शिमला। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर का इस्तेमाल राजनीतिक अडडेबाजी के लिए करके किसी और ने नहीं बलिक उनके अपने पुत्र व प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने इस आवास की गरिमा को डंक मारा हैं। विक्रमादित्य ने ओक ओवर में प्रेस कांफ्रेस कर ये कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव उनके पिता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सिंगल लीडरशिप में होने चाहिए। इस बावत युवा कांग्रेस आजाकमान से आग्रह करेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब मॉडल पर आगामी चुनाव होने चाहिए ।युवा कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेस के लिए ओक ओवर का चयन करना बड़ी बहस को जन्म दे गया हैं। विक्रमादित्य ने ये कह कर कि नगर निगम शिमला में पार्टी की हार पार्टी में समन्वय की कमी से हुई।
विक्रमादित्य बेशक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का पुत्र है लेकिन ओक ओवर को सरेआम युवा कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधि के लिए इस्तेमाल करना किसी के भी समझ में नहीं आ रहा हैं। वो भी तब जब मुख्यमंत्री खुद सरकारी आवास पर मौजूद नहीं थे।
ओक ओवर किसी पार्टी का दफ्तर नहीं हैं ये प्रदेश की 70 लाख जनता की ओर से मुख्यमंत्री को इसलिए आवंटित किया गया ताकि जनता के कामकाज को चलाने में आसानी हो। युवा कांग्रेस की राजनीति चलाने के लिए कांगेस पार्टी का अपना कई मंजिला बडा भवन हैं।हालांकि ये भी कितना वैध –अवैध है ये अलग सवाल हैं।नगर निगम ने इस भवन को नियमित करने के प्रस्ताव को एक अरसा पहले ठुकरा दिया था।
ऐसे में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर युवा कांग्रेस अध्यक्ष की अवैध कब्जागिरी नए कई सवाल खड़े कर दिए हैं।प्रदेश में नेता पुत्रों प नेता पत्नियों की कोई कमी नहीं हैं। कल कोई और नेता सीएम बन जाएगा वो सीएम के सरकारी आवास का ऐसा ही बेजा इस्तेमाल करने लग जाएगा।ये अलग गतिविधियों का अडडा बना जाएगा।ऐसा नहीं है कि परदे के पीछे
छठी बार सीएम बने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के एक से बढ़ कर एक चाकर है ।ऐसे मे बड़ा सवाल ये है कि क्या किसी के भी जेहन में ये नहीं आया कि राजनीति के सबक सीख रहे विक्रमादित्य को ओक ओवर से युवा कांग्रेस का प्रचार करने से रोका जाता। या ये सब जानबूझ कर एक रणनीति के तहत किया गया हैं।
जो भी हो नेता पुत्रों-पुत्रियों व पत्नियों की ओर से रुतबे का बेजा इसतेमाल करना राजनीति में नई घटना नहीं हैं।लेकिन बहुत कुछ परदे के पीछे चलता रहता हैं। यहां पर सब कुछ सरेआम कर दिया गया ।
प्रदेश के पूर्वमुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र भी कई कुछ करते रहें थे। तत्कालीन मंत्रियों की जुबानी कई कहानियांहै जो हवा में अब कब तैरती रहती हैं। लेकिन उन्होंने ने भी सीएम के सरकारी आवास से ऐसी गतिविधियां चलाने से सरेआम परहेज रखा। बाकी भी मंत्री है जिनका बहुत सारा सरकारी कामकाज पुत्रों व पत्नियों की देखरेख में चलता हैं। बहरहाल पहले से ही विवादों में फंसे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की झोली में एक ओर विवाद डाल दिया गया हैं।
युवा कांग्रेस अध्यक्ष ने ओक ओवर से भाजपा की रथ्र यात्रा को फलॉप शे बताया व प्रदेश के 45 विधानसभा हलकों में 17 जुलाई से विकास प्रचार यात्रा करने का एलान किया।
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