शिमला।हिमाचल में लगे उद्योगों के उद्योगपतियों की सरकार के समक्ष पैरवी करने वाली संस्था सीआईआई की हिमाचल परिषद ने प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए देश व बहुराष्ट्रीय कंपनियों का इंवेस्ट मीट कन्क्लेव हिमाचल में आयोजित कराने का एलान किया है।सीआईआई की हिमाचल इकाई के अध्यक्ष संजय खुराना ने कहा कि उन उद्योगपतियों को इससे हिमाचल को समझने में मदद मिलेगी।
उन्होंने विपक्षी पार्टी भाजपा के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि हिमाचल में पिछले तीन सालों में निवेश नहीं हुआ है। खुराना ने दलील दी कि मौजूदा उद्योग अपने कारोबार को विस्तार देने के लिए 15 सौ करोड़ का निवेश कर रहे है।खुराना ने कहा कि बाहर से निवेशक एक दम नहीं आता।कंन्क्लेव के रिजल्ट दो तीन साल बाद सामने आएंगे। औदयोगिक पैकेज की गैरमौजूदगी में सीआईआई ने हिमाचल सरकार से मौजूदाउद्योगों के लिए रिटेंशन पॉलिसी के तहत इंसेटिंव देने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि बजट में इस तरह की घोषणाएं हुई भी हैजिसकी वो सराहना करते है।
इसके अलावा सीआईआई ने जिला सोलन या सिरमौर में से किसी एक जिला में युवतियों को कैरियर बनाने में मदद करने के लिए पायलट स्तर पर योजना चलाने का एलान किया है। इसे तीन सालों में सभी जिलों में शुरू कर दिया जाएगा। खुराना ने कहा कि इस सिलसिले में ई लर्निंग नामक एनजीओ को नॉलेज पार्टनर बनाया गया है।खुरान व सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुलेरया ने उसदावे को नकार दिया जिसमें ये कहा जा रहा था कि हिमाचल से उद्योगों का पलायन हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हमेशा ही जाते हैं या उनमें से कुछ असफल हो जाते है।ये बड़ा मसला नहीं है।
हिमाचल में निवेश में सबसे बड़ी बाधा को क्नैक्टिविटी है। बददी बरोटी वाला को रेलवे से जोड़ा जाना चाहिए।इसके अलावा चंडीगढ़ में मैट्रो कीबात हो रहीहै। इसे मूल्लापुर से होकर बीबीएन तक बढ़ा दिया जाए तो मदद मिलेंगी।इसके अलावा यहां पर फोरलेन का काम जल्द होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के पंडोंगा व दभेटा में दो नए औद्योगिक क्षेत्र उभर रहे हैजो सकारात्मक पहल है।उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों को उद्योग लगाने के लिए तैयार किया जाना चाहिए ताकि वो रोजगार लेने वाले नहीं, रोजगार देने वाले बनें।
उन्होंने माना कि कई उद्योगों में हिमाचलियों की तादाद 70 फीसदी से कम है व इसके अलग-अलग कारण है। जबकि कई उद्योगाें में 80 से 90 प्रतिशत हिमाचली है।
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