शिमला। होली पर प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना और उनकी बीवी के नाम से होटल होली डे में दूसरे अफसरों को दी गई पार्टी सरकारी थी या निजी इस बावत प्रदेश पर्यटन निगम के अध्यक्ष आर एस बाली स्थिति को सीधे तौर पर स्पष्ट नहीं कर पाए। इसके अलावा इस मामले में चीफ सेक्रेटरी और उनकी बीवी ने प्रदेश होई कोर्ट के उन आदेशों की अवहेलना तो नहीं कर दी जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी भी बुकिंग से पहले कुछ रकम एडवांस में ली जाएगी, के बावत बाली ने दिलचस्प दलीलें दी कि हाईकोर्ट के वो आदेश निजी पार्टियों के लिए थे सरकार के लिए नहीं थे।अन्यथा एडवांस तो लिया ही जाता हैं। सरकारी विभाग के बिल कभी देरी से आते है तो जल्दी भी आ जाते हैं।
उन्होंने कहा कि निगम के होटलों में लोग आएं,आंनद करे और खाना खाए। बुकिंग सरकार से हुई या कहीं और से ये देखना निगम का काम नहीं हैं। वो इस मामले में यहीं तक जवाब देना चाहते हैं।
याद रहे बीते दिनों चीफ सेक्रेटरी प्रबोध सक्सेना और उनकी पत्नी की ओर से होली पर एक पार्टी दी गई थी। इस पार्टी के लिए जो निमंत्रण पत्र बांटे गए थे वो चीफ सेक्रेटरी और उनकी पत्नी के नाम से छापे गए थे। लेकिन बिल जीएडी को भेजा गया।
इस पर अब विवाद हो गया हैं कि ये जनता का पैसा हैं,चीफ सेक्रेटरी की पार्टी के लिए इसे इस तरह से खर्च नहीं किया जा सकता।अब सबकी निगाहें इसी बात पर है कि इस बिल का भुगतान जनता के खाते से होता है या चीफ सेक्रेटरी अपनी जेब ढीली करते हैं।
याद रहे इस मामले में सरकार के मीडिया एडवाइजर नरेश चौहान कह चुके है कि बिल का भुगतान चीफ सेक्रेटरी को करना चाहिए लेकिन कैबिनेट रैंक अध्यक्ष पर्यटन विभाग बाली इस बावत ज्यादा कुछ नहीं बोलते।
इस बिल को लेकर प्रदेश भर में बवाल मचा हुआ है। आम जनता में साफ संदेश जा रहा है कि नौकरशाहों और नेताओं ने मिल कर प्रदेश के खजाने की लूट मचा रखी हैं।
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