शिमला। क्रास वोटिंग करने वाले छह कांग्रेस के विधायक और तीन आजाद विधायकों की सुरक्षा के लिए भाजपा की मोदी सरकार ने CRPF हिमाचल में भेज दी हैं। सुजानपुर में पटलांदर में अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के घर व नालागढ़ में आजाद विधायक के एल ठाकुर के घरों पर CRPF पहुंच गई हैं। संभवत: क्रास वोटिंग करने वाले विधायकों के घरों में भी CRPF पहुंच रही हो।ये आने वाले समय में कुछ बड़ा घटने की ओर संकेत कर रहा हैं।
इससे पहले हिमाचल में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के राज में प्रदेश के कर्मचारियों के आंदोलन को CRPF और ब्लैक कमांडों के बूटों तले रौंदने के लिए बुलाया गया था।तब राजधानी में शिमला में चप्पे–चप्पे पर संगीनें लटकाए वो सिर में काला पटका बांधे कमांडों आज भी लोगों के जेहन में हैं। इसके अलावा कर्मचारियों के साथ क्या हुआ था ये कोई भूला थोड़े ही हैं।
उसके बाद शांता कुमार कभी भी हिमाचल में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाए थे।
शांता के बाद अब मोदी सरकार ने CRPF को हिमाचल भेज दिया है लेकिन इस बार राज्यसभा चुनावों में क्रास वोटिंग करने वाले विधायकों की सुरक्षा के लिए भेजा गया हैं। इनमें से छह कांग्रेस विधायकों को तो विधानसभा स्पीकर ने अयोग्य भी ठहरा दिया है। एक आजाद विधायक के खिलाफ एफआइआर हो चुकी हैं।
मोदी सरकार ने CRPF को हिमाचल भेज कर शांता राज की याद तो दिला ही दी है साथ ही हिमाचल की पुलिस के भरोसे को भी कटघरे में खड़ा कर दिया हैं। अगर इन विधायकों को सुरक्षा की जरूरत होती तो हिमाचल पुलिस के कमांडों की सुरक्षा भी तो दी जा सकती थी।
हिमाचल प्रदेश बेहद शांत राज्य है । यहां पर हिंसा की कम ही गुजाइंश है लेकिन बावजूद इसके मोदी सरकार ने ये कदम उठाकर हिमाचल के लोगों को प्रभावित करने की कोशिश की है या डराने की ये वही जानें लेकिन इस तरह की सुरक्षा देना हिमाचल के मिजाज में नहीं हैं।ये तनाव पैदा करने या स्थिति को हास्यस्पद बनाने जैसा है।
राजधानी शिमला में ही डीजीपी स्तर के अफसर तक अपना सुरक्षा कर्मी अपने साथ लेकर नहीं चलते है। इस तरह सुरक्षा कर्मियों से घिर कर चलने का यहां लोग मजाक उड़ाते हैं।
हिमाचल पंजाब या उतरप्रदेश नहीं हैं। जहां पुलिस की धमक से लोग प्रभावित होते है। हिमाचल में लोग दूर होने लग जाते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा,प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल से लेकर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर तो हिमाचल के मिजाज से वाकिफ है।इसके बावजूद प्रदेश में CRPF की एंट्री अलग ही मसूंबे की ओर इशारा कर रही हैं।लोकसभा चुनावों में ये सुरक्षा का मसला क्या गुल खिलाएगा ये अब आने वाले दिनों ही साफ हो पाएगा लेकिन शांता राज में कर्मचारी आंदोलन में शामिल रहे कर्मचारी नेता कह रहे है कि वो दौर बुरा था।
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