शिमला। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कमेटी ने राज्य सरकार के सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में गेस्ट लेक्चरर नियुक्त करने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए गए हिमाचल प्रदेश सरकार कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तों का विधेयक- 2024 का विरोध किया है।
माकपा के राज्य सचिव संजय चौहान ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए सुक्खू सरकार से इस विधेयक को तुरंत वापस लेने की मांग की है जिसे बिना उचित विचार के जल्दी-जल्दी पेश किया गया है। चौहान ने खुलासा किया कि 1974 में जब राज्य की जनसंख्या लगभग 36 लाख थी, तब कर्मचारियों की संख्या 1.76 लाख थी। आज जब जनसंख्या दोगुनी हो गई है तो कर्मचारियों की संख्या केवल 1.86 लाख हुई है। कर्मचारियों की इतनी बड़ी कमी से सार्वजनिक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को सभी रिक्त पदों को स्थायी भर्ती अभियान के तहत तुरंत भरना चाहिए और अनुबंध और गेस्ट शिक्षक नीतियों के माध्यम से शिक्षित बेरोजगार युवाओं का शोषण बंद करना चाहिए ।
चौहान ने कहा कि प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में 12 हजार से अधिक पद रिक्त हैं। सुक्खू सरकार की नीति न केवल राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को घटित करेगी बल्कि शिक्षित युवाओं का शोषण भी करेगी। पार्टी का मानना है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार मोदी सरकार की नीतियों का अनुसरण कर रही है तथा यह नीतियां प्रदेश में भी लागू की जा रही हैं विशेष रूप से नई शिक्षा नीति को बिना समझे लागू करना इसका ज्वलंत उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य देश व प्रदेश के सामाजिक व आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं और सरकार को इन क्षेत्रों पर समझौता नहीं करना चाहिए। सभी रिक्त पदों को भरने के लिए स्थायी नियुक्तियां की जानी चाहिएए ताकि कोई भी स्कूल,कॉलेज या स्वास्थ्य संस्थान बिना पर्याप्त कर्मचारियों के न रहे। केवल ऐसी नीतियों के माध्यम से ही इन संस्थानों को गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं।
(17)