शिमला। प्रदेश विधान सभा ने आज दिवंगत विधायक व पूर्व मंत्री मनसा राम को याद करते हुए उन्हें श्रद्धाजंलि दी और उनसे जुडे संस्मरणों को साझा किया । मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सदन में शोकोदगार प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि वह वह सबसे पहले 1967 में विधानसभा में जीत कर आए व परमार मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र के राज्यमंत्री बने। इाके बाद वह 1972,1982,1998 और 2012 में अपने हलके से जीते।
सुक्खू ने कहा कि मनसा राम का जन्म 30 मई 1940 को मंडी के करसोग में हुआ था व उनका निधन इस साल के शुरू में 14 जनवरी को हो गया। सुक्खू ने कहा कि वह उनके पडोस में रहते थे व उन्होंने उनसे बहुत कुछ सीखा।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने अपने संस्मरण सुनाते हुए याद किया कि मनसा राम का एक डायलाग बेहद मशहूर होता था । वह हमेशा कहते थे कि मैं आपका बंदा हूं। कोई भी उनसे पूछे कि वह किसके बंदे है तो वह झट से कह डालते कि वह उनका बंदा हैं।
1998 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय को याद करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि वह दौर पूरी तरह से अलग था। वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बन चुके थे। उन्हें विश्वास मत हासिल करना था व एक विधायक की जरूरत थी। । हम सब विधायक बाहर थे। इस बीच राज्यसभा के लिए नामांकन होना था व सभी विधायकों को शिमला आना था।
उन्होंने कहा कि बाकी भाजपा विधायकों समेत वह और मनसा राम देर रात को शिमला पहुंचे और रात को वह व मनसा राम राजभवन के समीप लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस में एक ही कमरे ठहरे । चूंकि खतरा था सो बाहर से ताला लगा दिया गया । लेकिन फिर भी सरकार को पता चल गया और कोई रात को दरवाजा खटखटाते रहे।
जैसे कैसे रात काटी और सुबह बाथ रूम में लगे गीजर का तार गर्म हो गई और गीजर में धमाका हो गया व कमरे में भाप ही भाप हो गया व पार्टी कमरे तक आ गया व बाहर से ताला लगा हुआ था।
जयराम ने कहा कि उन्होंने वो दौर भी देखा था। उन्होंने कहा कि मनसा राम हरफनमौला नेता थे वह तनाव को दूर कर देते थे।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वह बहुत वरिष्ठ नेता थे लेकिन इसके बावजूद 2012 में उन्हें सीपीएस बनाया गया। भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने कहा कि उस दौरान मनसा राम को पगडी व मूंछें लगा कर वहां से निकाला गया था। वह भी 1998 में जब हिमाचल में हिमाचल विकास कांग्रेस के विधायकों व आजाद प्रत्याशियों को सरकार में शामिल करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से जददोजहद की जा रही थी । भाजपा व हिविकां के विधायक तब छिपते फिर रहे थे। आखिर में 13 दिन बाद वीरभद्र सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पडा था।
उन्होंने भी पूर्व मंत्री को श्रद्धाजंलि अर्पित की । सदन में आज बाकी विधायकों ने भी पूर्व विधायक के निधन पर शोक व्यक्त किया।
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