शिमला। कांग्रेस की सुक्खू सरकार को गिराने की मुहिम में अपनी विधानसभा सदस्यता रदद करवा बैठे हमीरपुर कांग्रेस के दो अयोग्य ठहराए गए विधायकों राजेंद्र राणा,इंद्रदत लखनपाल और आजाद विधायक आशीष शर्मा व उनके समर्थक आगामी लोकसभा में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके पुत्र अनुराग ठाकुर से या मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से हिसाब चुकता करेगी ये फिलहाल अभी जमीन पर तय होता नजर नहीं आ रहा हैं।
हमीरपुर की राजनीतिक जमीन से जो आवाज मतदाताओं की आवाज उभर रही है वह असमंजस भरी हैं।
अभी तक न तो धूमल भाजपा और न ही अनुराग व नडडा भाजपा ने इस स्थिति में मतदाताओं को लामबंद करने का मॉडल तैयार किया है और न ही हालीलाज कांग्रेस और सुक्खू कांग्रेस कुछ तय कर पा रही हैं।
हमीरपुर से धूमल परिवार से उनके बड़े पुत्र अनुराग ठाकुर चार बार लोकसभा के सांसद चुने जा चुके है व पिछली बाार को छोड़ कर हर बार उनको जीताने में उनके पिता धूमल का ही हाथ रहा हैं। अनुराग ठाकुर अपने बूते चुनाव जीत पाए वह अभी इतनी जमीन तैयार नहीं कर पाए हैं। लेकिन धूमल का आज भी प्रदेश भर में जनाधार है बेशक जयराम,पवन राणा,नडडा ने आलाकमान का सहारा लेकर उन्हें तबाह करने की कितनी भी कोशिश क्यों न हो।
धूमल के करीबियों के माने तो 2017 में वह हमीरपुर सुजानपुर हलके से चुनाव हारे भी तो उसमें दोनों पुत्रों अनुराग व अरुण धूमल की नादान राजनीति की भूमिका ज्यादा रही थी।
लेकिन अब भाजपा ने अनुराग ठाकुर को हमीरपुर संसदीय सीट से टिकट दे दिया हैं और जिला में अलग तरह कर राजनीतिक समीकरण पैदा हो गया हैं।
विधानसभा चुनावों में हमीरपुर के बड़सर विधानसभा हलके और सुजानपुर हलके दोनों में हालीलाज समर्थक विधायक जीते थे। चाहे उनमें इंद्र दत लखन पाल हो या राजेंद्र राणा। इनके साथ अंदरखाते जयराम नडडा बीजेपी भी साथ हो ली थी व ये लगातार जीतते आ रहे थे। जबकि आशीष शर्मा जिन पर राज्यसभा चुनाव को प्रभावित करने के इल्जाम में शिमला पुलिस एफआइआर दर्ज कर चुकी है उनकी पृष्ठभमि भी एक हद तक कांग्रेस से ही हैं व कांग्रेस नेता के दामाद हैं।
लेकिन सुक्खू के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद इनकी स्थिति अलग हो गई। सता के गलियारे में इनका जो रुतबा वीरभद्र राज में होता था वह सुक्खू ने आते ही खत्म कर दिया।
क्रास वोटिंग करने के बाद इन दोनों को अब अयोग्य ठहरा दिया गया हैं और ऊपर से लोकसभा चुनाव का बिगूज गज चुका हैं। ऐसे में अब इन दोनों विधायको के मतदाता असमंजस में पड़ गए हैं कि वो किस तरफ जाएं। उनके नेता तो चुनाव मैदान में हैं ही नहीं । जयराम व नडडा भाजपा लंबे समय से धूमल परिवार से हिसाब चुकता करने में लगी हैं । 2022 के विधानसभा के चुनावों के बाद उन्हें अब एक बार और मौका मिला हैं । अंदरखाते इनमें से कइयों ने अनुराग का टिकट तक कटवाने की कोशिशें की लेकिन सफल नहीं हो पाए।
इसी तरह राजेंद्र राणा के साथ भी धूमल परिवार विरोधी खड़े हुए थे या यूं कहिए कि राणा ने उनकी गोलबंदी की थी। इसके अलावा राणा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ हो लिए तो वीरभद्र सिंह ने अपने समर्थकों को पूरी तरह से राणा के साथ खड़ा कर दिया। वीरभद्र को धूमल से कई हिसाब चुकता करने थे। बाद में वीरभद्र व हालीलाज कांग्रेस के साथ नडडा –जयराम व पवन राणा भी अंदरखाते हो लिए थे।
लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। अब ये तमाम लोग कहां जाएंगे ये बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैं।
जमीनी जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनकी कांग्रेस इन दोनों अयोग्य ठहराए गए विधायकों से जुड़े लोगों की लामबंदी करने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं। जबकि राणा समर्थक लोगों में यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहे है कि धूमल परिवार से उनकी सेटिंग चल रही हैं।भाजपा में ऊपर के स्तर पर बडी राजनीतिक रणनीति बन रही हैं।हालांकि हमीरपुर से कांग्रेस नेता व पार्टी के प्रवक्ता प्रेम कौशल जरूर ये दावा कर रहे हैं कि पार्टी का काडर पार्टी के साथ ही चलेगा। जिन लोगों की व्यक्तिगत तौर पर निष्ठा है उनको जोड़ने की कोशिश भी होंगी। उन्होंने कहा कि बड़सर सुजानपुर व हमीरपुर हलकों में नई परिस्थितियों के मददेनजर पार्टी लामबंदी करने में जुटी हैं।
कौशल बेशक जो दावा करे लेकिन जमीन पर कुछ कारगर दिखाई नहीं दे रहा हैं। ऐसे में हमीरपुर में इस बार किसी से हिसाब तो चुकता होगा ही। चाहे वो धूमल परिवार से हो या सुक्खू से । जनता का पता नहीं कहीं ये हालीलाज कांग्रेस व जयराम नडडा बीजेपी से ही हिसाब चुकता न कर दें।
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