शिमला। प्रदेश की कांग्रेस की सुक्खू सरकार के हाल बेहाल है। खासकर अदालतों में चल रहे मामलों में तो सुक्खू सरकार के अधिकारी व उनकी मशीनरी पूरा ‘जुलूस’ निकालने पर तुली है। अब मामला आबकारी व कराधान विभाग का हैं।
मैसर्स एचएम स्टील लिमिटेड बनाम भारत सरकार मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने 24 अप्रैल को जवाब देना था लेकिन उस दिन भी सरकार ने तारीख मांग ली। उसके बाद एक मई तक का समय मिला लेकिन जवाब दायर नहीं हुआ। तारीख मांग ली गई।अदालत ने आठ मई तक का समय दे दिया लेकिन तब भी जवाब दायर नहीं हुआ और अगली तारीख मांग ली गई।
अदालत ने तब 29 मई तक का समय दे दिया लेकिन उस दिन भी जवाब दायर नहीं हुआ और तारीख मांग ली गई।
आज भी इस मामले की सुनवाई हुई लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से राज्य आबकारी व कराधान विभाग ने आज भी जवाब दायर नहीं किया और एक और तारीख मांग ली।
आज मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति तिरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने विभाग को चेतावनी दे दी कि अदालत पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से जवाब दायर करने के लिए समय दे रही है लेकिन विभाग की ओर से तारीख पर तारीख मांगी जा रही हैं। इससे अदालत को तो असुविधा होती ही है साथ मामले के निपटान में भी रुकावट आती हैं। कई मामलों में तो करोड़ों रुपए दांव पर लगे होते हैं।
खंडपीठ ने कहा कि विभाग अगली तारीख यानी चार जुलाई तक जवाब दायर कर दे अन्यथा अदालत को सरकार को सिफारिश करनी पड़ेगी कि वो आबकारी विभाग के आयुक्त,विधि अधिकारी या गलती करने वाले अधिकारी या सभी को हटा दें।
अदालत ने विभाग को एक सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब दायर करने के आदेश दिए है अगर इसमें चूक होती है तो विभाग के जिम्मेदार या चूक करने वाले अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर अदालत में हाजिर रहने के आदेश दिए हैं। मामले कि अगली सुनवाई चार जुलाई को तय की गई हैं।उधर , जानकारी मिली है कि इस मामले में आयुक्त आबकारी व कराधान तो पक्ष ही नहीं हैं। अब जो भी अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार है उसके खिलाफ विभाग की ओर से कुछ न कुछ कार्यवाही तो बनती ही हैं।
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