शिमला । प्रदेश के किसानों व बागवानों की फसलें जंगली जानवरों से बचाने के लिए कृषि विभाग की ओर से चलाई गई सौर बाड़ योजना के तहत मिलने वाली सबसिडी हासिल करने वालों में प्रदेश के पूर्व मंत्री धनीरम शांडिल व पूर्व मुख्य सचिव व मुख्य चुनाव आयुक्त पी मित्रा भी शामिल है। कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने कहा है कि वह मित्रा को कैसे सबसिडी मिली इसकी जांच कराएंगे।
बहरहाल,ये दोनों बेहद प्रभावशाली हैं और अमीर भी कम नहीं है। पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के बेहद करीबी हैं। जबकि धनीराम शांडिल वीरभद्र सिंह सरकार में मंत्री रहे हैं।
वह पिछल्ले दो दशकों से कभी सांसद तो कभी मंत्री रहे हैं। मौजूदा समय में वह कांगेस विधायक हैं।
पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा को कृषि विभाग ने ठियोग के गांव कौंती में 530 मीटर परिधि की सौर बाड़ लगाने की एवज में 2 लाख 19 हजार 565 रुपए की सबसिडी दी है। जबकि पूर्व मंत्री धनीरामा शांडिल को जिला सोलन के गांव बशील में चार मीटर परिधि की सौार बाड़ लगाने के लिए 1 लाख 90 हजार 664 रुपए की सबसिडी दी है।यह सबसिडी इन दोनों ने तब ली जब एक मंत्री था दूसरा सरकारी सेवा में था।
यह खुलासा विधानसभा में सरकार की ओर से लिखित में दिए एक प्रश्न के जवाब में दिया है। याद रहे मंत्रियों के वेतन व भते लाखों में हैं। जबकि आइएएस अधिकारियों की रईसी भी कम नहीं हैं। ऐसे में यह दोनों ही हस्तियां जरूरतमंद किसानों व बागवानों के हिस्से की यह सबसिडी छोड कर अपने स्तर पर बाड़बंदी कर सकते हैं। सबसे दिलचस्प यह है कि बाड़बंदी की कृषि विभाग की इस योजना के तहत उन किसानों व बागवानों को प्राथमिकता देने का प्रावधान है जिनकी आजीविका पूरी तरह से बागवानी व किसानी पर ही निर्भर हैं। यह दोनों ही हस्तियां इस प्रावधान के तहत नहीं आती है। निश्चित तौर पर इन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया होगा व सबसिडी हासिल कर ली होगी।
यह जांच का मसला है विभाग ने इनके लिए जरूरत मंद किसानों व बागवानों की कितनी अर्जियों दरकिनार की होगी।
इसके अलावा कृषि विभाग ने एक ही परिवार के कई झ्रकई सदस्यों को भी इस योजना के तहत सबसिडी का लाभ दे दिया है। सरकार की ओर से दिए गए जवाब में यह भी सामने आया है कि एक ही महिला को चार- चार जगह पर सौर बाड़ लगाने के लिए सबसिडी दे दी है।
हमीरपुर के गांव कदरयाणा की बिमला देवी को चार जगहों पर सौर बाउÞ लगाने के लिए 10 लाख 32 हजार 820 रुपए की सबसिडी दे दी हैं। इस महिला ने 0.80 हैक्टेयर ,0.95 हैक्टैयर और 1 हैक्टेयर में तीन जगह 410 मीटर परिधि की सौर बाड़ लगाई व हरेक बाड़ के लिए 2 लाख 76 हजार 724 रुपए की सबसिडी हासिल कर ली । जबकि एक जगह 0.50 हैक्टेयर पर 270 मीटर परिधि की बाड़ लगाई व 2 लाख 2 हजार 648 रुपए की सबसिडी हासिल कर ली।
इसी तरह एक परिवार में पिता-पुत्र व बहू ने भी बाड़बंदी की सबसिडी हासिल कर ली है। हमीरपुर के ही नरेली गांव के मस्तराम को भी दो दो जगह बाड़बंदी लगाने के लिए सबसिडी दे दी गई है। हमीरपुर के नादौन के गांव सैरा के ही अनिल कुमार को दो जगह सौर बाड़ लगाने की एवज में साढे पांच लाख रुपए की सबसिडी दे दी गई है।
सरकार की ओर से दिए जवाब में ऐसे दर्जनों परिवार है। सरकार के जवाब से हो रहे इन खुलासों ने इस योजना पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश में 32 से 38 लाख के करीब की आबादी सीमांत व छोटे किसानों की हें जिनके पास बहुत कम जमीन है और अधिकांशत: उनकी आजीविका खेती, बागवानी व मजदूरी से ही चलती है। कायदे से यह योजना उनके लिए होनी चाहिए थी। लेकिन लाभ प्रभावशाली व अमीर तबका उठा रहा है
इस योजना के तहत 2016-17 में 25 करोड़ ,2017-18 में 30 करोड़ और इस साल के लिए 35 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। अब तक 687 किसानों को इस योजना के तहत लाभाविंत किया जा चुका है। विधानसभा में यह प्रश्न भाजपा विधायक रमेश ध्वाला ने लिखित में पूछा था। ध्वाला ने कहा कि जहां बंदर व लंगूरों की समस्या नहीं हैं,वहां क्रैट (जाली दार बाड़ जो डंगों को रोकने के
लिए लगाई जाती है)लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सस्ती भी पड़ेगी व प्रभावी होगी। सौर बाड़ पर अगर घास या लकड़ी गिर चाए तो कंरट आगे नहीं बढ़ता हैं। इसके अलावा इसकी बैटरियां व अन्य उपकरण चोरी होने की शिकायतें भी आ रही है।
इस बावत प्रदेश के कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने से कहा कि इस योजना में बदलाव लाया जाएगा।उन्होंने कहा कि यह योजना गरीब किसानों व बागवानों के लिए हैं व उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलना चाहिए। एक ही परिवार के कई सदस्यों को सबसिडी देने पर भी विचार होगा।
मित्रा के मामले की जांच कराएंगे मंत्री मारकंडा
पूर्व मुख्य सचिव व अब प्रदेश के चुनाव आयुक्त व पूर्व मुख्यमंत्री के बेहद करीब रहे आइएएस अधिकारी पी मित्रा को सौर बाड़ लगाने के लिए सबसिडी कैसे मिली इस बावत प्रदेश सरकार जांच कराएगी। कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने कहा कि उक्त अधिकारी तो इस योजना के तहत आता ही नहीं है। क्या हुआ होगा इसकी जांच कराई जाएगी। पूर्व मंत्री शांडिल की ओर से हासिल की गई सबसिडी को लेकर उन्होंने कहा कि चलो वह तो फिर भी किसानी व बागवानी करते है। लेकिन योजना में बदलाव किया जाएगा। मारकंडा जांच करा पाते हैं या नहीं लेकिन किसानों व बागावानों के नाम पर चन रही योजनाओं का लाभ आइएएस व मंत्री व विधायक उठाए तो सवाल तो खड़े होते ही है। बड़ा सवाल यह है क अभी तक विभिन्न योजनाओं के तहत मंत्रियों विधायकों आइएसस,आइपीएस,एचएएस,एचपीएस भारतीय वन सेवा व हिमाचल वन सेवा के कितने अधिकारियों ने सबसिडी का लाभ लिया है।
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