शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनके प्रधान निजी सचिव व पूर्व आईएएस अफसर सुभाष आहलुवालिया की आय व संपतियों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा के अफसर भूपेंद्र सिंह नेगी की डेपुटेशन वाली याचिका के खारिज होने से वीरभद्र सिंह व आहलुवालिया को शायद राहत मिले। लेकिन बउ़ा सवाल ये है कि क्या नेगी डेपुुटेशन से वापस आकर हिमाचल पुलिस ज्वाइन करेंगेे या वो कुछ और जुगाड़ करेंगे।
नेगी हिमाचल में जेटली के मंत्रालय वित विभाग के प्रवर्तन निदेशालय के शिमला में खुले कार्यालय में पहले डिप्टी डायरेक्टर तैनात हुए और बाद में अस्सिटेंट डायरेक्टर लग गए। वो हिमाचल पुलिस से इडी में डेपुटेशन पर गए थे।
उनका डेपुटेशन इसी महीने समाप्त हो रहा है। इस बीच इडी ने 130 अफसरों को इडी में तैनात करने के लिए आवेदन मांगे तो भूपेंद्र नेगी ने भी आवेदन कर दिया।
इस पर वीरभद्र सिंह सरकार ने जुलाई 2015 में उन्हें डेपुटेशन पर ही रहने की इजाजत दे दी।लेकिन इस बीच उनकी वीरभद्र सिंह व आहलुवालिया से तनातनी हो गई तो सरकार ने कुछ दिनों के बाद अपनी सहमति वापस ले ली। सरकार ने कहा कि प्रदेश में एचपीएस अफसरों की कमी है सो नेगी को वापस अपने मूल कैडर हिमाचल पुलिस में लौटना होगा ।सरकार ने केंद्र सरकार को चिटठी भेज दी कि उनके अफसर को वापस भेज दिया जाए।नेगी हिमाचल पुलिस में एएसपी बन गए हैं।
नेगी ने सरकार के वीरभद्र सिंह सरकार के इस कदम को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दे दी तो अदालत ने उन्हें स्टे दे दिया। लेकिन अब बीते रोज प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि किस अफसर को कहां रखना है व कहां भेजना है,ये सरकार का काम है।अदालत इस में दखल नहीं देगी।अदालत ने भूपेंद्र नेगी की याचिका को इस दलील पर खारिज कर दिया।अब याचिका खारिज हो गई है और उनका डेपुटेशन भी खत्म हो गया है।
समझा जा रहा है कि अब हिमाचल में इडी से जो भी नया अफसर तैनात होगा वो आहलुवालिया के संपति मामलों में ज्यादा जांच नहीं कर पाएगा व वीरभद्र सिंह के मामलोंं से जुड़ी जानकारियां भी आसानी से मुहैया नहीं करा पाएगा।
जबकि नेगी चूंकि हिमाचल पुलिस विभाग का अफसर था तो उन्हें आहलुवालिया व वीरभद्र सिंह के मामलों को लेकर जानकारियां जुटाने में सहूलियत थी। ऐसे में उन्होंने इडी मुख्यालय को आधिकारिक व अनधिकारिक तौर पर कई अहम जानकारियां भेजी। जिससे वीरभद्र सिंह व आहलुवालिया को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई की ओर से एफआईआर दर्ज करने पर बाइ इडी को एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। सीबीआई ने वीरभद्र सिंह के कई ठिकानों पर छापेमारी भी की। लेकिन दिलचस्प ये रहा कि कागजातों के अलावा सीबीआई को कुल डेढ लाख कैश सीएम के घर से मिला।
ऐसे में इडी जांच में कूद पड़ी और ढेर सारी जानकारियां जुटा दी। बताते है कि इसमें भूपेंद्र नेगी ने अहम भूमिकाएं निभाई व इसलिए सरकार ने उनका डेपुुटेशन खतम करने का फैसला लेकर उन्हें अपने अंडर करने बंदोबस्त कर दिया।अब इंतजार इस बात का है नेगी का अगला कदम क्या होगा और क्या मोदी सरकार व जेटली व प्रदेश में धूमल खेमा उनका साथ देंगे।चूंकि राजनीतिक तौर पर नेगी की ओर से जुटाई गई जानकारियों का सबसे ज्यादा फायदा धूमल परिवार को हुआ है।
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