शिमला। दिल्ली पुस्तक मेले में हिमाचल के मशहूर लेखक एस आर हरनोट की दो पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। पहली पुस्तक “एस आर हरनोट की छह कहानियां” का लोकार्पण वाणी प्रकाशन साहित्य घर में वाणी प्रकाशन के निदेशक अरुण माहेश्वरी, वाणी प्रकाशन की सीईओ अदिति माहेश्वरी गोयल, प्रसिद्ध आलोचक प्रोफेसर सूरज पालीवाल, वरिष्ठ उपन्यासकार हरियश राय और जानी मानी उपन्यासकार वंदना यादव के हाथों संपन्न हुआ।
इस मौके पर अदिति माहेश्वरी गोयल ने कहा कि हरनोट की वाणी प्रकाशन से यह तीसरी पुस्तक छपी है। पहला कहानी संग्रह “कीलें” और उपन्यास “नदी रंग जैसी लड़की” बहुत चर्चित किताबें रहीं हैं जिन्हें पाठकों ने खूब सराहा है। दोनों पुस्तकों के बहुत कम समय में दूसरे संस्करण आ गए हैं।
उन्होंने कहा कि बीते साल लंदन पुस्तक मेले में हरनोट की दोनों पुस्तकों को प्रॉमिनेंस में प्रदर्शित किया था।उन्होंने कहा कि हरनोट में हिमालय बसता है इसीलिए उनकी कहानियों में मुख्य आवाजें पर्यावरण और वहां की संस्कृति को बचाने की हैं। साथ वे वंचितों और स्त्रियों की आवाजें भी मुखरता से उठते हैं।
मुख्य वक्ता प्रो.पालीवाल ने कहा कि उन्होंने हरनोट को बहुत मन से पढ़ा ही नहीं बल्कि उनकी कहानियों पर विस्तार से लिखा भी है। ये छह लंबी कहानियां वर्तमान समय के दस्तावेज हैं जिनके औपन्यदिक फलक हैं। उनमें सामायिक मुद्दे हैं। हरियश राय ने कहानियों की चर्चा करते हुए कहा कि हरनोट की कहानियां स्थानीय होते हुए भी वैश्विक हैं। उनकी प्रत्येक कहानी में कोई न कोई गंभीर मुद्दा होता है। वंदना यादव ने मंच संचालन करते हुए कहा कि लेखन में सरल होना बहुत कठिन है और हरनोट की लोकप्रियता का यह बड़ा कारण है।
छह लंबी कहानियों में डेथ लाइव, मृत्यु गंध, लड़की गुस्से में है, देव खेल, एक नदी तड़पती है और फ्लाई किलर (संशोधित) शामिल है। ये कहानियां साहित्य की बड़ी पत्रिकाओं में पहले ही छपकर चर्चित रही है।
विश्व पुस्तक मेले में दूसरी पुस्तक आधार प्रकाशन ने “हरनोट की प्रतिनिधि कहानियां” शीर्षक से प्रकाशित की है जिसका चयन और संपादन जाने माने आलोचक डॉ विनोद शाही ने अपनी लंबी भूमिका के साथ किया है। इस पुस्तक का लोकार्पण और चर्चा आधार प्रकाशन के स्टाल पर हुई। मेले में हरनोट पाठकों और शोध छात्रों का आकर्षण रहे और दिल्ली में दो आयोजन भी हुए। हरनोट ने जेएनयू में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की जबकि दूसरा आयोजन दिल्ली की मानसी संस्था ने कथा संग्रह कीलें पर आयोजित किया।
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