोटिस का जिक्र इस चिटठी के साथ नहीं किया गया ।
इसके अलावा बुधराम के आचरण को लेकर कोई शिकायत आई हो और कोई जांच की गई हो ऐसा भी कोई जिक्र कहीं नहीं किया गया।एसका आचरण ठीक नहीं है इसका कोई तो सबूत होना ही चाहिए। लेकिन कहीं कुछ भी अभी तक सामने नहीं आया है।
अचानक बेटी की शादी के बाद की रस्म को छुटटी लेने के बाद कहीं कुछ गड़बड़ हुआ है। जो बाहर नहीं आ रहा है।
अब बड़ा सवाल ये है कि चार सितंबर को निदेशालय ऊर्जा की ओर से उसे नौणी विवि को रिपैट्रिएट करने का कदम क्या गैर कानूनी था। हर विभाग में एक स्थापना शाखा होती है जो इस रह के तमाम नियमों से रूबरू होती है। रिपैट्रिएट किए गए कर्मचारियों को वापस भेजने के लिए अगर वित विभाग की चिटठी नौणी विवि के पास थी तो वो निदेशालशय ऊर्जा के पास भी होनी चाहिए। वो पहले बुधराम को रिपैट्रिएट करने की इजाजत बिजली सचिव से मांग लेते और उसे कानूनन रिप्रैट्रिएट कर देते है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ऊर्जा निदेशालय ने 11 सितंबर 2024 को स्पेशल सचिव बिजली को चिटठी लिख कर बुधराम के मामले को वित विभाग के समक्ष उठाने का आग्रह किया गया है। इस चिटठी में लिखा गया है ऊर्जा निदेशालय को बुधराम की जरूरत नहीं है। इसके अलावा उसका आचरण और व्यवहार भी ठीक नहीं है। वो निर्देशों को भी नहीं मानता। उसे रिप्रैट्रिएट किया जाए।
लेकिन इस बावत कोई जांच रपट या कुछ और घटनाओं का जिक्र या कोई दस्तावेज सलंग्न नहीं किया गया है।
अब ये मामला ऊर्जा निदेशालय के अलावा विशेष सचिव बिजली के नोटिस में सितंबर महीने से है। इसके अलावा स्पेशल सचिव बिजली ने इसे वित महकमे को भी भेजा ही होगा। तो ये मामला वित विभाग के नोटिस में भी है। लेकिन सितंबर से अब तक बुधराम के मामले में कहां क्या हुआ है किसी को कुछ पता नहीं है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की टीम ने कहां-कहां क्या कर रखा है इस बावत जानकारियां जुटाने की मुहिम जारी है।
बहरहाल,बुधराम सिंतबर महीने से लेकर अब तक किस विभाग का कर्मचारी है ये ऊर्जा निदेशालय की ओर से भी नहीं बताया जा रहा है। उनका वेतन क्यों रोक दिया गया है इस बावत भी कोई कुछ नहीं कहा जा रहा । उनके खिलाफ कोई जांच रपट है या बुधराम को निलंबित या बर्खास्त किया गया है। इस बावत भी कोई जुबान नहीं खोल रहा है।
ऊर्जा निदेशालय के इस मामले से संबधित आला अफसर अधिशासी अभियंता दीपक धीमान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले वे फोन पर कुछ नहीं कह सकते । उन्होंने कार्यालय में आने की बात की और दूसरे बड़े अधिकारी डिप्टी चीफ इंजीनियर अंशुल शर्मा ने कहा कि वो तो प्रदेश से बाहर है।
इस मसले को जब मौजूदा निदेशक ऊर्जा राकेश कुमार प्रजापति के नोटिस में लाया गया तो उन्होंने कहा कि वो भी प्रदेश से बाहर है। मामले का पूरा विवरण जानने के बाद ही कुछ कह पाएंगे। इसके बाद वो कैबिनेट की बैठक की वजह से धर्मशाला चले गए। उन्होने कहा कि बुधराम के साथ निदेशालय से चीफ इंजीनियर ने संपर्क साधा है और उसे सोमवार को निदेशालय में रिपोर्ट करने को कहा गया है।
अब बुधराम के साथ सोमवार को क्या होगा वो अगली कड़ी में । इसके अलावा राकेश कुमार प्रजापति की ओर से अगर कोई पक्ष भेजा जाता है तो वो अगली कड़ी में साझा यिका जाएगा।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि बुधराम जैसे कर्मचारियों के हकों की मांग को लेकर प्रदेश भर में कर्मचारियों की तमाम यूनियनें भी खामोश ही है। ये यूनियने यूं तो कर्मचारियों के हितों को उठाने के तमाम दावें करती है लेकिन जमीनी स्तर परकहीं कोई आवाज उठती नहीं है।उधर देखना है कि सुक्खू सरकार के मंत्रिमंडल से भी कोई कुछ इस तरह के मसले पर अपनी जुबान खोलता है या नहीं।विपक्षी पार्टी भाजपा व तमाम विधायकों की प्रतिक्रियाओं का भी इंतजार रहेगा।
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