शिमला।वीरभद्र सिंह की ओर से धर्मशाला को विंटर राजधानी के अचानक एलान के बाद आखिर परिवहन मंत्री फेसबुक पर अवतरित हुए और उन्होंने मुख्यमंत्री को धर्मशाला को राजधानी बनाने के लिए आभार जता दिया । सरकार में उनके दुश्मनों ने इतने बड़े राजनीतिक फायदे वाले फैसले से बिलकुल अलग-थलग कर दिया था। बीते रोज सरकारी विज्ञप्ति में जिन मंत्रियोंं ने धर्मशाला को राजधानी बनानेपर सीएम काआभार जताया था उस सूची में से बाली का नाम गायब था।इससे पहले भी जब धर्मशाला के पुलिस ग्राउंड में राहुल गांधी की रैली थी तो मंच पर बैठने वालों में केवल परिवहन मंत्री बाली का ही नाम नहीं था।उन्हें रैली स्थल से जाना पड़ा था।
समझा जा रहा है कि वीरभद्र व सुधीर शर्मा की टोली ये सब ‘उडंतरु’बाली को सबक सिखाने केे लिए कर रहे हैं।चूंकि बीते रोज सरकारी विज्ञप्ति में बाली का नाम गायब था तो आज वो फेसबुक पर उतर आए व यह पोस्ट डाली-:
माननीय मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जी के धर्मशाला को हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजधानी बनाने की घोषणा का मैं स्वागत करता हूँ। कांगड़ा जो कभी चम्बा के भरमौर से लेकर कुल्लू लाहौलस्पीति और हमीरपुर ऊना तक फैला हुआ था हिमाचल में भौगलिक सांस्कृतिक, और राजनितिक रूप से अपनी एक अलग एहमियत रखता था। वही एहमियत वर्तमान कांगड़ा की भी है।
मुख्यमंत्रीं से मेरा अनुरोध है की धर्मशाला में राजधानी शिमला की तर्ज पर आगामी फरवरी से ही प्रशासन, मंत्रालय, विभाग विधिवत रूप से कार्य करना शुरूं कर दें। सचिवालय में सरकार, अधिकारियों मंत्रियों सबका बैठना सुनिनिश्चित हो । शिमला शहर दिन प्रतिदिन जनसंख्या दबाब और ट्रैफिक समस्या से ग्रसित हो रहा है। शिमला शहर से बोझ कम करने के लिए मैं मुख्यमंत्रीं से आग्रह करता हूँ कुछ विभागों के हेडकवार्टर को वहां से स्थानान्तरित करके धर्मशाला में लाया जाए।
धर्मशाला के राजधानी बनने से कांगड़ा चम्बा हमीरपुर ऊना मंडी तक की जनता लाभविन्त होगी। चन्द दिनों बाद हिमाचल प्रदेश का पूर्ण राज्य दिवस आने वाला है मेरा मुख्यमंत्रीं से अनुरोध है उस पुण्य दिन पर उपरोक्त मांगों को शामिल करते हुए सही मायनों में कांगड़ा क्षेत्र ( जिसमे चम्बा आदि सब शामिल है ) की जनता को राजधानी की सौगात इसी सत्र से दी जाए”
फेसबुक पर उतरने केे लिए मजबूर होने केे बाद बाली बोले कि कुछ विभागों के मुख्यालयों को भी धर्मशाला स्थानांतरित कर दिया जाए।राजधानी बदलने को लेकर सीएम वीरभद्र सिंह की प्रदेश्ा के लिए खतरनाक राजनीतिक घोषणा हैं।अब बाली भी उतर चुके हैं। भाजपा पहले ही दावा कर चुकी है कि वो 1998 में ही मान्यता देे चुकी हैैं। बहरहाल देखना ये हैैं कि ये राजनीतिक मसला कांग्रेस व बीजेपी को कहां पहुंचाता हैं।
(1)