शिमला। हिमाचल कांग्रेस को आंखों के सामने गर्त होते देखने वाले प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला को कांग्रेस आलाकमान ने एक ही झटके में हटा दिया है।बहुत देरी से लिया गया ये एक सही कदम है। शुक्ला को लेकर प्रदेश कांग्रेस के भीतर एक अरसे से खुसर-फुसर चली हुई थी। वो कांग्रेस में लगातार विवादित होते जा रहे थे।
प्रदेश में जब से कांग्रेस सत्ता में आई थी तभी से कांग्रेस में कोई न कोई विवाद उठता रहा और शुक्ला पर लगातार अंगुली उठती रही। लेकिन कांग्रेस आलाकमान सोया रहा है।कांग्रेस आलाकमान अब जाकर जागा है लेकिन अब तक प्रदेश कांग्रेस का बहुज ज्यादा नुकसान हो चुका है।
राजीव शुक्ला की जगह कांग्रेस आलाकमान ने महाराष्ट्र कांग्रेस की बड़ी नेता रजनी पाटिल को प्रदेश कांग्रेस का नया प्रभारी बना कर भेजा है।
कांग्रेस आलाकमान का ये चयन भी प्रदेश कांग्रेस की स्थितियों को देखते हुए ज्यादा सही नहीं लग रहा है। वो पहले भी प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी रह चुकी है । लेकिन वो तब भी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के बीच चलने वाले शीतयुद्ध को नहीं रोक पाई थी। वो हालीलाज व हालीलाज विरोधी कांग्रेस के गुटों के बीच ही झूलती रही थी।
हालीलाज कांग्रेस व सुक्खू कांग्रेस के बीच टकराव चरम पर है ऐसे में पाटिल का प्रदेश प्रभारी बनना क्या गुल खिलाएगा ये देखा जाना है। ये जरूर है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस के तमाम नेताओं की वफादारियों का पूरा भान है।
राजीव शुक्ला व सुक्खू सरकार
राजीव शुक्ला के प्रभारी रहते सुक्खू सरकार पर संकट आ गई था। कांग्रेस के छह विधायकों व तीन आजाद विधायकों राज्यसभा चुनावों के दौरान भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में क्रास वोट कर दिया व बहुमत न होने के बावजूद भाजपा राज्य सभा सीट जीत ले गई। कांग्रेस के लिए ये बेहद शर्मनाक क्षण था। कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा । कांग्रेस आलाकमान को तभी शुक्ल को हटा देना चाहिए था।
उस समय हालीलाज कांग्रेस पर तमाम तरह की अंगुलिया उठी । लेकिन कहीं कोई कार्यवाही नजर नहीं आई। यहां पर शुक्ला पूरी तरह से विफल रहे।
इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस में वर्तमान में कांग्रेस कार्यकारिणी व संगठन ही नहीं है।कांग्रेस समिति को एक अरसा पहले भंग किया जा चुका है ।हालीलाज कांग्रेस की मुखिया प्रतिभा सिंह ही पार्टी अध्यक्ष है। इतनी बुरी हालात कांग्रेस पार्टी की प्रदेश कभी नहीं रही।ये सब शुक्ला के राज में हुआ।
शुक्ला के राज में पार्टी की कार्यकारिणी अब तक नहीं बन सकी। वो यहां पर भी बुरी तरह से विफल रहे । इसके अलावा सरकार में तमाम पार्टी कार्यकर्ताओं की ताजपोशी कराने में भी शुक्ला नाकाम रहे है।
यही नहीं लोकसभा चुनावों में पार्टी अपनी सरकार होने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीत सकी। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने शुक्ला से कभी सवाल तक नहीं पूछा।
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