शिमला। प्रदेश की मुख्यमंत्री वीरभद्र सरकार की ओर से गुडिया गैंगरेप कांड को सुलझाने को आई जी हजूर एच जैदी की कमान में गठित एसआईटी के सभी सदस्यों को सीबीआई सरकारी गवाह बनने का ऑफर दिया था। लेकिन न तो आईजी जैदी और न ही डीएसपी मनोज जोशी इसके लिए राजी हुए । बाकी पुलिस कर्मियों को भी ये ऑफर दिया गया था। लेकिन कोई राजी नहीं हुआ तो सीबीआई ने सबको गिरफ्तार कर लिया।
मनोज जोशी को उनकी लंबी सर्विस का हवाला भी दिया गया जबकि जैदी से कहा कि गया वो राज्य पुलिस के बहुत सीनियर अफसर हैं। इसके अलावा वो मर्डर तो नहीं ही करेंगे। ऐसे में अपने कैरियर को देखते हुए सरकारी गवाह बन जाए और सीबीआई जांच को आसान बनाएं। जैदी पहले सीबीआई में भी रह आए हैं।
चूंकि कोटखाई थाने के संतरी दिनेश शांडिल के मोबाइल से मिली रिकार्डिंग इन सबके खिलाफ थी। सीबीआई ने ये रिकार्डिंग अदालत के समक्ष भी रखी । ऐसे में अदालत के पास भी सभी को रिमांड पर भेजने के अलावा को और विकल्प नहीं बचा था। सीबीआई ने शुरू में ही संतरी दिनेश शांडिल के ब्यान करा दिए थे।कुल मिलाकर ये कि सीबाआई की ओर से फेंका गया दाना नइन में से किसी ने नहीं चुग्गा।
उधर, सीबीआई प्रवक्ता आर के गौड़ ने कहा हैं कि एसआईटी के दो और सदस्सों एएसपी भजन देव नेगी व डीएसपी ट्रैफिक शिमला रतन नेगी को पूछताछ को दिल्ली बुलाया गया हैं।ये दोनों वीरवार सुबह ही दिल्ली को रवाना हो गए थे।
जिस दिन गुडिया गैंगरेप कांड में पकड़े गए आरोपी सूरज का पुलिस लॉकअप में कत्ल हुआ था उस दिन भजन देव नेगी व रतन नेगी मौके पर नहीं थे। बहरहाल ,उन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया गया हैं।
उधर,बीते रोज केबिनेट मंत्री जी एस बाली और डीजीपी सोमेश गोयल में सचिवालय में लंबी बातचीत होने की खबर हैं। दोनों के बीच क्या बातचीत हुई इसका खुलासा तो नहीं हुआ हैं। सीबीआई के मुताबिक पुलिस लॉक अप में सूरज की हत्या का मामला करीब करीब सुलझ लिया गया हैं।
अब एसआईटी सदस्यों का पुलिस रिमांड पूरा होने के बाद गुडिया गैंगरेप व मर्डर कांड पर सीबीआई को फोक्स होगा।
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