दाड़ला/शिमला। प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार ने अंबुजा कंपनी प्रबंधन की ओर से नौकरी से निकाले गए 80 कामगारों को पुलिस फोर्स के दम पर अंबुजा के गेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया हैं। सरकार ने इस बावत आज सोलन से एसपी अंजुम आरा को दाड़ला भेजा । एसपी सोलन पुलिस फोर्स की दो बसों को लेकर दोपहर बाद अंबुजा कंपनी पहुंची और गेट पर विरोध कर रहे मजदूरों को पुलिस की ताकत के दम पर गेट से बाहर कर दिया।पुलिस ने कामगारों को कोई नोटिस भी थमाया जिसमें यूनियन के पूर्व के पदाधिकारियों के नाम हैं। बताया जा रहा है कि ये नोटिस/फैसला 2011 में अर्की की अदालत से जारी हुआ था।
अंबुजा में काम कर रही सीटू यूनियन के प्रेस सचिव मनोहर शर्मा ने कहा कि वो लंच में गेट से बाहर गए थे ,उन्हें बाद में अंदर ही नहीं आने दिया। विरोध में इन कामगारों ने अंबुजा प्रबंधन व पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि निकाले गए सभी कामगारों ने विरोध में कंपनी गेट से लेकर दाड़ला तक विरोध रैली निकाली । शर्मा ने कहा कि आगामी रणनीति कल तय की जाएगी।उन्होंने कहा कि 2011 से लेकर अब यहां पर बहुत से प्रदर्शन हो चुके हैं लेकिन एसपी की कमान में पहली बार पुलिस पहुंची व ये नोटिस भी पहली ही बार आया हैं।
जाहिर सी बात है कि विरोध करने वाले कामगारों को गेट से बाहर कराने के लिए अंबुजा प्रबंंधन ने वीरभद्र सिंह सरकार से गुहार लगाई होगी।चूंकि निकाले गए सभी कामगार वामपंथी संगठन सीटू से जुड़े हैं ।सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे वीरभद्र सिंह के शासन का इतिहास रहा है कि वामपथियों को ठिकाने लगाने में उन्होंने कभी भी चूक नहीं की हैं। बेशक कामगारों को ही ठिकाने क्यों न लगाना पड़े।यहां पर वो लोग नौकरी से बाहर किए गए हैंं जिनकी जमीनेंं सरकार ने अंबुजा के कारखाने को अधिग्रहित की थी ।पहले जमीनेें छीनी व अब नौकरी छीन दी गई और खाकी के दम पर विरोध्ा के अधिकार को भी छीनने का प्रबंध किया जा रहा हैं।
कामगारों ने अंबुजा प्रबंधन की ओर से लगाए इन आरोपों को कि विरोध करने वाले कामगार अंबुजा के प्लांट में कोई बाधा पहुंचा रहे हैं ,को पूरा निराधार करार दिया। कामगारों का कहना है कि अंबुजा प्रबंधन ओछी हरकतों पर उतर आया हैं। उन्हें तो कोई अंदर ही नहीं जाने दे रहा हैं , ऐसे में वो बाधा कैसे पहुंचा सकते हैं।
मजेदार ये है कि जब अंबुजा के कारखाने में पिछले दिनों एक कामगार की मौत हो गई थी तो न तो मौके पर एसपी आईं थी और न ही डीसी आए थे। इस कामगार की मौत को लेकर पुलिस क्या जांच कर रही हैं ये भी किसी को मालूम नहीं हैं। एसपी अंजुम आरा ने कहा कि वो मामले को देखेंगी। वीरभद्र सिंह सरकार की पुलिस ने इस बावत जो एफआईआर दर्ज कर रखी हैं उसमें किसी का नाम नहीं हैं। न ही किसी को आज तक अरेस्ट ही किया हैं।अंबुजा प्रबंधन ने 24 घंटों के भीतर 29 लाख रुपए का मुआवजा देकर मामले को निपटा दिया था।
यही नहीं अंबुजा केे कारखाने में ये कांड हो गया है इस बावत सरकार के लेबर विभाग या किसी और विभाग से कोई भी बाबू मौके पर नहीं पहुंचा हैं। लेबर अफसर सोलन राजेश शर्मा ने कहा कि सीमेंट के कारखाने केंद्र सरकार के लेबर मंत्रालय के अधीन हैं।उनका दखल नहीं हैं। बहरहाल प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार की ओर से मौके पर कोई नहीं पहुंचा हैं। कारखाने के सेफ्टी मानकों की पड़ताल करने सरकार की तरफ से कोई नहीं गया हैं।
एसपी अंजुम आरा ने रिपोर्टर्स आई डॉट कॉम से कहा कि वो मौके की स्थिति का जायजा लेने आई थी। कामगारों को गेट के बाहर कर दिया हैं । स्थिति शांति पूर्ण हैैं। ये पूछने पर कि यहां एक कामगार की मौत हो गई थी ,उसमें क्या हुआ ,वह बोली कि एफआईआर दर्ज की हैं।
उधर ,निकाले गए अधिकतर कामगार अर्की तहसील के विभिन्न गांवों के हैं व इनमें से अधिकांश की जमीनेंं भी अंबुजा ने अपने सीमेंट के कारखाने के लिए अधिग्रहित की थी। साथ ही सरकार के साथ ये भी एमओयू हुआ था कि जिन किसानोेंं की जमीनें अधिग्रहित की जाएगी उन्हें स्थाई रोजगार दिया जाएगा।
कामगारों की माने तो स्थाई रोजगार तो नहीं मिला लेकिन ठेकेदारों के पास जिन लोग को काम पर रखा था उन्हें भी नौकरी से निकाल दिया है। ये कामगार पिछले डेढ महीने से दाड़ला में अंबुजा के कारखाने के गेट के बाहर विरोध कर रहे थे।
उधर, हैरानीजनक ये है कि इस मामले में अर्की के कांग्रेस के अंतराष्ट्रीय स्तर के नेता बिलकुल खामोश हैं। कइयों के तार तो सोनिया गांधी व राहुल गांधी के दरबार से जुड़े हैं जबकि कई वीरभद्र सिंह के दरबारी हैं । अर्की से भाजपा के नेता भी अंतराष्ट्रीय स्तर के ही हैं। कोई सीधे मोदी के करीबी हैं तो कोई धूमल के दरबार में हाजरियां भरते नजर आते हैं।
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