शिमला। हिमाचल सरकार की ओर से प्रदेश की 172 पन बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने को लेकर पारित किए कानून पर जब पडोसी राज्यों पंजाब व हरियाणा में हलचल मची तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को आज प्रदेश विधानसभा में सफाई देनी पडी।अब इस वाटर सेस पर खतरा मंडरा गया हैं।
सुक्खू ने सदन में कहा कि इस सेस के लगने से किसी भी अंतरराज्यीय संधि व समझौते का उल्लंघन नहीं होगा। उन्होंने सदन में साफ किया कि इन राज्यों को छोडे जाने वाले पानी पर कोई प्रभाव नहीं पडेगा।हालांकि बीबीएमबी को लेकर कहा कि इस परियोजना के तहत लगाए गए सेस का भार सभी संबधित पांच राज्यों पर पडेगा।समझा जा रहा है कि इसी मसले पर विवाद उभरा हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में बीबीएमबी की तीन परियोजनाओं के जलाशयों से प्रदेश की करीब 45 हजार हैक्टेयर भूमि जलमग्न हो गई हैं।
सुक्खू ने कहा कि पंजाब सरकार का यह कहना कि प्रदेश सरकार का यह कदम गैा कानूनी है कतई भी तर्कसंगत नहीं हैं क्योंकि प्रदेश सरकार ने अपने राज्य में स्थापित जल परियोजनाओं की ओर से उपयोग किए जाने वाले जल पर सेस लगाया है न कि पडोसी राज्यों में बहने वाले पानी पर।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में आगे बढने वाला हिमाचल पहला राज्य नहीं हैं इससे पहले उतराखंड में 2013 में व जम्मू कश्मीर में 2010 में वाटर सेस लगाने का कानून पारित हो चुका हैं। पहाडी राज्य होने के नाते हिमाचल के पास आय के सीमित साधन है ऐसे में राज्य को अपने आय के साधन बढाने का पूरा अधिकार हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल सिंधु जल संधि 1960 को मान्यता देता है और हिमाचल सरकार इस संधि का कहीं कोई उल्लंघन नहीं कर रही हैं। क्योंकि वाटर सेस लगाने से न तो पडोसी राज्यों को पानी छोडे जाने पर कोई प्रभाव पडता और न ही नदियों के प्रवाह पैटर्न पर कोई बदलाव होगा। ऐसे में यह कानून पंजाब के किसी तटीय अधिकारों को उल्लंघन नहीं करता।
उन्होंने कहा कि जहां तब बीबीएमबी का संबंध है इसकी स्थापना केंद्रीय बिजली मंत्रालय की ओर से पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के प्रावधानों के मुताबिक भाखडा नंगल परियोजना के प्रशासन,रखरखाव और संचालन के लिए की गई थी जो संयुक्त हैं। राजस्थान,पंजाब,हरियाणा,दिल्ली और चंडीगढ का उपक्रम हैं। इसलिए बीबीएमबी के प्रबंधन पर पंजाब व हरियाणा का ही नियंत्रण नहीं हैं। ऐसे में बीबीएमबी की परियोजनाओं में हिमाचल सरकार की ओर से लगाए गए जल उपकर का भार हिमाचल प्रदेश समेत हिमाचल समेत सभी पांचों राज्यों में समान रूप से वितरित किया जाएगा।
उन्होंने पंजाब व हरियाणा राज्यों को भरोसा दिलाया कि प्रदेश का यह कानून किसी के भी अधिकारों को प्रभावित नहीं करेगा।
याद रहे सुक्खू सरकार की ओर से वाटर सेस लगाने के बाद पंजाब व हरयिाणा में बवाल मच गया व वहां की विधानसभाओं में इस बावत प्रस्ताव पारित हो गए कि वह सेस की एवज में एक धेला हिमाचल को नहीं देंगे।
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