शिमला । साइबर प्रोदयोगिकी की दुनिया में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए हिमालयन एसोसिएशन फार रिसर्च एंड इनोवेषन नामक एनजीओ के बैनर तले हिमाचल के युवाओं के एक समूह ने जीआईएस आधारित प्राॅपर्टी टैक्स साफ्टवेयर नामक अनोखा साफ्टवेयर तैयार किया है। इस साफ्टवेयर के जरिए नगर निगम शिमला समेत प्रदेश भर के सभी स्थानीय निकायों की कार्याप्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आ जाएगा। नगर निगम के डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने अपने कार्यालय में इस साफ्टवेयर को लांच किया।उन्होंने कहा कि इस साफ्टवेयर को वीरभद्र सरकार को खरीदना चाहिए और वो इसके लिए सरकार से सिफारिश करेंगे। टिकेंद्र ने कहा कि प्रदेश के युवाओं के पास समस्याओं के समाधान है। सरकार को गुजरात और बाकी राज्यों से लोगों को बुलाने की जरूरत नहीं है।
नगर निगम में टैक्स के मामले में प्रूडा नामक एक एनजीओ को काम दिया था। वो भाग खड़ी हुई है। साथ ही पैंतीस लाख रूपया भी ले ले गई है। न टैक्स का आकलन हुआ और न ही आंकड़े निगम के पास पहुंचे । निगम ने उनके पंद्रह लाख रूप्ए रोक रखे है। नोटिस भेजा गया है। अगर कोई जवाब नहीं आया तो एफआईआर भी करेंगे। उन्होंने कहा कि घोटालेबाजों के बजाय हिमाचल के युवाओं को काम मिलना चाहिए।
इस मौके पर हिमालयन एसोसिएशन फार रिसर्च एंड इनोवेशन की अध्यक्ष ज्योति जम्वाल चौहान ने कहा कि उनकी टीम ने शिमला शहर को डिजिटाइल किया है। हर घर डिजिटाइल है।अगर उनके जिम्मे टैक्स आकलन या कोई और काम मिले तो बेहद सस्ते में वो अपने साफ्टवेयर के जरिए षहर के लोगों के लिए कई सेवाएं मोबाइल पर मुहैया करा देंगे। निगम के अफसरों के लिए ये साफटवेयर बेहद फायदेमंद है।प्रापटी की तस्वीरों और सेटेलाइट इमेजीनेशन के जरिए वो आफिस में बैठे सब कुछ देख सकते है।किसी भी सूचना को अपडेट कर सकते है।एक ही िक्लक में सभी वार्डो को एसएमस पहुंचाया जा सकता है। जिसके तहत प्रापर्टी,पानी,कूड़े के बिल के अलावा अन्य आपात संदेशों को लोगों तक आसानी से एसएमएस के जरिए पहुंचाया जा सकता है। यही नहीं अगर कोई अपनी प्रापर्टी के बारे में टैक्स छिपाने की नियत से गलत जानकारी देता है तो वो ऐसा नहीं कर पाएगा। उसकी प्रापर्टी की तस्वीरों को देखा जा सकेगा।डिफाल्टर्स की रिपोर्ट आसानी से तैयार हो जाएगा और एक साल में की कमाई और कलेक्शन रिपोर्ट आसानी से बन जाएगी ।उन्होंने इस मौके पर डिप्टी मेयर को आपदा के समय मचने वाली तबाही का वार्ड वाइज डिजिटल मैप भी भेंट किया इसके अलावा लैंड यूज और लैंड कवर का मैप भी भेंट किया।
एसोसिएशन की अध्यक्ष ने कहा कि चूंकि पूरे शिमला शहरर को डिजिटाइज्ड किया जा चुका है ऐसे में अगर शिमला में भुकंप जैसी आपदा आती है तो ये पता लगाया जा सकेगा कि किस एरिया में ज्यादा नुकसान हुआ है या हो सकता है। । एसोसिएशन ने भुकंप जैसी आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली बिलिडगों की मैंपिंग भी की है।ऐसे में अगर कोई ज्यादा मुआवजा बनाता है तो वो ऐसा नहीं कर पाएगा। कोई भी व्यक्ति इस साफटवेयर के आधार पर जुटाई गई जानकारी के मुताबिक प्रापर्टी खरीद सकते हैं। ये प्रापर्टी किस ढलान पर है। ये खेती योग्य जमीन है,जंगल है,घासनी है या खुली जमीन है ,ये सब पता लगाया जा सकेगा। इस साफटवेयर के जरिए ये भी पता लगाया जा सकेगा कि जमीन सड़क,मार्केट या शहर के कितने करीब है।यही नहीं ये भी सुझाया जा सकेगा कि सोलर या स्ट्रीट लाइट कहां लगाई जानी चाहिए। डस्टबीन कहां रखे जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस साफटवेयर को हर नगर पंचायत,नगर निगम के अलावा सरकार व स्थानीय निकायों में इस्तेमाल कर बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती है।
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