शिमला। अल्पसंख्यक मामलों की केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने क हा है कि अगर किसी मदरसे, स्कूल या संस्थान में देश हित के खिलाफ गतिविधियां होती है तो उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई करने से गुरेज नहीं करना चाहिए। वह राजधानी के पोर्ट मोर स्कूल में भविष्य निधि की ओर से एक हजार रुपए की न्यूनतम पेंशन योजना की शुरूआत करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रही थी।उन्होंने कहा कि मदरसों को लेकर में लोगों मं शक – शुबहा है, और वहां दी जा रही तालीम पर संदेह है। ऐसे में मदरसें वालों को भी चाहिए कि वो लोगों को अपने यहां बुलाएं और बताएं कि वो क्या पढ़ाते है। हालों उन्होंने जोड़ा कि उन्होंने कभी मदरसों में तालीम हासिल नहीं की और न कभी मदरसों में गईं है। लेकिन वहां धार्मिक शिक्षा दी जाती है जो देश में भाईचारे के लिए जरूरी है।
लव जिहाद को लेकर उन्होंने कहा कि उनका जिहाद तो गरीबी और बेरोजगारी को लेकर है। इसके अलावा उन्हें कुछ नहीं मालूम।
नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि देश में वकफ बोर्ड की छह लाख एकड़ जमीन है जिसे विकसित करना है। अगर ये विकसित हो जाए तो बोर्ड को सालाना12 से 20 हजार करोड़ रुपए की आमदनी होगी। लेकिन इस जमीन में से अधिकांश पर अवैध कब्जे है। मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में इन अवैध कब्जों को चिन्हित किया है और इन्हें कब्जेधारियो से छुड़ाया जाएगा।
पारसियों की आबादी बढ़ाने के लिए योजना
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में पारसियों की आबादी लगातार घट रही है और मंत्रालय इनकी आबादी को बढ़ाने के लिए योजना बना रहा है। देश में पारसियों की आबादी 69 हजार रह गई है।इनकी आबादी बढ़नी चाहिए। बाकी मुस्लिमों समेत सभी को परिवार नियोजन अपनाना चाहिए तभी तरक्की होगी। उन्होंने कहा कि अल्पसंस्ख्यकों के छह समुदाय है जिनमें मुस्लिम,बौद्ध,जैन ईसाई,सिख और पारसी है1 इनमें मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है तो उनकी समस्याएं भी सबसे ज्यादा है।गरीबी और सामाजिक पिछड़ापन इनमें सबसे अहम है।
मोदी सरकार की ओर से गांधी जयंती पर चलाए जाने वाले स्वच्छता अभियान का शिमला से आगाज करने चार दिन के प्रवास पर यहां पहुंची नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि अल्पसंख्यकों में शिक्षा को लेकर बहुत कमी है।खासकर लड़कियों की शिक्षा को लेकर बहुत कुछ किया जाना चाहिए।
उन्होंने इस मौके पर मंत्रालय में 100 दिनों में किए कामों का ब्योरा भी रखा।
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