शिमला।हिमाचल प्रदेश के इतिहास में मौजूदा कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने मंजूर बजट से 17 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट खर्च कर प्रदेश को भयंकर वितीय संकट में धकेल दिया हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज 2024-25 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों यानी अनुपूरक बजट पेश किया ।
इस बार पूरक मांगे 17 हजार 50 करोड़ 78 लाख की हैं। यानी मार्च 2024 में जो 2024-25 के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जो बजट पेश किया था तब से लेकर अब तक सुक्खू सरकार ने उससे 17 हजार 53 करोड़ 78 लाख ज्यादा खर्च कर दिया हैं। ये अपने आप भंयकर वितीय कुप्रबंधन हैं।
पेश किए गए अनुपूरक बजट में 15 हजार 776 करोड़ 19 लाख रुपए राज्य स्कीमों पर खर्च हुआ हैं। यानी ऐसी स्कीमों पर खर्च कर दिया गया जिनके लिए मार्च 2024-25 के बजट में कोई प्रावधान ही नहीं किया गया था। चादर से ज्यादा पैर ही नहीं पसरे गए हैं चादर को ही फेंक दिया गया हैं। ये किस वितीय प्रबंधन के तहत किया गया है,इसका लेखा जोखा अभी जुटाया जाना हैं।
इसके अलावा 1277 करोड़ 59 लाख रुपए केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं पर मंजूर बजट से ज्यादा खर्च कर दिया हैं। ये सब अपने आप प्रदेश की वितीय स्थिति को उल्टा-पुल्टा करने जैसा हैं।अनुपूरक बजट में जो सबसे भंयकर तथ्य है वो ये है कि इस 17 हजार करोड़ में से 10 हजार 137 करोड़ रुपए वेतन मजदूरी और ओवरड्राफट पर खर्च हुआ हैं। यानी पिछले 12 महीनों में सरकार ओवरड्राफट पर भी रही हैं।
ये आंकड़े प्रदेश की भंयकर कर दी गई वितीय स्थिति को साफ कर रही हैं व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह और उनकी सरकार का वितीय प्रबंधन देखने वाला पूरा अमला कटघरे में खड़ा हो गया हैं।
प्रदेश के इतिहास में अब तक किसी भी मुख्यमंत्री ने मंजूर बजट से इतनी ज्यादा रकम कभी भी खर्च नहीं की है। इस मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं जिनके वित मंत्री रहते इतनी ज्यादा रकम मंजूर बजट से ज्यादा खर्च कर दिए हैं।
इस रकम में से 1033 करोड़ 68 लाख रुपए बिजली उपदान के अलावा मानसून के दौरान क्षतिग्रस्त हुए 33केवी औ 11 केवी के ट्रांसफार्मरों और एचपीपीटीसीएल,एचपीपीसीएल, एचपीएसबीइएल और एचपीएसएलडीसी को कर्ज देने पर खर्च हुए हैं ।
पूरक बजट में कहा गया है कि इसमें से 814 करोड़ 94 लाख एचआरटीसी को यात्रियों को विभिन्न श्रेणियों में किराए में दी जा रही छूट की एवज में दिए उपदान और ई-बसों की खरीद पर खर्च हुआ हैं।
763 करोड़ 26लाख रुपए पेंशन और सेवानिवृत लाभों की अदायगी पर खर्च हुए हैं जबकि 455 करोड़ 91 लाख रुपए मेडिकल कालेजों के निर्माण ,मशीनरी की खरीद और हिमकेयर योजनाओं पर खर्च हुए हैं।
पूरक बजट में कहा गया है कि 329 करोड़ 44 लाख रुपए जलापूर्ति और मल निकासी योजनाओं पर, 303 करोड़ 67 लाख रुपए आपदा राहत पर,173 करोड़ 25 लाख रुपए पर्यटन विकास पर 150 करोड़ 19 लाख मानसून के दौरान क्षतिग्रस्त स्कूल भवनों के निर्माण, मरम्मत नए स्कूलों व कालेज भवन के निर्माण, इंडोर ऑडिटोरियम और फार्मेसी कालेज सिराज के लंबित देनदारी पर खर्च किए गए हैं।
142 करोड़ 83 लाख 15वें वितायोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों को सहायता अनुदान,135 करोड़ 88 लाख रुपए सड़कों, पुलों के निर्माण व मुआवजों और 130 करोड़ 16 लाख रुपए कामकाजी महिला हास्टलों के निर्माण,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं,सहायिकाओं के मानदेय,मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना,मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना और इंदिरा गांधी महिला सम्मान निधि के तहत खर्च किए गए हैं।
127 करोड़ 77 लाख रुपए नई दिल्ली में दवारिका में राज्य अतिथि गृह, राष्ट्रीय विधि विवि के छात्रावासों और कार्यालय के निर्माण,124 करोड़ 50 लाख रेल परियोजनाओं,120 करोड़ 72 लाख मनरेगा के तहत टॉप अप के तहत मजदूरी की अदायगी करने ,88 करोड़ 97 लाख बल्क ड्रग पार्क ,मेडिकल डिवायस पार्क और हिमस्वान कनेक्टिविटी पर खर्च किए गए हैं। 81 करोड़ 52 लाख शहरी स्थानीय निकायों को सहायता अनुदान,मानसून के दौरान क्षतिग्रस्त विभिन्न मल निकासी योजनाओं, रास्तों, एंबुलेंस सड़कों,पार्किंग की मरम्मत व पुनर्निर्माण और शिमला जल प्रबंधन निगम में किए निवेश पर खर्च किए गए हैं।
इसके अलावा 79 करोड़ 62 लाख जीका प्रोजेक्ट,एमआइएस की लंबित देनदारियों और 73 करोड़ 54 लाख आवासीय भवनों के निर्माण व रखरखाव , प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत खर्च कर दिए हैं।
ये तमाम आंकडें साफ करते है कि मुख्यमंत्री सुक्खू का वित प्रबंधन करने वाली नौकरशाही ने किस तरह से वितीय स्तर पर हाहाकार मचाया हैं।
केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं पर भी मंजूर बजट से ज्यादा खर्च कर दिया गया हैं। इसमें 296 करोड़ 56 लाख रुपए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना पर, 207 करोड़ 71 लाख एनडीआरएफ से प्राप्त आपदा प्रबंधन पर,207 करोड़ 23 लाख रुपए रेणुका बांध विस्थापितों के मुआवजे पर, 90 करोड़ 28 लाख प्रधान मंत्री आवास योजना ग्रामीण पर खर्च कर दिए गए हैं। इसके अलावा 53 करोड़ 39 लाख मनरेगा, 51 करोड़ 74 लाख अमरुत योजना,43 करोड़ 25 लाख प्रधान मंत्री स्कूलज फार राइंजिग इंडिया, 42 करोड़ 71 लाख बीपीएल परिवारों को ग्रेहू और चावल पर उपदान अदा करने पर खर्च कर दिए हैं।
इसके अलावा 38 करोड़ 62 लाख रुपए राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान, 35 करोड़ 23 लाख विशेष पोषाहार कार्यक्रम,22 करोड़ 29 लाख स्वच्छ भारत मिशन और 18 करोड़ 88 लाख प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत खर्च कर दिए गए हैं।
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