शिमला। प्रदेश के मतदाताओं ने इस बार के विधानसभ चुनावों में बड़ा उलटफेर करते हुए भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे वीरभद्र सिंह ,उनके परिवार व उनके झुंड को सता से बेदखल कर दिया हैं जबकि भाजपा के दिग्गज व खुद को प्रदेश में भाजपा का सर्वेसर्वा समझने वाले प्रेम कुमार धूमल को विधानसभा से बाहर कर दिया हैं। भाजपा वकांग्रेस को अपनी व अपने परिवार की बंधुआ पार्टी समझने वाले इन दोनों नेताओं ने प्रदेश के मतदाताओं ने सता से बाहर कर दिया हैं। ये अप्रत्याशित हैं और ऐसा पहली बार हुआ हैं। दोनों ही परिवारों पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हें और वीरभद्र सिंह की तरह ही धूमल भी जमानत पर हैं।
सबसे बड़ा कांड ये हुआ कि इन चुनावों में धूमल खेमा पूरी तरह से तबाह हो गया। उनके वफादार रविंद्र रवि देहरा से, समधि गुलाब सिंह ठाकुर जोगेंद्र नगर, रणधीर शर्मा नैना देवी, बलदेव शर्मा बडसर समेत भाजपा अध्यक्ष सतपाल सती उना से हार गए। अब पार्टी में धूमल के लिए लॉबिंग करने वाला तक नहीं बचा हैं। उनके पुत्र पार्टी के नेताओं को कम कर आंकते थे। आज जनता ने धूमल को ही हरा दिया। ऐसे में पुत्रों की राजनीति किस तरह चलेगी ये देखना दिलचस्प होगा। इन पुत्रों का आलम ये था कि देश के मुख्य न्यायाधीश से लेकर पत्रकारों तक की बेइज्जती करना इनका मामूली सा काम था। सोशल मीडिया पर इनकी कारगुजारी अरसे से जनता के सामने आ रही थी।सुजानपुर में जनता पूरी तरह से हिसाब कर दिया ।हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री का चेहरा हरा दिया हैं।
धूमल व उनका खेमा महेंद्र सिंह ठाकुर, जयराम ठाकुर,सुरेश भारदवाज जैसे भाजपा के बड़े नेताओं को दबोचने का कोई मौका नहीं चूकते थे। जगत प्रकाश नडडा के साथ जो हुआ सो हुआ ही था। लेकिन अब बाजी पलट चुकी हैं।
राजेंद्र राणा राजनीति में कोई हैवीवेट नहीं हैं, धूमल के ही वफादार थे लेकिन वक्त ने करवट बदली और उन्होंने धूमल को हरा दिया। अंतर ज्यादा नही हैं,केवल 1919 से मतों से हराया।
प्रदेश के मतदाताओं ने भाजपा की झोली में 44 सीटें डालकर उसे पूर्ण बहुमत दे दिया हैं। लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा ये अब आलाकमान पर निर्भर हैं। जाहिर मोदी-शाह की जोड़ी अपने किसी वफादार को हिमाचल की कमान देगी।
इस बार जनता ने किसी को निराश नहीं किया हैं। कांग्रेस की झोली में भी 21 सीटें डाली हैं तो एक सीट वामपंथियों के हिस्से में भी गई हैं। जबकि दो करोड़पति निर्दलीय भी विधानसभा पहुंच गए हैं। साफ है कि सबको अपना अपना दम दिखाने का मौका दे दिया हैं।ठियोग से राकेश सिंघा जीते हैं। करोड़पति निर्दलीयों में जोगेंद्र नगर से प्रकाश राणा व देहरा से होशियार सिंह हैं।प्रकाश राणा को वीरभद्र का परोक्ष समर्थन हासिल था।
प्रदेश के मतदाताओं ने वीरभद्र सरकार में मंत्री जी एस बाली,ठाकुर सिंह भरमौरी,प्रकाश चौधरी,कौल सिंह ठाकुर और सुधीर शर्मा को भी सता से बेदखल कर दिया। इन सबने कारनामें दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन असल खिलाड़ी वीरभद्र सिंह अर्की से 6हजार मतों से जीत गए। चूंकि यहां से बीजेपी ने कमजोर प्रत्याशी दिया था। अगर थोड़ा सा भी सक्रिय प्रत्याशी उतारा होता तो वीरभद्र सिंह से भी हिसाब किताब चुकता हो जाता। लेकिन अब दोनों परिवार सता से बेदखल हैं।
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