शिमला। नाहन से 2022 का विधानसभा चुनाव हार चुके भाजपा नेता राजीव बिंदल को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष चुना जाना नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए पिंजरे में बांधने जैसा लग रहा हैं।2018 से लेकर अब तक आरएसएस के दम पर जयराम प्रदेश भाजपा की राजनीति में जमकर दनदनाते रहे थे और पूरा धूमल खेमा उनने और उनकी जुंडली ने हाशिए पर रख छोड़ा था। लेकिन इस बार बाजी पलट गई लगती हैं।
धूमल खेमे ने ऐसी बिसात बिछाई कि जयराम उसमें फंस गए हैं और बिंदल को दोबारा से प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनवा दिया। आलम ये रहा है जयराम के शुभचिंतक सौदान सिंह सरीखे नेता इस बार ज्यादा कुछ नहीं कर पाए।
धूमल के बड़े पुत्र अनुराग ठाकुर बिंदल के नामांकन के मौके पर उनके अगल-बगल में रहे और जयराम के पांव के नीचे से सब कुछ खिसका कर ले गए। जाहिर है कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अनुराग और बिंदल की जोड़ी अब तमाम तरह की रणनीतियां बनाएंगी।
उधर,दूसरी ओर मुख्यमंत्री सुक्खविंदर सिंह भी यही चाहेंगे कि अगर 2027 के विधानसभा चुनावों में सता का हस्तांतरण भाजपा को हो तो वो धूमल परिवार को ही हो।
याद रहे सुक्खू परिवार और धूमल परिवार में अरसे से गाढ़ी यारी हैं। जबकि दोनों ही परिवारों की कांग्रेस में हालीलाज कांग्रेस से कम ही निभती हैं। जबकि जयराम की कांग्रेस में यारी ही हालीलाज कांग्रेस से हैं। 2018 से अब तक जयराम हालीलाज कांग्रेस के सहारे ही कई कुछ करते रहे हैं।
लेकिन अब प्रदेश में सुक्खू सरकार है तो जयराम बतौर नेता प्रतिपक्ष भी पिछले ढाई सालों में
विधानसभा में ज्यादा जलवा नहीं दिखा पाए हैं। उनकी कमान में कई मसलों व मौकों पर विपक्ष बंटता भी नज़र आया हैं।
बीच में विधायकों की ओर से अंदरखाते ये भी कहा जाने लगा था कि अगर सदन के भीतर भाजपा को आक्रामक रहना है तो उसे नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी किसी और को देनी चाहिए ।
पिछले ढाई सालों में बिंदल भी सदन के बाहर ज्यादा कुछ कर नहीं पाए थे।विपक्ष के पास ढाई- तीन साल तक वैसे भी सरकार के खिलाफ ज्यादा कुछ करने को कुछ होता नहीं हैं। लेकिन अब ज़्यादातर दारोमदार बिंदल के कंधों पर ही रहेगा। राजनीति में बिंदल अपने गुरु पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से कई दांव पेंच सीखे हुए है लेकिन वो अकेले कुछ कर नहीं पाए।
अब समझा जा रहा है कि उन्हें इस बार गुरु पुत्र अनुराग ठाकुर का साथ मिलने की संभावना हैं। चूंकि मौजूदा राजनीति में अनुराग बिंदल की जरूरत हैं और बिंदल अनुराग की ।
भाजपा की इस राजनीति में सबसे बड़ी राहत मुख्यमंत्री सुक्खू को मिली हैं। अनुराग व सुक्खू दोनों की आपस में यारी हैं। दोनों ही सियासत और कारोबार में एक दूसरे को अंदरखाते मदद भी करते रहें हैं।
2022 के चुनावों में यही यारी सुक्खू के काम आई और इस यारी ने जयराम और उनके कुनबे की नैया डुबो दी। इसके बाद जब राज्यसभा चुनावों के दौरान सुक्खू सरकार पर तलवार लटकी तो भी ये यारी अंदरखाते आपस में मिली हुई नज़र आई। जब तक हालीलाज कांग्रेस और जयराम को इसकी भनक लगी तब तक देर हो चुकी थी और सरकार बच गई थी।
अब बिंदल और अनुराग के निशाने पर जयराम व उनकी जुंडली रहने वाली है जबकि सुक्खू हालीलाज कांग्रेस को तबाह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
ऐसे में अब प्रदेश की सियासत का परिदृष्य साफ-साफ नजर आ रहा है कि प्रदेश की आगामी राजनीति में बिंदल-अनुराग और सुक्खू अपनी सियासी चालों से जयराम भाजपा और हालीलाज कांग्रेस को ठिकाने लगाने के लिए कदमताल करेंगे।बाकी रहे जगत प्रकाश नडडा तो वो प्रदेश की राजनीति में विफल हो चुके हैं।उनका अपना कार्याकाल कब तक चलेगा इसका तो सबको इंतजार हैं।
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