शिमला। पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर की विजीलेंस पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी आइएएस अधिकारी व पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा को आज गिरफतार नहीं कर पाई। मित्रा को जयराम ठाकुर की विजीलेंस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया।
आज सोमवार को सुबह से अटकले लगाई जा रही थी कि मित्रा को आज गिरफतार कर कल अदालत में पेश किया जाएगा और उनका पुलिस रिमांड ले लिया जाएगा। लेकिन ये अटकलें ही रही ।
मित्रा वही अधिकारी है जिन्होेंने वीरभद्र सिंह सरकार में पूर्व मुख्य मंत्री प्रेम कुमार धूमल के लाडले भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के नाम प्रदेश भर में खड़ी की गई संपतियों को रातों रात सील करने का इंतजाम किया था।
इसके अलावा मित्रा ने आय से अधिक संपति मामले में वीरभद्र की बहुत मदद की थी व वीरभद्र सिंह ने मित्रा को मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत होने के दिन ही राज्य का मुख्य चुनाव आयुक्त बना दिया था।
विजीलेंस ने मित्रा को एक प्रश्नावली थमाई व उसके जवाब मांगे। मित्रा सुबह 11 बजे से लेकर साढ़े तीन बजे तक विजीलेंस मुख्यालय रहे व उसके बाद उन्हें घर भेज दिया।
पूछताछ के दौरान दिन भर अटकलें लगाई जाती रही कि मित्रा को पूछताछ के दौरान ही गिरफतार कर लिया जाएगा। लेकिन शाम तक ऐसा नहीं हुआ।
पी मित्रा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी अधिकारी रहे थे व दिसंबर 2007 से दिसंबर 2012 के बीच की तत्कालीन धूमल सरकार में वह प्रधान सचिव राजस्व के पद पर तैनात रहे थे। उसी समय धूमल सरकार पर हिमाचल आॅन सेल का इल्जाम लगा था। पूर्व डीजीपी व फोन टेप कांड में फंसे आइ डी भंडारी मित्रा पर सरेआम रिश्वत लेने के आरोप लगाते थे। धूमल सरकार में वह एडीजीपी सीआइडी व विजीलेंस भी रहे थे। बाद में उन्हें डीजीपी होमगार्ड बना दिया गया था।
वीरभद्र सिंह सरकार के समय उन पर फोन टेपिंग का इल्जाम लगा । जब यह इल्जाम लगा तो मित्रा वीरभद्र सरकार में बेहद ताकतवर अधिकारी होते थे। वह अतिरिक्त मुख्य सचिव विजीलेंस भी रहे बाद में वह मुख्य सचिव बन गए। मित्रा पर इल्जाम है कि जब 2010 में वह धूमल सरकार में राजस्व सचिव थे तो वह चंडीगढ़ के कुछ दलालों के जरिए हिमाचल में बाहरी लोगों को जमीन खरदवाने की एवज में धारा 118 की इजाजत देने के लिए रिश्वत लेते थे।
इस बावत तब चंडीगढ़ के एक दलाल की व मित्रा की कथित सौदे को लेकर हुई बातचीत को विजीलेंस ने रिकार्ड करने का दावा किया था। धूमल सरकार में ही इस मामले की विजीलेंस ने जांच की । धूमल व मित्रा के बीच तब जंग भी चली थी। लेकिन धूमल मित्रा का कुछ बिगाड़ नहीं पाए थे। लेकिन सता बदली तो वीरभद्र सिंह सरकार मित्रा पर मेहरबान हो गई। और 2016 में विजीलेंस ने इस मामले में केंसलेशन रिपोर्ट बनाकर अदालत मं पेश कर दी। लेकिन अदालत में यह अर्जी लंबित रही।
अब मई 2018 में अदलत ने विजीलेंस की इस मामले में अदालत में दायर केंसलेशन रिपोर्ट को खारिज कर मामले की दोबारा गहन जांच करने के आदेश दे दिए। इसके बाद विजीलेंस में दोबारा फाइल खुली व विजीलेंस ने आज मित्रा को पूछताछ के लिए बुला लिया ।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य सतर्कता व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अतुल वर्मा ने कहा कि मित्रा को आज पूछताछ के लिए बुलाया गया था। अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें दोबारा बुलाया जाएगा। वर्मा ने दावा किया जब से इस मामले की दोबारा जांच शुरू हुई हैं तब से इस मामले में एक दर्जन के करीब लोगों से पूछताछ हो चुकी है।
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