शिमला। कारोबारियों के झगड़े में उलझी हिमाचल पुलिस अब एक दूसरे पर हमलवर हो गई हैं। प्रदेश हाईकोर्ट में खुद को डीजीपी के पद से हटाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर हाईकोर्ट पहुंचे डीजीपी कुंडू की ओर से आज शिमला एसपी को भी कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई।
कुंडू की ओर से दलीलें दी गई कि शिमला बम धमाके में एसपी शिमला संजीव गांधी की जांच रपट सही नहीं थी। उनकी ओर से पैरवी कर रहे वकील ने दलीलें दी कि एनआइए की जांच में वहां कई कुछ सामने आया है जो एसपी शिमला की रपट में नहीं था।
इसके अलावा एसपी शिमला को लेकर कुछ और दलीलें भी दी गई। कहा गया कि उनके खिलाफ पहले से कुछ मामलों में जांच के लिए कहा गया हैं। उनकी जांच सही नहीं होती हैं। हालांकि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ ने दखल देते हुए कुंडू को अपने मामले पर ही केंद्रित रहने का आग्रह किया। कुंडू की ओर से कहा गया कि वह तो ओवरव्यू दे रहे थे।
याद रहे एसपी शिमला की स्टेटस रपट पर ही हाईकोर्ट ने कुंडू को डीजीपी के पद से हटाने के आदेश दिए थे।
इस मामले में सुबह से ही प्रदेश हाईकोर्ट में दलीलें चलती रही और मामला दोपहर बाद के लिए स्थगित कर दिया गया।
उधर,बीच में महाधिवक्ता ने कहा कि एसपी शिमला तो इस मामले में जांच अधिकारी ही नहीं हैं । जांच डीएसपी को दी गई हैं।
डीजीपी कुंडू ने कहा कि वह जल्द ही सेवानिवृत होने वाले है व सम्मान के साथ सेवानिवृत होना चाहते हैं।
दोपहर बाद कारोबारी निशांत शर्मा की ओर से दलीलें पेश की जानी थी। मामले की सुनवाई जारी हैं।
(1108)