शिमला। अगर कांग्रेस पार्टी ने शिमला संसदीय हलके से टिकट देने का आधार प्रत्याशी की छवि को बनाया तो कसुम्प्टी(जब ये हलका आरक्षित था) से दो बार विधायक रह चुके सोहन लाल सुन्नी से लेकर सिरमौर तक टॉप पर हैं। यही नहीं जब उन्होंने टिकट के लिए कांग्रेस कार्यालय में आवेदन किया तो उस दिन भी उनके साथ काफी भीड़ थी। इसके अलावा भी शिमला ग्रामीण में बीते रोज उनके पक्ष में एक जनसभा हुई हैं।
वह दो बार विधायक रह चुके हैं इसकी वजह यह है कि उनका लोगों से कनेक्ट रहा हैं। इसके अलावा शिमला ग्रामीण में जब हालीलाज कांग्रेस के राजकुमार पहली बार 2017 में शिमला ग्रामीण से चुनाव मैदान में उतरे थे तो ये सोहन लाल ही थे जिन्होंने विक्रमादित्य की नैया पार लगवाई थी। ये लोगों से कनेक्ट के आधार पर ही संभव हो पाया था। अन्यथा विकमादित्य सिंह की स्थिति गड़बड़ा सकती थी।
इसके अलावा वह ठेकेदार भी नहीं है और न ही उनका ऐसा कारोबार है जिसे बढ़ाने के लिए उन्हें राजनीति में रहना ही पड़े। इसी कारण क्रप्शन को लेकर भी उन पर कभी कोई अंगुली नहीं उठी हैं।यही कारण रहा कि जब भी लोगों के काम को लेकर उन्होंने नौकरशाहों से बात की तो उनके काम उनकी छवि के दम पर ही हो जाते रहे हैं।
परिवार में भी कुछ ऐसा नहीं है जिसके लिए उन्होंने अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल किया हो। वह गांव में खेती व पशु पालन का काम आज भी करते है।इसलिए बेशक वह आज के दौर कि खरीद फरोख्त की राजनीति में कामयाब नहीं है लेकिन अगर छवि व लोगों से कनेक्ट को कांग्रेस पार्टी ने टिकट देने का आधार बनाया तो वह बाकी संभावित प्रत्याशियों से कहीं आगे हैं।
यही नहीं उनकी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अलावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर,पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर , बुजुर्ग कांग्रेस नेत्री विदयास्टोक्स समेत तमाम कांग्रेस नेताओं व पूर्व पार्टी अध्यक्षों से बेहतर राफता रहा हैं।
राजनीतिक तौर उनकी किसी से ऐसी कोई रंजिश भी नहीं है कि उनको हराने के लिए कोई लॉबी हाथ धोकर मैदान में उतर जाएं। जैसे सिरमौर में कांग्रेस के जो प्रत्याशी टिकट की दौड़ में है वह एक दूसरे को चित करने पर उतारू हैं। चाहे वह गंगू राम मुसाफिर व उनका परिवार हो या अन्य कोई। इसके अलावा सिरमौर से दयाल प्यारी भी कांग्रेस से टिकट की प्रबल दावेदार है। लेकिन वह दो बार विधायक के चुनाव लड़ चुकी है लेकिन सीट नहीं निकाल पाई थी।
अगर सिरमौर से मंत्री हर्ष वर्धन चौहान,डिप्टी स्पीकर विनय कुमार और कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी रात दिन एक कर दे तो वो भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आती हैं। इसके अलावा कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला महिला प्रत्याशी के तौर पर उनके पक्ष में हैं ताकि महिला कार्ड खेला जा सके। जैसे भाजपा ने मंडी से कंगणा रणौत को उतार कर महिला कार्ड खेला हैं।
इसके अलावा शिमला से ही अमित नंदा भी टिकट की दौड़ में है । हालीलाज कांग्रेस भी उनके पक्ष में हैं। लेकिन वह पहले कभी विधानसभा व लोकसभा में नहीं पहुंचे । ऐसे में लोगों से उनका कनेक्ट किस स्तर का है ये अभी जनता के बीच उभरा नहीं हैं। इसके अलावा विधायकों में से किसी को टिकट दिया जाता है और वह जीत जाता है तो उसे विधायकी से इस्तीफा देना पड़ेगा। संभवत: कांग्रेस इस संकट की घड़ी में ऐसा कदम शायद ही उठाएं।
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