शिमला।वीरभद्र सरकार में मुख्य संसदीय सचिव व जुब्बल कोटखाई से कांग्रेस के एमएलए रोहित ठाकुर ने केन्द्र की एनडीए के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश की तीन सीए स्टोर परियोजनाओं को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बावजूद रद्द करने पर कड़ी आप्पति जताई है और कहा है कि यह निर्णय प्रदेश के बागवानों व किसानों से धोखा है और उनके हितों पर कुठाराघात है।
मजेदार यह है कि रोहित ने इसका ठीकरा पूर्व मंत्री व पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा पर फोड़ा हैं व कहा कि हिमाचल प्रदेश से एपिडा में बरागटा एकमात्र निदेशक हैं और उनका हस्तक्षेप इसमें रहता है। उन्होंने आरोप लगाया कि बरागटा ने प्रदेश के बागवानों व किसानों के लिये अन्य परियोजनाएं स्वीकृत करवाने के विपरीत मौजूदा स्वीकृत परियोजनाओं को भी निरस्त करवा दिया तथा राज्य के हितों को एपीडा व केन्द्र सरकार के समक्ष सही प्रकार से रखने में असफल तथा मूकदर्शक बने रहे। बरागटा ने अपने बागवानी मंत्री कार्यकाल के दौरान प्रदेश की बागवानी क्षेत्र की महत्वपूर्ण व बहुमूल्य सम्पत्तियों को कौड़ी के भाव बेच दिया, जिनमें गुम्मा स्थित गता फैक्ट्री को भी उन्होंने कबाड़ के भाव बेच दिया था। इसके अलावा प्रदेश के बाहर एचपीएमसी की अनेक सम्पत्तियों को भी पौने भाव पर बेचा गया।
उन्होंने कहा कि पूर्व यूपीए सरकार के कार्यकाल में फरवरी, 2014 को एपीडा निदेशक मंडल द्वारा 45 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत के 7 सीए स्टोर व अन्य परियोजनाओं को तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिनमें खड़ा पत्थर, पतलीकुहल, चुराह, बागी व अणु में सीए स्टोर का निर्माण होना था, इसके अलावा रोहडू में ऐप्पल ग्रेडिंग पेकिंग लाइन व जरोल टिक्कर में पोस्ट हारवेस्ट प्लांट का निर्माण शामिल था। इनमें से सेब बहुल क्षेत्र जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में ही खड़ा पत्थर, बागी व अणु में तीन सीए स्टोरों का निर्माण प्रस्तावित था।
ठाकुर ने कहा कि इनमें प्रथम चरण में 16.81 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाएं खड्डापत्थर, चुराह तथा पतलीकूहल के सीए स्टारों के निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की गई थी। इस बारे हिमाचल प्रदेश सरकार तथा एपिडा के बीच सितम्बर, 2016 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जहां शेष चार परियेाजनाओं को स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए थी, लेकिन केन्द्र ने इसके विपरीत पहले से समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित परियोजनाओं को रद्द कर दिया है जो कदापि प्रदेश के बागवानों के हित में नहीं है, क्योंकि प्रदेश सरकार द्वारा खड़ा पत्थर, चुराह, पतली कुहल परियोजनाओं के लिए अपनी शेयर राशि भी जमा करवा दी थी।
उन्होंने कहा कि लोक सभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि यदि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनती है तो वे सेबों पर लगने वाले आयात शुल्क को तीन गुणा बढ़ा देंगे ताकि देश के सेब उत्पादक बागवानों को किसी प्रकार का नुकसान न हो, परन्तु इसे बढ़ाने के विपरित केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों व बागवानों के विरूद्ध निर्णय लिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2010-2014 के कार्यकाल के दौरान प्रदेश के लिए 37 करोड़ 47 लाख रुपये की कृषि व बागवानी क्षेत्र की 11 परियोजनाएं स्वीकृत की गई थी, जिससे प्रदेश में कृषि व बागवानी क्षेत्र में आधारभूत अधोसंरचना को विकसित किया जा सके। उस समय पूर्व बागवानी मंत्री नरेन्द्र बरागटा इन परियोजनाओं को श्रेय लेने में लगे रहते थे। परन्तु केन्द्र में भाजपा सरकार के बनने के उपरांत केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों व बागवानों के लिए एक भी नई परियोजना को स्वीकृति देने के बजाए पुरानी स्वीकृत परियोजनाओं को भी निरस्त किया जा रहा है।
रोहित ने मुख्यमंत्री व बागवानी मंत्री विदृया सटोक्स से निरस्त हुए परियोजनाओं का मामला केन्द्र सरकार से पुनः उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार इस पर विचार नहीं करती है तो इस मामले में कानूनी पहलुओं को भी तलाशा जाए।
गौरतलब हो कि जिला शिमला के जुब्बल कोटखाई से कांग्रेस के एमएलए रोहित ठाकुर और पूर्व बीजेपी एमएलए नरेंद्र बरागटा के बीच पिछले चार सालों से जमकर जुबानी जंग चलती आ रही हैं।बरागटा रोहित पर तो रोहित बरागटा पर झपटते रहे हैं।दोनों के राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई हैं।
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