शिमला। निहत्थे युवक की टांगे एक पुलिस कर्मी पकड़ता और दूसरा डंडों की बरसात करता रहा व बाकी थाने के कर्मी चारों ओर खड़े होकर दर्द से कराहते इस युवक की चीत्कारों का मजा लेते रहे।पिटाई के बाद ये किसी मुस्लिम देश में नहीं बल्कि देवभूमि के नाम से विख्यात हिमाचल के बिलासपुर के घुमारवीं थाने में हुआ। घुमारवीे थाने के प्रकाश व विजय नामक इन पुलिस कर्मियों की करतूत यही नहीं रुकी।ये कारनामा करने के बाद ये युवक से बोले, तू बड़ा वकील बनता है अब दौड़ के बता। इन दोनों पुलिस कर्मियों ने युवक को धमकी भी दी कि अगर उसने अपनी मां को फोन पर ये बताया कि उसकी बेरहमी से पिटाई हुई है तो वो और मारेंगे।
खाकी के ये कारनामे यहीं नहीं रुके। घुमारवीं थाने का ये सारा कांड जब पुलिस मुख्यालय पहुंचा तो यहां भी खाकी वाले बड़े अफसर ने अपना हुनर दिखलाया। युवक की मेडिकल जांच आइजीएमसी में नहीं कराई बल्कि उसे बिलासपुर भेजा। मेडिकल जांच वहां भी नहीं कराई ।वहां से घुमारवीं भेज दिया।वहां सिविल अस्पताल में रात को एक्सरे नहीं हुआ। सुबह को बुलाया गया। दूसरे दिन सुबह एक्सरे तो हो गया लेकिन रिपोर्ट नहीं दी गई और न ही कोई दवा व प्लास्टर किया गया। यहां पर पुलिस व अस्पताल अथारिटी के गठजोड़ ने ये काम किया या कुछ और हुआ,ये अभी साफ नहीं हुआ है।
आखिर में आईजीएमसी में जब एक्सरे हुआ तो पता चला की इस युवक से हुई बेरहम पिटाई से उसके पांव में फ्रैक्चर हो चुका है।आईजीएमसी के डॉक्टरों की माने तो प्लास्तर तुरंत होना चाहिए था। बहुत देरी हुई है।सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।
ततापानी के नेरी गांव के 25 साल के कैलाश चंद का कहना है कि उसे किस गुनाह की सजा दी गई ये उसे अभी भी पता नहीं चला है।उसे इंसाफ चाहिए।कैलाश की मां भीमावती ने कहती है कि ”मेरे बच्चे का कोई कसूर होता को दिल मानता। इसका तो कोई कसूर ही नहीं है।सून्नी थाने में मुझे भरोसा दिया कि हम इसके साथ कुछ नहीं करेंगे।एक घंटे के भीतर इसे छोड़ देंगे।”
उधर,इस वाक्ए को हुए एक सप्ताह से ज्यादा हो गया है लेकिन डीजीपी संजय कुमार से लेकर एसपी बिलासपुर तक सारे खामोश है। बिलासपुर के डीएसपी सुरेंद्र को ही इस मामले की जांच के आदेश दिए गए है।वो किस तरहकी जांच करेंगे ये जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पताचलेगा। लेकिन आज जब माकपानेता राकेश सिंघा ने इस डीएसपी से ये जानना चाहा कि मेडिकल में क्या आया है ।उनका सवाल पूरा होता इससे पहले ही डीएसपी ने कहा कि कोइ फ्रैक्चर नहीं हुआ है। ये दावा सिंघा ने राजधानी में पुलिसिया करतूत को लेकर आयोजित प्रेस संवाददाता में कर सनसनी फैला दी ।सवाल खड़ा हो गया है कि घुमारवीं अस्पताल में हुए एक्सरे में क्या असल में फ्रैक्चर नहीं अाया है ।अगर ऐसा है तो सिविल अस्पताल सवालों में आ गया है।
ये है सारा मामला-:
