शिमला। कोटखाई गैंगरेप व मर्डर की जांच को कटघरे में खड़ा कर ठियोग में पुलिस की गाडि़यों को तोड़ने व पुलिस अफसरों के साथ हाथापाई के बाद प्रदेश सरकार ने दबाव को देखते हुए इस मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द करने के आदेश दिए हैं।
बीते रोज इस कांड में एसआईटी ने जो खुलासा किया था उसे स्थानीय जनता ने पूरी तरह से नामंजूर कर दिया व प्रदेश सरकार पर सीधे सीधे आरोप लगाया कि इस मामले में असल अपराधियों को बचा लिया गया हैं। डीजीपी को भी एक ज्ञापन सौंपा गया जिसमें कहा गया हैं कि कांड को दबाने के लिए बड़ा लेन देन हुआ हैं।
उधर, एसआईटी की ओर से किए खुलासे से गुस्से में आई जनता ठियोग में आंदोलन पर उतर गई और डीएसपी को पीट दिया। जबकि एसपी शिमला डी डब्ल्यू नेगी के साथ भी हाथापाई की गई। इसके अलावा पुलिस के वाहनों को तोड़ दिया गया व पहियों की हवा निकाल दी गई।ठियोग में चक्का जाम कर दिया गया।
आंदलोनकारियों ने एलान कर दिया कि जब तक सीबीआई जांच का आदेश नहीं होता है तब तक चक्का जाम नहीं उठेगा।
इस बीच वीरभद्र सिंह केबिनेट की मंत्री विद्या स्टोक्स व बाकी नेताओं ने मुख्यमंत्री से बात की इस मामले को सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया।इसके बाद चीफ सेक्रेटरी वी सी फारका ने डीजीपी सोमेश गोयल से बात की । गोयल ने कहा कि उन्हें कोई आपति नहीं हैं।इसके बाद मुख्यमंत्री ने मामले को सीबीआई को रेफर करने का आदेश दे दिया।
सीबीआई जांच के आदेश के बाद कई पुलिस अफसरों में हड़कंप मच गया हैं। कहा जा रहा हैं कि अगर पुलिस के अफसरों ने कुछ किया हैं तो वो अब संकट में हैं।
मुख्यमंत्री ने कुल्लू दौरे से लौट कर कहा कि कोटखाई में गुडिया बलात्कार व हत्या मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए तथा सभी संशयों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार ने इस मामले को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का निर्णय लिया है।उन्होंने कहा कि गुडिया के बलात्कार व हत्या मामले ने देवभूमि के लोगों की भावनाओं को हिला कर रख दिया है।
उन्होंने दावा किया कि सरकार ने मामले पर तत्परता दिखाते हुए पुलिस महानिदेशक को विशेष जांच दल गठित करने व दोषियों को पकड़ने के लिए आवश्यक निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री का ये दावा हालांकि सही नहीं हैं। इस बच्ची को 4 जुलाई को अगवा किया गया था। व छह जुलाई को पुलिस को लाश मिली थी। छह से लेकर दस जुलाई शाम तक शिमला पुलिस जांच करती रही थी। इस बीच एसपी शिमला डी डब्ल्यू नेगी मौके पर गए लेकिन जब शिमला पुलिस से कुछ नहीं हुआ व अफवाहें फैलने लगी कि बड़ा लेनदेन हो रहा हैं तो दस जुलाई की शाम को डीजीपी सोमेश गोयल नें आईजीपी दक्षिणी रेंज की कमान में एसआईटी गठित कर दी व एसआईटी ने 55 घंटों के भीतर छह युवाओंको अरेसट कर मामले का सुलझा देने का दावा कर दिया। लेकिन ऐसा हुआ नहीं था।ये सही हैं कि 11 जुलाई को मुख्यमंत्री ने डीजीपी को तलब किया व जरूरी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि विशेष जांच दल की जांच पड़ताल के आधार पर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें शिमला लाने के दौरान पहले से ताक में बैठ कर एक संगठित समूह ने काफिले पर हमला किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ठियोग में मचाए गए उपद्रव तथा सार्वजनिक सम्पत्ति को किए गए नुकसान की घटना के पीछे राजनीतिक उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि इस मामले में गुडिया के परिवार के साथ संवेदना जताने की बजाय इस मामले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिस्थितियों की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया है, ताकि किसी के भी दिमाग में किसी तरह का संशय न रहे।
वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई,डीवाईएफआई और ठियोग नगर पंचायत के बैनर तले हुए इस आंदोलन में पहले कांग्रेस के एसोसिएट सदस्य व अब भाजपा में शामिल हो गए चौपाल के एमएलए बलबीर वर्मा ने भी शिरकत की।
इस मौके पर प्रदेश सरकार व पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई व सीबीआई जांच की मांग की। हजारों आंदोलनकारियों ने सड़क पर धरना दे दिया व एलान कर दिया किया जब तक सरकार की ओर से इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश नहीं हो जाते धरना नहीं उठेगा।
सीबीआई जांच के आदेश के बाद कई पुलिस अफसरों व मुख्यमंत्री कार्यालय के कई कर्ताधर्ताओं में हड़कंप मचा हुआ हैं। शुरूआत जांच से जुड़े व एसआईटी में शामिल अफसर भी मुलाजिम भी संकट में हैं।अगर सीबीआई को कुछ गड़बड़ मिला तो उन पर गाज गिरना तय हैं।
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