शिमला। देश भर के किसानों से मोदी सरकार की ओर से वादाखिलाफी करने पर प्रदेश किसान सभा ने आज प्रदेश भर में विश्वासघात दिवस मनाया और कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर की मार्फत राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप की केंद्र सरकार को आगाह किया।
प्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष कुलदप सिंह तंवर व वित सचिव सत्यवान पुंडीर ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के किसानों ने केंद्र सरकार की किसान विरोधी कानून को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी हासिल करने और अन्य किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक आंदोलन चलाया। इस आंदोलन के चलते तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द किया गया।
उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर बकाया छह मुद्दों की तरफ उनका ध्यान आकर्षित किया । उसके जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के नाम लिखे पत्र में कई मुद्दों पर सरकार की ओर से आश्वासन दिए और आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया।
इस चिट्ठी पर भरोसा कर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमाओं पर लगे मोर्चा और तमाम धरना प्रदर्शनों को 11 दिसंबर से उठा लेने का निर्णय किया।
तंवर व पुंडीर ने कहा कि किसानों में इस बात को लेकर रोष है कि एक बार फिर देश के किसानों के साथ धोखा हुआ है। केंद्र सरकार के 9 दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर हमने मोर्चे उठाने का फैसला किया था सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है। इसलिए पूरे देश के किसानों ने आज 31 जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाने का फैसला लिया ।
उन्होंने कहा कि चिट्ठी में वादा था कि किसान आन्दोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमें तत्काल प्रभाव से वापस लिये जायेंगे। मामले वापस लेने की सहमति उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार की ओर से प्रदान की गयी है। केंद्र सरकार से सम्बन्धित विभाग और एजेंसियों व दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्रों में आन्दोलनकारियों एवं समर्थकों पर दर्ज किये गये आन्दोलन सम्बन्धित सभी मामलों को भी तत्काल प्रभाव से वापिस लेने की सहमति बनी थी।
लेकिन हकीकत यह है कि केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल सरकार की तरफ से आंदोलन के दौरान बनाए गए मामले वापस लेने के आश्वासन पर नाममात्र की भी कोई कार्यवाई नहीं हुई है। किसानों को लगातार इन मामलों में समन आ रहे हैं। सिर्फ हरियाणा सरकार ने कुछ कागजी कार्यवाई की है और केस वापस लेने के कुछ आदेश जारी किए हैं। लेकिन अब भी यह काम अधूरा है व किसानों को समन आ रहे हैं।
इन किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने वादा किया था कि वह अन्य राज्यों का आहवाना करेगी कि किसान आन्दोलन से सम्बन्धित दर्ज मुकदमों को वापस लेने की कार्यवाही करे लेकिन इस बावत केंद्र सरकार की तरफ से किसी भी राज्य को चिट्ठी नहीं गई है।
सरकार ने आन्दोलन के दौरान शहीद किसानों के परिवारों को हरियाणा व उत्तर प्रदेश सरकार ने मुआवजा देने की सहमति दी थी लेकिन इस दिशा में भी कुछ नहीं हुआ है।
यही नहीं किसानों की मांगों को लेकर एक समितिगठित करने का वादा भी पूरा नहीं हुआ है। यही नहीं लखीमपुर खीरी हत्याकांड में एसआईटी की रिपोर्ट में षड्यंत्र की बात स्वीकार करने के बावजूद भी इस कांड के प्रमुख षड्यंत्रकारी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बना रहना हर संवैधानिक और राजनैतिक मर्यादा के खिलाफ है। यह तो किसानों के घाव पर नमक छिड़कने का काम है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस इस घटना में नामजद किसानों को केसों में फंसाने और गिरफ्तार करने का काम लगातार कर रही है।
इन किसान नेताओं ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से किसानों के हितों की रक्षा करने और सरकार को इस धोखाधड़ी के विरुद्ध आगाह करने की मांग की है। इन नेताओं ने कहा कि अगर केंद्र सरकार व अन्य राज्य सरकारों ने अपने वादे पूरें नहीं किए तो किसान दोबारा आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर हो जाएंगे।
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