शिमला। कोरोना काल में जयराम सरकार में हुए घोटालों का पर्दाफाश करने का दावा करते हुए सदन में एक मात्र वामपंथी विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि प्रदेश में एक हजार रुपए का थर्मल स्कैनर दस हजार में खरीदा गया। उन्होंने चंबा में हुई खरीद का हवाला देते हुए कहा कि नेशनल मेडिकल स्टोर से 75 थर्मल स्कैनर नौ लाख 32 हजार में खरीदे । एक थर्मल स्कैनर दस हजार 531 रुपए 7 पैसे में खरीदा गया । जबकि बाहर यह थर्मल स्कैनर एक हजार रुपए में मिल रहा था। यही नहीं एक मास्क 580 रुपए में खरीदा गया जबकि बेहतर से बेहतर मास्क अमेजान पर 493रुपए में मिल रहा था। सिंघा ने कहा कि 70 मास्क 33हजार 250रुपए में खरीदे गए।
सिंघा ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में एक ही तस्वीर दिखाई गई है असल तस्वीर कुछ और है। वह राज्यपाल के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने इन खरीदों को लेकर दस्तावेज भी सदन पटल पर भी रखा ।
सिंघा ने कहा कि उन्होंने समझा था कि सचिवालय में हुए सेनेटाइजर घोटाले व स्वास्थव विभाग के निदेशक की गिर फतारी के बाद इन घोटालों पर रोक लग जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं ।
उन्होंने कहा कि जब कोरोना का दौर शुरू हुआ था तो उन्होंने अपना पूरा वेतन सरकार को दे दिया था। उन्होंने यह वेतन इसलिए नहीं दिया था कि इस पैसे का इस तरह से दुरुपयोग हो। लेकिन प्रदेश में जब लोग पीडा में थे घोटाले पर घोटाले हुए। कोरोना काल में जिनको आक्सीजन मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली। इसके अलावा भी जो सवाएं दी जानी चाहिए उसके लिए सेवादार ही नहीं है।
उन्होंने सदन में कहा कि कोरोना काल के दौरान पेट्रोल,डीजल और रसोई गैस की कीमतें आसमान छू रही है।पिछली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की दर 0.4फीसद तक पहुंच गई है।यह तो किसानों ने इज्जत रख ली कि कृषि की विकास दर 3.9 तक ले गए।
उन्होंने कहा कि जनमंच को लेकर अभिभाषण में बडे-बडे दावे किए गए है।उनके हलके में आयोजित हुए पहले जनमंच में एक महिला ने अपना नाम परिवार रजिस्टर में शामिल कराने का मसला उठाया था। इस महिला को उसके पति ने छोड दिया था। पति ने जुगाड कर महिला का नाम परिवार रजिस्टर से हटवा दिया। उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 2013 में नाम परिवार रजिस्टर में शामिल करने का आदेश दिया । लेकिन कुछ नहीं हुआ। उसने 2018 में यह मसला जनमंच में उठाया । जनमंच से आदेश हुआ लेकिन आज भी यह नाम परिवार रजिस्टर में दर्ज नहीं हो पाया है। सिंघा ने कहा कि उसका एक बचचा है। यह तस्वीर राज्यपाल के अभिभाषण में नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में गरीब व दलितों पर लगातर अत्याचार बढ रहे है। शिलाई में केदार सिंह जिदान ने मसला उठाया था कि बीपीएल में उनका नाम है जो उनके इलाके में सबसे ज्यादा अमीर है। इन अमीर लोगों के नाम तो नहीं कटे लेकिन जिदान को काट दिया गया । उसे दिन दहाडे रौंद दिया गया था।
कानून के मुताबिक उसकी पत्नी को मकान मिलना चाहिए था। उसकी दो बेटियां है। लेकिन आज तक उसे मकान नहीं मिल पाया है। इस अभिभाषण में ये सब जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन में उन्होंने बार-बार कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव न करो। लेकिन वह अकेले थे उनकी नहीं सुनी गई। मजदूरों के घंटें आठ से चौदह कर दिए गए। अंब में एक कंपनी में एक मजूदर से कंपनी दस्तख्त कराना चाह रही थी। उसने दस्तख्त करने से इंकार कर दिया और उसने फांसी लगा ली।
यही नहीं प्रदेश के ढाई लाख मजदूर बाहर काम कर रहे थे। कोरोना दौर में वह लौट आए। उन्हें तो रोजगार नहीं मिला लेकिन निजी संस्थानों में काम कर रहे तीन लाख मजदूरों की इस काल में छंटनी हो गई।
उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड में ही आज आउटसोर्स पर लगे 811 कर्मियों को काम से हटाने का नोटिस दे दिया गया है। उन्होंने नोटिस को भी सदन में दिखाया। सिंघा ने कहा कि यह पीडा का समय है। इस समय ऐसा न करो। इससे पीडा बढ जाएगी। उन्होंने कहा कि ये लोग संघर्ष करेंगे लेकिन वह नहीं चाहते कि ऐसा हो।
उन्होंने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों को चार -चार महीनों से वेतन नहीं मिला है।
न्यू पैंशन स्कीम की वजह से सामने आ रही पीडाओं का जिक्र करते हुए कहा कि घुमारवीं में एक व्यक्ति की मौत हो गई। उसकी जगह पर उसकी पत्नी को नौकरी दी गई। उसकी भी मौत हो गई। उसके बच्चे है। उन्हें वितीय सुरक्षा को कोई इंतजाम नहीं है। इन तमाम बिंदुओं का राज्यपाल के अभिभाषण में कोई जिक्र नहीं है।
याद रहे विपक्षी कांग्रेस के सदस्य पांच विधयकों के निलंबन की वजह से सदन से लगातार वाकआउट कर रहे है। ऐसे में सिंघा ही एकमात्र विपक्षी विधायक है जो सदन में विपक्ष का पक्ष रख पाए।
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