शिमला। नगर निगम शिमला के पूर्व उप महापौर टिकेंद्र पंवर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से शिमला जल निगम प्रबंधन लिमिटेड में धांधलियों का इल्जाम लगाते हुए जांच के लिए एसआइटी का गठने करने करने की मांग की है ताकि नेताओं ,नौकरशाहों और अन्य अधिकारियों को सलाखों के पीछे भेजा जा सके।
पंवर ने पिछली जयराम सरकार पर सतलुज से पानी उठाने के काम की निविदा गुजरात की एक कंपनी को देने का इल्जाम भी लगाया हैं। पूर्व महापौर ने एसजेपीएनएल को खत्म करने की मांग करते हुए शहर में पानी वितरण का काम नगर निगम के हवाले करने का आग्रह किया ।
सुक्खू को लिखी चिटठी में पूर्व उप महापौर ने कहा कि उनके समय में 2017 से पहले सतलुज से पानी लाने के लिए विश्व बैकं से कर्ज के जरिए इस परियोजना बनाया गया था व यह परियोजना अब तक बन कर तैयार हो जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछली भाजपा सरकार के करीबी ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा या ठेके के समझौते को नजर अंदाज किया गया। सतलुज से शिमला के पानी लाने काम के लिए लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ गुजरात की एक और कंपनी को लगाया गया।
उन्होंने इल्जाम लगाया कि बेशक ये प्रक्रियाएं 2018 में शुरू हो गई थी लेकिन काम का अवार्ड 2020 में दिया गया। लेकन तब से लेकर अब तक सतलुज से शिमला के लिए पानी नहीं पहुंचा है और महज दस फीसद काम भी नहीं हुआ हैं।
उन्होंने कहा कि सुन्नी से लेकर शिमला तक का इलाका भूकंप के हिसाब से बेहद संवेदनशील है और यह जोन पांच में पडता हैं। ऐसे में जोन पांच के हिसाब से निर्माण किया जाना चाहिए।लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर भूकंप आया तो इस परियोजना क्या होगा।
पंवर ने इल्जाम लगाया कि कंपनी की खातिर इस परियोजना की लागत को रिवाइज्ड किया गया । इसकी लागत को 250 करोड से पांच सौ करोड तक कर दिया गया हैं। यह सरकारी खजाने के लिए बडा नुकसान था व कंपनी को बडा फायदा पहुंचया गया।
यही नहीं कंपनी ने एसजेपीएनएल को कम से कम दो हजार के करीब चिटिठयां लिख दी है कि परियोजना लागत के मामले को आर्बिट्रेशन में डाला जाए। लेकिन एसजेपीएनएल ने किसी भी चिटठी का जवाब नहीं दिया हैं। जब एक इंजीनियर ने परियोजना में देरी को लेकर कंपनी को लिखा तो उसे तुरंत वहां से हटा दिया गया।
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