शिमला। बेरोजगारों का तो पता नहीं लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व मुख्य सचिव आइएएस (अब सेवानिवृत)प्रबोध सक्सेना को एक दिन भी ‘वेला’ न रख कर इतिहास रच दिया है।देश भर में कांग्रेस पार्टी के सुक्खू एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री बन गए है जिनने किसी आइएएस अफसर के लिए पूरी ताकत झोंक दी हो ।अगर ऐसी ही तत्परता और तड़प सुक्खू के दिल में प्रदेश के बेरोजगारों और नौकरी का इंतज़ार कर रहे युवाओं के प्रति भी नज़र आती तो न जाने उनका कद कहां पहुंच जाता। लेकिन चंद खास लोगों के लिए उनकी ये तत्परता और तड़प बेहद बेरहम लगती है।
यही नहीं न जाने कितने कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन और पेंशन नहीं मिल रही है लेकिन लाडलों का पूरा इंतज़ाम किया जा रहा है।
याद रहे प्रबोध सक्सेना सीबीआइ के एक मामले में आरोपी है और जिस मामले में वो आरोपी है उसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम भी आरोपी है। बावजूद इसके वो प्रदेश के मुख्य सचिव रहे, उसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र की मोदी सरकार से मुख्य सचिव के पद पर सेवा विस्तार देने के लिए गुहार लगाई। मजे की बात है कि प्रबोध सक्सेना केंद्रीय जांच एजेंसी के एक मामले में आरोपी है बावजूद इसके मोदी सरकार ने प्रदेश की सुक्खू सरकार को प्रबोध सक्सेना को सेवा विस्तार देने के लिए मंजूरी दी।
1990 बैच के हिमाचल काडर के आइएएस अफसर प्रबोध सक्सेना मार्च महीने में सेवानिवृत हो जाने थे। लेकिन मुख्यमंत्री सु्खविंदर सुक्खू ने खुद केंद्र सरकार से उन्हें सेवाविस्तार के लिए गुहार लगाई। ये खुलासा तब हुआ जब सक्सेना के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर में एक याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री की ओर से इस बावत फरियाद की गई थी। ये सेवा विस्तार एक साल के लिए मांगा गया था लेकिन केंद्र ने केवल छह महीने की ही मंजूरी प्रदान की।
साफ है कि सेवानिवृति चंद मिनटों के भीतर प्रबोध सक्सेना को सेवा विस्तार मिल गया था। तीस सितंबर को प्रबोध सक्सेना का सेवा विस्तार भी समाप्त हो गया और वो सेवानिवृत हो गए।
अभी उन्हें सेवानिवृत हुए चंद ही पल हुए थे कि सुक्खू ने उन्हें तीन साल के लिए बिजली बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। साफ है सुक्खू ने सक्सेना को चंद घंटों तक भी ‘वेला’ नहीं रहने दिया और सरकारी खजाने से सक्सेना के लिए गाड़ी, बंगला और मेहनताने का इंतज़ाम कर दिया।
जिस तरह की परिस्थितियों में सक्सेना को ये तमाम इंतज़ाम किए गए है आज तक परमार से लेकर जयराम तक किसी भी मुख्यमंत्री ने किसी आइएएस अफसर के लिए इस तरह के इंतज़ाम नहीं किए है।सुक्खू को ऐसा करने के लिए लंबे समय तक याद किया जाता जाएगा।
दिलचस्प ये है कि बिजली बोर्ड के अध्यक्ष पद पर 1988 बैच के आइएएस संजय गुप्ता विराजमान थे, उन्हें वहां से हटा दिया गया और प्रदूषण नियुंत्रण बोर्ड को अध्यक्ष बनाया गया । लेकिन न जाने क्या हुआ कि 24 घंटों के भीतर संजय गुप्ता को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया और उन्हें चीफ सेक्रेटरी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया।
सभी कहते है कि ये सुक्खू की माया है इसे भगवान भी समझ नहीं पा रहे हैं। बहरहहाल, इतिहास गवाह रहा है क सत्ता को खिलौना समझने के परिणाम बुरे ही रहे है।
बहरहाल,जिस तरह की परिस्थितियों में सक्सेना को ये तमाम इंतज़ाम किए गए है आज तक परमार से लेकर जयराम तक किसी भी मुख्यमंत्री ने किसी आइएएस अफसर के लिए इस तरह के इंतज़ाम नहीं किए ।कहा जा रहा है कि सुक्खू को ऐसा करने के लिए लंबे समय तक याद किया जाता जाएगा।
दिलचस्प ये है कि बिजली बोर्ड के अध्यक्ष पद पर 1988 बैच के आइएएस संजय गुप्ता विराजमान थे, उन्हें वहां से हटा दिया गया और प्रदूषण नियुंत्रण बोर्ड को अध्यक्ष बनाया गया । लेकिन न जाने क्या हुआ कि 24 घंटों के भीतर संजय गुप्ता को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया और उन्हें चीफ सेक्रेटरी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया।
सभी कहते है कि ये सुक्खू की माया है इसे भगवान भी समझ नहीं पा रहे हैं। बहरहाल, इतिहास गवाह रहा है कि सत्ता को खिलौना समझने के परिणाम बुरे ही रहे है।
रेरा कांड:मार पड़ी तो झुकी सुक्खू सरकार,पांच लाख Cost पर गुहार,अब CS के सेवा विस्तार पर रार
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