शिमला। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बीच ही चुनाव आयोग ने कांग्रेस के छह विधायकों के अयोग्य ठहराने के कारण खाली हुई सीटों पर भी चुनाव घोषित कर कुछ बाजीगरी दिखा दी हैं। चूंकि मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में लबिंत हैं। बावजूद इसके इन छह विधानसभा हलकों के उपचुनावों की घोषणा करना अपने आप में हैरान करने वाला हैं।साथ ही इससे इन विधायकों व चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने वाले बाकी प्रत्याशियों के लिए कानूनी तौर पर जटिलता भी खड़ी कर दी हैं।
इन छह विधायकों की मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने इनकी विधानसभा सदस्यता बहाल कर दी तो चुनाव आयोग को इन सीटों पर अपना चुनाव कार्यक्रम वापस लेना पड़ेगा। ऐसे में ये बेहतर होता कि कुछ इंतजार कर लिया जाता ।
इसके दीगर अगर इन छह विधायकों को मामला अदलातों में ही लंबित रहा और सुनवाई होती रही तो किस तरह की स्थिति खड़ी हो जाएगी इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता।
सुनवाई भी होती रही और यहां पर मतदान भी हो गया तो और गणना भी हो गई तो क्या कानूनी जटिलता पैदा नहीं हो जाएगी। ये कई सवाल हैं। अगर ये मामला अदालत में ही लंबित रहा और इन सीटों पर कोई और जीत गया तो क्या होगा व सुप्रीम कोर्ट ने बाद में अपने आदेश में इन छह विधायकों की सदस्यता बहाल कर दी तो क्या होगा।
इस तरह की कानूनी जटिलताओं को संभवत: चुनाव आयोग ने मददेनजर नहीं रखा होगा। जबकि कायदे से इन सब पहलुओं को मददेनजर रखा जाना चाहिए था।
वैसे भी हिमाचल में नामाकंन मई महीने से भरे जाने है तो तब तक सुप्रीम कोर्ट से तस्वीर साफ हो ही जानी थी तब चुनाव आयोग इस बावत फैसला ले ही सकता था। जाहिर है कोई मंशा जरूर किसी की रही होगी।
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