नेरी गांव के युवक कैलाश के चचेरे भाई बलबीर के मोबाइल पर 24 अक्तूबर शाम को घुमारवीं पुलिस का फोन आया कि वो घुमारवीं थाने में आ जाए। इसके बाद 25 अक्तूबर की सुबह फिर फोन आया। तो कैलाश ने फोन पर कहा कि हमें कैसे समझे की आप पुलिस वाले ही बोल रहे हो। कैलाश ने कहाकि हम सुन्नी में है तो हम सुन्नी थाने में चले जाते है। कैलाश ने बलबीर से पूछा कि तूने ऐसा वैसा कुछ किया तो नहीं है।उसने मना किया। बैसाखियों के सहारे चल रहे कैलाश ने राजधानी में माकपा की ओर से आयोजित मामले को लेकर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने सुन्नी पुलिस को मामला बताया।सुन्नी पुलिस ने घुमारवीं थाने में फोन किया व बलबीर व कैलाश को बताया ये फोन पुलिस के ही है। सुन्नी पुलिस ने दोनों को थाने में बिठा लिया। सुन्नी पुलिस ने बताया कि जो फोन बलबीर के पास है वो चोरी का है।शाम को पांच बजे के करीब घुमारवीं पुलिस आई और दोनों को घुमारवीं थाने ले गई।
कैलाश ने कहा कि जैसे ही वो घुमारवीं थाने में गाड़ी से उतरा सबसे पहले पुलिस वाले उसी का नाम पुकारा और बोले तू बड़ा वकील बनता है। आगे आ। इसके बाद एक ने टांगे पकड़ी और दूसरे ने डंडे बरसाने शुरू कर दिए। चीत्कारों के बीच सारे थाने के कर्मी मजा लेते रहे। ये कारनामा करीब दस पंद्रह मिनट चला। उसने कहा कि बलबीर की पिटाई भी की । सुबह जब उसने पुलिस को बताया कि उसे बहुत दर्द हो रहा है तो उसे इस हिदायत के साथ बाहर दवा लेने भेज दिया किसी से ये मत कहना कि उसकी पिटाई हुई है।उसने बाहर दवा ली व शाम को उन्हे छोड़ दिया व कहा कि वो दूसरे दिन सुबह दोबारायहां आए। कैलाश ने कहा कि बलबीर ने तोसब कुछ सुन्नी थाने में ही बता दिया था कि उसने मोबाइल मदन नामक व्यक्ति से खरीदा था। बलबीर कंडक्टरी करता है व उसने अपने वाहन के चालक के कहने पर मदन से चालक के घर में ही खरीददारी की थी।पुलिस ने मदन को पकड़ लिया। कैलाश का कहना है उसे अभी तक भी पता नहीं चला है कि उसे क्यों हिरासत में रखा गया और पिटा गया।
माकपा नेता राकेश सिंघा ने कहा कि पुलिस ने इ्रन्हें अवैध कस्टडी में रखा।सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना की।कस्टडी में लेने के बाद उन्हें न तो इनका अपराध बताया गया और न ही इनके किसी रिश्तेदार को जानकारी दी।सिंघा ने कहा कि कस्टडी में लेने के बाद कैलाश का मेडिकल नहीं कराया गया।
कामरेड टिकेंद्र पंवरने कहा कि इस मामले को सिविल सोसायटी या एनजीओ को उठाना चाहिए था।लेकिन हिमाचल में ऐसी संस्थाएं सक्रिय नहीं है। इसलिए माकपा ने लीड ली । सिंघा ने कहा कि घुमारवीं थाने के दोषी पुलिस कर्मियो के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। युवक को मुआवजा मिलना चाहिए।माकपा इसे लाजिकल एंड तक ले जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। संवाददाता सम्मेलन में सिंघा,टिकेंद्र के अलावा मेयर व माकपा नेता संजय चौहान भी मौजूद थे।
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