शिमला।प्रदेश की जनता को केंद्र की 15 साल और उससे ज्यादा साल चल चुके सरकारी वाहनों को कबाड़ में बेचने की नीति का और ज्यादा दंश झेलने के लिए तैयार होना होगा। केंद्र सरकार ने 15 साल से ज्यादा चल चुके वाहनों को स्क्रैप यानी कबाड़ में बदलने की नीति तैयार हो चुकी है। याद रहे बिजली बोर्ड में आउटसोर्स पर लगे 81 चालक तो इस नीति का दंश झेल भी चुके है।
प्रदेश की आर्थिकी के अलावा और बाकी कितने कर्मचारी इसका दंश झेलेंगे इसकी पड़ताल करने की जरूरत है।
इस बावत हिमाचल की सुक्खू सरकार ने सरकारी विभागों में तमाम ऐसे वाहनों का ब्योरा एकत्रित कर लिया है । उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बीते रोज केद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर खुलासा किया हिमाचल को इस नीति के तहत सात हजार से ज्यादा सरकारी वाहनों को स्क्रैप करना होगा।
याद रहे बिजली बोर्ड में आउटसोर्स पर लगे 81 चालकों को सुक्खू सरकार ने इसी नीति की वजह से स्क्रैप के गए वाहनों की वजह से नौकरी से निकालने का फरमान जारी कर दिया था। अब ये चालक बिना नौकरी के है और अपनी नौकरी बचाने के लिए आंदोलनरत है। हालांकि सुक्खू सरकार इनमें से कुछ को राजीव गांधी स्टार्टअप योजना के तहत कर्ज पर टैक्सियां देने का खाका बुन रही है।
बहरहाल, इस तरह वाहनों की र्स्कैपिंग की ये नीति हिमाचल के लिए तो घातक है ही । इस पहाड़ी राज्य में वैसे भी प्रदूषण का कोई बड़ा मामला नहीं है। इस बावत उप मुख्यमंत्री ने ने नितिन गडकरी के समक्ष वाहन स्क्रैपिंग नीति के वित्तीय बोझ का मामला भी उठाया क्योंकि हिमाचल प्रदेश को अपनी भौगोलिक स्थिति और कम वाहनों की संख्या के कारण विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिससे स्क्रैपिंग के लिए वाहनों की असेंबली महंगी और पेचिदा हो जाती है।
मुकेश अग्निहोत्री बीते रोज नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्र स्तरीय बैठक और परिवहन विकास परिषद की 42वीं बैठक में भाग लेने गए थे।
उप.मुख्यमंत्री ने पूंजी निवेश के लिए विशेष केंद्रीय सहायता प्राप्त करने की समय सीमा को 31 मार्च तक बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य पर वित्तीय दबाव को कम करने के लिए स्क्रैपिंग प्रोत्साहन ऋण के बजाय अनुदान के रूप में प्रदान किए जाएं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को 7000 से अधिक सरकारी वाहनों को स्क्रैप करने से राज्य के महत्त्वपूर्ण विभागों के कामकाज पर असर पड़ेगा। उन्होंने स्क्रैपिंग नीति के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय सहायता संरचना का भी आग्रह किया।
अग्निहोत्री की ओर से दावा यिका गया कि केन्द्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह स्थिति से भली-भांति अवगत हैं और पहाड़ी राज्यों के साथ.साथ केंद्र शासित प्रदेशों के हितों की रक्षा की जाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश में संचालित अखिल भारतीय पर्यटक परमिट बसों की ओर से उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा की। यह एआईटीपी बसें राज्य में स्टेज कैरिज बसों के रूप में चल रही हैं हालांकि उनके पास कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट है। एआईटीपी और स्टेज कैरिज के बीच करों की मात्रा में बहुत अंतर है।
उन्होंने केंद्र सरकार से एआईटीपी बसों और स्टेज कैरिज बसों के लिए समान अवसर निर्धारित करने का आग्रह किया क्योंकि यह असमानता अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रही है जिससे विशेष रूप से राज्य परिवहन उपक्रमों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने बस अड्डो में एआईटीपी निजी ऑपरेटरों को स्थान आवंटित करने के बारे में भी चिंता व्यक्त की जो उन्हें प्रभावी रूप से स्टेज कैरिज ऑपरेटर के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है जिससे एसटीयू के लिए चुनौतियां और बढ़ जाती हैं।
उपमुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और एआईटीपी ऑपरेटरों की ओर से स्थान के दुरुपयोग को रोकने के लिए स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए।
नितिन गडकरी ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत सरकार के सचिवकी अध्यक्षता में सभी राज्य सचिवों की समिति की बैठक में विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित राज्य में स्थापित आरवीएसएफ यानी वाहन स्क्रैपिंग सुविधा में गैर-सरकारी स्वामित्व वाले वाहन को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहन को किसी भी आरवीएसएफ के रूप में बदला जाना चाहिएए क्योंकि राज्य में वर्तमान में कोई आरवीएसएफ कार्यात्मक नहीं है।
नितिन गडकरी ने कहा कि मुकेश अग्निहोत्री की ओर से पेश किए गए मामले तार्किक एवं उचित है और इनका प्राथमिकता से समाधान किया जाएगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने केन्द्र सरकार से राज्य परिवहन उपक्रमों के लिए सामान्य इलैक्ट्रिक बुनियादी ढांचे के निर्माण का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़, दिल्ली जैसे क्षेत्रों के लिए एसटीयू की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह इलैक्ट्रिक मोबेलिटी के विकास को बढ़ावा देने और संचालन के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
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